नागरिकता साबित करने होगा आसान , नहीं दिखनी होगी पूर्वजों की दस्तावेज : गृह मंत्रालय

न्यूज़ डेस्क : नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश के कई राज्यों में शुक्रवार को भी विरोध प्रदर्शन जारी है। दिल्ली, यूपी, पश्चिम बंगाल, गुजरात, केरल और कर्नाटक से विरोध प्रदर्शन की खबरें आ रही हैं। पश्चिम बंगाल, पंजाब और बिहार समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वह अपने राज्यों में एनआरसी को लागू नहीं होने देंगे।

 

वहीं, गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के लागू होने या उसकी भूमिका क्या होगी इस पर अभी कुछ भी कहना समय से पहले होगा।  

 

नागरिकता संशोधन अधिनियम के लागू करने से इनकार करने वाले कुछ राज्यों पर गृह मंत्रालय (एमएचए) के सूत्रों का कहना है, अधिनियम को लागू करना केंद्र के अधीन है। हम इसे अभी अंतिम रूप देने में जुटे हैं। जो नियम लागू होंगे उसमें सब शामिल होगा। यह डिजिटल और आसान प्रक्रिया होगी ताकि लोगों को किसी समस्या का सामना न करना पड़े।

 

इसके साथ ही सीएए के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गृह मंत्रालय के सूत्रों ने कहा, हम सभी से परामर्श करने के बाद विधेयक लाए, इस पर चर्चा हुई। लेकिन उन्हें अदालत में जाने का अधिकार है और लोगों को विरोध करने का भी अधिकार है। जो लोग सुझाव देना चाहते हैं वे दे सकते हैं, हम नियम बनाने की प्रक्रिया में हैं। 

 

 

नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर चल रहे प्रदर्शन के बीच गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, भारत की नागरिकता जन्मतिथि या जन्म स्थान या दोनों से संबंधित दस्तावेज देकर साबित की जा सकती है। इसके अलावा एक सूची बनाई जाएगी, जिसमें बहुत सारे आम दस्तावेजों को शामिल किया जाएगा। जिससे किसी भी भारतीय नागरिक को अपनी नागरिकता साबित करने में असुविधा न हो।

 

प्रवक्ता ने कहा, भारतीय नागरिकों को 1971 से पहले भारत आए पूर्वजों के बारे में उनके माता-पिता और दादा के पहचान पत्र, जन्म प्रमाण पत्र आदि जैसे दस्तावेज पेश करके किसी भी वंशावली को साबित करने की आवश्यकता नहीं है।

 

उन्होंने कहा, निरक्षर नागरिकों, जिनके पास कोई दस्तावेज नहीं है, अधिकारी उन्हें अपने समर्थन में गवाही या समुदाय के सदस्यों द्वारा समर्थित सबूतों को पेश करने की अनुमति दे सकते हैं। इसके लिए एक अच्छी तरह से तैयार की गई प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।

 

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