‘बड़े बाबुओं’ से कम वेतन पा रहे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति व राज्यपाल

नई दिल्ली। देश के राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति देश के सबसे ‘बड़े बाबुओं'(कैबिनेट सचिव, सचिव) और सेना प्रमुखों की तुलना में कम वेतन पा रहे हैं। इसकी वजह यह है कि वेतन में इस विसंगति को दूर करने के लिए कानून में संशोधन का प्रस्ताव एक साल से लंबित पड़ा है।

दरअसल, दो साल पहले लागू सातवें वेतन आयोग के बाद वेतन में यह विसंगति पैदा हुई है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति व राज्यपालों का वेतन बढ़ाने का प्रस्ताव गृह मंत्रालय ने तैयार कर कैबिनेट सचिवालय को भेजा है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की हरी झंडी के लिए इसे भेजे एक साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। हालांकि इस पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

सातवां वेतन आयोग 1 जनवरी, 2016 से लागू किया गया था। इसके बाद से महामहिमों के वेतन में बड़ा अंतर आ गया है। यहां तक कि सेना के सुप्रीम कमांडर (राष्ट्रपति) का वेतन तीनों सेनाओं- थल, वायु व नौसेना प्रमुखों से भी कम है। ये तीनों सेनाओं के प्रमुख कैबिनेट सचिव के बराबर वेतन प्राप्त कर रहे हैं।

जानें किसका कितना है 
मौजूदा वेतन के अनुसार, कैबिनेट सचिव को 2.5 लाख, केंद्रीय सचिव को 2.25 लाख, राष्ट्रपति को 1.50, उपराष्ट्रपति को 1.25 राज्यपाल को 1.10 लाख रुपये है।

सरकार ने साधी चुप्पी 
महामहिमों के वेतन में भारी विसंगति पर जब सरकार का पक्ष जानने की कोशिश की गई तो सरकार के प्रवक्ता ने कोई जवाब नहीं दिया। प्रवक्ता को एसएमएस भी भेजा गया, लेकिन उसका भी जवाब नहीं मिला। उनसे जानना चाहते थे कि आखिर गृह मंत्रालय के वेतन वृद्धि के प्रस्ताव पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देरी क्यों की?

इतना होगा राष्‍ट्रपति का वेतन
प्रक्रिया यह है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद वेतन वृद्धि का यह प्रस्ताव विधेयक की शक्ल में संसद में पेश किया जाएगा और उसे मंजूर किया जाएगा। गृह मंत्रालय द्वारा तैयार वेतन बढ़ोतरी के प्रस्ताव के अनुसार संसद में बिल पास होने के बाद राष्ट्रपति का वेतन तीन गुना से ज्यादा बढ़कर 5 लाख, उपराष्ट्रपति का 3.5 लाख व राज्यपालों का 3 लाख रुपये प्रति माह हो जाएगा।

2008 में तीन गुना बढ़ा था वेतन 
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति व राज्यपालों का वेतन 2008 में बढ़ाया गया था। तब भी संसद ने इसमें तीन गुना बढ़ोतरी की थी। इससे पहले इन तीनों शीर्ष पदों के लिए वेतन क्रमश: 50 हजार, 40 हजार व 36 हजार रुपये प्रति माह था।

पेंशन बढ़ाने का प्रस्ताव भी लंबित
गृह मंत्रालय ने वेतन बढ़ाने के साथ ही पेंशन बढ़ाने का भी प्रस्ताव तैयार किया है। इसमें पूर्व राष्ट्रपतियों, उपराष्ट्रपतियों व राज्यपालों की पेंशन बढ़ाने व उनके दिवंगत होने की दशा में उनकी पत्नियों को मिलने वाली पेंशन भी बढ़ाने का प्रस्ताव है। रोचक यह है कि संसद की मंजूरी के बाद ये सारे प्रस्ताव राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से ही अमल में आएंगे।

NEWS SOURCE :- www.jagran.com

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