न्यूज़ डेस्क : कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण सबसे प्रभावी उपाय माना जा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने देशभर में टीकाकरण अभियान को तेज कर दिया है। भारत में फिलहाल कोरोना की तीन वैक्सीन-कोवैक्सीन, कोविशील्ड (स्वदेशी) और स्पुतनिक वी (रूस की वैक्सीन) को प्रयोग में लाया जा रहा है। हालांकि अब भारत के टीकाकरण कार्यक्रम के शस्त्रागार में एक नया हथियार जल्द ही शामिल होने जा रहा है। अदार पूनावाला के स्वामित्व वाले सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने नोवावैक्स कोविड-19 वैक्सीन के पहले बैच का उत्पादन शुरू कर दिया है। भारत में इस वैक्सीन को ‘कोवोवैक्स’ के रूप में जाना जाना जाएगा। खास बात यह है कि कोवोवैक्स को 18 साल से कम आयु वाले लोगों के लिए भी बेहतर बताया जा रहा है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक भारत को मिलने वाली इस चौथी वैक्सीन से टीकाकरण के अभियान में काफी तेजी आ जाएगी। देश के सभी लोगों का जल्द से जल्द टीकाकरण कराने की सरकार की सोच को इस वैक्सीन से और अधिक मजबूती मिलेगी। आइए इस बारे में लेख में विस्तार से जानते हैं।
वैक्सीन का उत्पादल शुरू हुआ
नोवोवैक्स के उत्पाद शुरू होने की जानकारी साझा करते हुए अदार पूनावाला ने बताया, ‘नोवावैक्स द्वारा विकसित इस वैक्सीन का उत्पादन पुणे में इसी हफ्ते से शुरू हो गया है। यह वैक्सीन कई मामलों में खास होने वाली है। सबसे बड़ी बात यह है कि इससे 18 साल से कम आयु के बच्चों को भी सुरक्षित किया जा सकेगा, फिलहाल इसको लेकर परीक्षण किए जा रहे हैं। इस वैक्सीन को लेकर अब तक किए गए तमाम अध्ययनों में काफी बेहतर परिणाम देखने को मिले हैं।
वैक्सीन की कुल प्रभाविकता 90 फीसदी से अधिक
इसी साल अमेरिका के मैरीलैंड स्थित फार्मा प्रमुख नोवावैक्स ने नैनोपार्टिकल प्रोटीन-आधारित इस वैक्सीन की घोषणा की थी। वैज्ञानिकों का दावा है कि सार्स-सीओवी-2 वायरस के मध्यम और गंभीर बीमारी से यह वैक्सीन 100 फीसदी सुरक्षा दे सकती है। कोविड-19 के रोकथाम में इसकी कुल प्रभावकारिता 90.4 फीसदी से अधिक देखी गई है। इस वैक्सीन को विदेशों में प्रयोग में लाए जा रहे फाइजर और मॉडर्न के समान ही प्रभावी माना जा रहा है। आंकड़ों के मुताबिक इन दोनों वैक्सीन की प्रभाविकता क्रमश: 91.3 और 90 फीसदी देखी गई है।
हो सकती है देश की सबसे प्रभावी वैक्सीन
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक कोवोवैक्स, भारत में सबसे प्रभावी वैक्सीन हो सकती है। भारत की परिस्थितियों में इस वैक्सीन को स्टोर और परिवहन करना अपेक्षाकृत आसान माना जा रहा है। इस वैक्सीन की भी दो डोज दी जाएगी। कंपनी के दावे के अनुसार बच्चों पर इसकी प्रभाविकता, इस वैक्सीन को खास बनाती है। इसके अलावा भारत के वैक्सीनेशन ड्राइव में इसका जुड़ना काफी लाभदायक माना जा रहा है।
नोवावैक्स 100 फीसदी कारगर होने का करता रहा है दावा
नोवावैक्स में रिसर्च एंड डवेलपमेंट प्रेसीडेंट जॉर्ज एम ग्लैन कहते हैं कि वैक्सीन के अब तक के डेटा उच्च स्तर की प्रभावकारिता दिखाते हैं। हमारी वैक्सीन कोविड-19 के खिलाफ दुनियाभर की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। वैक्सीन की प्रभाविकता को लेकर मिल रहे आंकड़े काफी सुकून देने वाले हैं। इस वैक्सीन के उच्च-जोखिम वाली आबादी में भी अच्छे परिणाम प्रदान करने की उम्मीद है। उच्च-जोखिम वाली आबादी का मतलब 65 वर्ष से अधिक आयु वाले लोग जो कोमारबिडिटी के शिकार हैं। वैक्सीन की प्रभाविकता जानने के लिए कंपनी ने अमेरिका और मैक्सिको के 119 शहरों से 29,960 प्रतिभागियों को शामिल किया था। अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने बताया कि वैक्सीन के सुरक्षात्मक दृष्टि से बेहतर परिणाम देखने को मिले हैं।
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नोट: यह लेख सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाल द्वारा साझा की गई जानकारियों और तमाम मीडिया रिपोर्टस के आधार पर तैयार किया गया है।
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