राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने 25 मार्च 2022 को आईएनएस वलसुरा को प्रतिष्ठित ‘प्रेसिडेंटस कलर‘ यानी ‘राष्ट्रपति निशान’ प्रदान किया। ‘निशान अधिकारी’ लेफ्टिनेंट अरुण सिंह संब्याल ने एक प्रभावशाली परेड में अपनी यूनिट की ओर से राष्ट्रपति निशान को प्राप्त किया। इस यूनिट ने माननीय राष्ट्रपति के लिए 150 पुरुषों की गार्ड ऑफ ऑनर परेड प्रस्तुत की। अपने औपचारिक परिधानों में अद्भुत दिख रहे आईएनएस वलसुरा के 800 से अधिक अधिकारियों और जवानों ने नौसेना बैंड की धुन पर गर्व के साथ मार्च किया।
गुजरात के माननीय राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत, नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर. हरि कुमार, दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल एमए हम्पीहोली और अन्य वरिष्ठ नागरिक एवं सैन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।
शांति और युद्ध, दोनों समय में राष्ट्र को प्रदान की गई असाधारण सेवा के सम्मान में किसी सैन्य इकाई को राष्ट्रपति निशान प्रदान किया जाता है। भारतीय नौसेना पहली भारतीय सशस्त्र सेना थी, जिसे 27 मई 1951 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा राष्ट्रपति निशान से सम्मानित किया गया था।
आईएनएस वलसुरा की विरासत 1942 जितनी पुरानी है, जब द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रॉयल इंडियन नेवी की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए परिचालन आवश्यकता को देखते हुए एक उन्नत टॉरपीडो प्रशिक्षण स्कूल का निर्माण जरूरी हो गया था। भारत के गणतंत्र बनने के बाद, इस यूनिट का नाम बदलकर 01 जुलाई 1950 को आईएनएस वलसुरा कर दिया गया। इसके बाद से आईएनएस वलसुरा ने खुद को पेशेवर तकनीकी प्रशिक्षण के एक प्रतीक के रूप में परिवर्तित किया है, और भारतीय नौसेना की आधुनिकीकरण योजनाओं के साथ कदमताल करते हुए ये तेजी से विकसित हुआ है।
ये यूनिट भारतीय नौसेना के अधिकारियों और नाविकों को जरूरी स्किल-सेट से लैस करने के लिए हमेशा समय से आगे रही है ताकि सूचना प्रौद्योगिकी में उन्नति के साथ अपनी गति बनाए रखने के अलावा तेजी से जटिल हो रहे हथियारों और इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों की युद्ध योग्यता को बरकरार रखा जा सके। ये यूनिट प्रशिक्षण ढांचे के प्रगतिशील संवर्धन के जरिए समकालीन और विशिष्ट प्रौद्योगिकियों पर गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण प्रदान करती है। हाल के वर्षों में यहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डेटा और मीडियम वोल्टेज लैब की स्थापना, अधिकारियों और नाविकों के प्रशिक्षण में और समकालीन तकनीक में तकनीकी उत्कृष्टता के लिए इसकी चाह की एक अनूठी मिसाल है। कुल मिलाकर, ये प्रतिष्ठान एक वर्ष में 262 से अधिक पाठ्यक्रम संचालित करता है और 750 से अधिक अधिकारियों व 4200 नाविकों को वार्षिक प्रशिक्षण देता है। आईएनएस वलसुरा हमारी मित्रवत विदेशी नौसेनाओं के लिए भी पसंदीदा प्रशिक्षण गंतव्य के रूप में उभरा है। इस प्रमुख संस्थान से अब तक 15 मित्र विदेशी नौसेनाओं के 1800 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
सौराष्ट्र क्षेत्र में सोशल आउटरीच कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में, आईएनएस वलसुरा ने कई कल्याणकारी उपाय शुरू किए हैं। 2001 के विनाशकारी भूकंप के बाद नेवी मोडा गांव का पुनर्निर्माण, सामुदायिक सेवा की दिशा में एक सराहनीय प्रयास था। सितंबर 2021 में, जामनगर में बाढ़ के दौरान आईएनएस वलसुरा की टीमों द्वारा बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों सहित 400 से अधिक नागरिकों को बचाया गया था।
इस ऐतिहासिक आयोजन के दौरान भारत के माननीय राष्ट्रपति ने आईएनएस वलसुरा के अधिकारियों और नाविकों को बधाई दी और हमारी समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के लिए उनके पेशेवराना रवैये और समर्पण की सराहना की। उन्होंने पिछले 79 वर्षों में राष्ट्र को दी गई सराहनीय सेवा के लिए आईएनएस वलसुरा के पूर्व और वर्तमान कर्मियों को भी बधाई दी। इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने राष्ट्रीय उद्देश्यों को पूरा करने और सक्षम समुद्री योद्धाओं को तैयार करने की दिशा में इस यूनिट के निरंतर प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने हिंद महासागर क्षेत्र में ‘पसंदीदा सुरक्षा भागीदार’ के रूप में भारतीय नौसेना की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और सफेद वर्दी में सजे पुरुषों से राष्ट्र के लिए अपनी निस्वार्थ और समर्पित सेवा जारी रखने का आग्रह किया। माननीय राष्ट्रपति ने आईएनएस वलसुरा के सभी कर्मियों को बधाई दी और उन्हें तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी के इस युग में और भी अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए प्रोत्साहित किया।
इस अवसर की याद में माननीय राष्ट्रपति द्वारा एक विशेष डाक कवर भी जारी किया गया। राष्ट्रपति निशान से सम्मानित होना आईएनएस वलसुरा के इतिहास में एक बहुत ही महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। नौसेना परंपराओं के अनुसार, अब आईएनएस वलसुरा में सभी औपचारिक परेडों में राष्ट्रपति निशान को गर्व से प्रदर्शित और शामिल किया जाएगा। ये, प्रदान की गई सेवा का एक प्रतीक है और भारतीय नौसेना के अधिकारियों और जवानों को प्रेरित करेगा।
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