नई दिल्ली, 5 जनवरी।राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज राष्ट्रपति भवन में सैन्य इंजीनियर सेवाओं के प्रशिक्षु अधिकारियों से मुलाकात की।
इस दौरान राष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि वे ऐसे समय में सेवाओं में शामिल हुए हैं, जब भारत ने अमृत काल में प्रवेश किया है और जी-20 की अध्यक्षता भी ग्रहण की है। यह वह समय है जब विश्व नए नवाचारों और समाधानों के लिए भारत की ओर देख रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि सैन्य इंजीनियर सेवाओं के अधिकारी के रूप में वे सभी रक्षा बलों यानी सेना, वायु सेना, नौसेना, तटरक्षक और अन्य संगठनों को रियर लाइन इंजीनियरिंग सहायता प्रदान करने में सहायक होंगे। वे सशस्त्र बलों को जिस तरह की समर्पित इंजीनियरिंग सहायता प्रदान करते हैं, उनके समग्र प्रदर्शन में बढ़ोतरी करता है और उन्हें किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रखता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि निर्माण के क्षेत्र में युवा अधिकारियों के रूप में एमईएस अधिकारियों का प्रमुख कर्तव्य पर्यावरण की देखभाल करना भी है। हमें सतत विकास के लिए नवीकरणीय ऊर्जा का अधिक उपयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एमईएस बड़ी संख्या में सौर फोटोवोल्टिक परियोजनाओं को पूरा करके राष्ट्रीय कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में काफी योगदान दे रही है। राष्ट्रपति ने कहा कि वे नई निर्माण सामग्री का नवाचार और उसका उपयोग कर सकते हैं, जो निवासियों को खतरनाक रसायनों से बचाती है। उन्होंने कहा कि मानव कल्याण प्राकृतिक सामग्रियों से घिरे होने पर समग्र रूप से बढ़ता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि निर्माण क्षेत्र बहुत गतिशील है और तकनीकें बहुत तेजी से बदल रही हैं। यह क्षेत्र आर्थिक वृद्धि और विकास में प्रमुख भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि एमईएस अधिकारी परियोजना प्रबंधन के आधुनिक उपकरणों का उपयोग कर बुनियादी ढांचे के विकास में अपना काफी योगदान दे सकते हैं। राष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों से अपने भविष्य की परियोजनाओं में अत्याधुनिक तकनीकों जैसे कि मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि इससे निर्माण के लिए अधिक कुशल डिजाइन और कम समयसीमा को लेकर सहायता मिलेगी।
राष्ट्रपति ने इस पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की कि एमईएस ने गुजरात के गांधीनगर में अब तक का पहला 3डी प्रिंटेड आवास का निर्माण पूरा कर लिया है। उन्होंने एमईएस अधिकारियों से बड़ी संख्या में ऐसी तकनीकों के उपयोग को लेकर प्रयास करने का अनुरोध किया, जो लागत प्रभावी हैं और बर्बादी से बचने में सहायता करती हैं। इसके अलावा राष्ट्रपति ने यथासंभव सामग्रियों के फिर से उपयोग को बढ़ावा देने का भी अनुरोध किया।
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