2030 तक 1,000 अरब डॉलर पर पहुंच जायेगी प्रॉपर्टी बाज़ार, रियल एस्टेट में तेज़ी की संभावना

न्यूज़ डेस्क : आवास एवं शहरी मामलों के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा कि भारतीय अचल संपत्ति बाजार के वर्ष 2030 तक 1,000 अरब डॉलर पर पहुंचने की उम्मीद है। उन्होंने यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा अचल संपत्ति क्षेत्र पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि पिछले सात वर्षों में बढ़ती मांग और रेरा जैसे विभिन्न सुधारों से यह क्षेत्र इस मुकाम पर पहुंच सकता है।

 

 

 

 

सात करोड़ हो सकती है क्षेत्र में कार्यरत लोगों की संख्या

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में कार्यरत लोगों की संख्या आने वाले वर्षों में बढ़कर सात करोड़ होने की उम्मीद है। 2019 में यह संख्या 5.5 करोड़ थी। सचिव ने कहा कि इस साल जून में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा पारित मॉडल किराया कानून को राज्यों को जल्द लागू करने के लिए कहा गया है।

 

 

 

दो-तीन वर्ष पहले 200 अरब डॉलर का था अचल संपत्ति क्षेत्र बाजार

सचिव ने कहा, दो से तीन वर्ष पहले अचल संपत्ति क्षेत्र बाजार 200 अरब डॉलर का था। हमें उम्मीद है कि वर्ष 2030 तक यह क्षेत्र 1,000 अरब डॉलर के कारोबार को छू लेगा। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था में इस उद्योग के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह केवल बातें या अनुमान नहीं है। रुख स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि अचल संपत्ति क्षेत्र अगले सात से आठ वर्षों के दौरान 1,000 अरब डॉलर के आंकड़े पर पहुंच जाएगा।

 

 

 

 

दिल्ली-एनसीआर में 50 फीसदी बढ़ गई मकानों की बिक्री

मालूम हो कि कोरोना महामारी में दूसरी लहर के चलते दिल्ली-एनसीआर में मांग बढ़ने की वजह से 2021 की दूसरी यानी अप्रैल-जून तिमाही में मकानों की बिक्री सालाना आधार पर 50 फीसदी बढ़कर 2,830 इकाई पहुंच गई। हालांकि महामारी की दूसरी लहर की वजह से बिक्री में तिमाही आधार पर 54 फीसदी गिरावट दर्ज की गई। ऑनलाइन रियल एस्टेट ब्रोकरेज कंपनी प्रॉपटाइगर डॉट कॉम के मुताबिक, इस साल जनवरी-मार्च तिमाही में दिल्ली-एनसीआर में कुल 6,190 मकान बिके थे। 2020 की समान तिमाही में मकानों की बिक्री 1,890 इकाई रही थी।

 

 

 

सबसे ज्यादा गुरुग्राम में बिके मकान

दूसरी तिमाही के दौरान दिल्ली-एनसीआर में मकानों की कुल बिक्री में 36 फीसदी हिस्सेदारी के साथ गुरुग्राम सबसे आगे रहा। यहां 1,020 मकान बिके। नोएडा-ग्रेटर नोएडा की हिस्सेदारी 34 फीसदी, फरीदाबाद के 18 फीसदी और गाजियाबाद की हिस्सेदारी 12 फीसदी रही।

 

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