लखनऊ । गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा क्षेत्र के उप चुनाव की घोषणा होने के साथ ही सियासी हलचल बढ़ गई है। सत्ता और विपक्ष दोनों के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठापरक है। सत्तापक्ष के दो शीर्ष नेताओं की छोड़ी हुई सीट पर यह उप चुनाव हो रहा है इसलिए 2019 के लिहाज से इसकी अहमियत बढ़ गई है। यह अगले आम चुनाव का पूर्वाभ्यास भी होगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट के उप चुनाव के लिए आयोग ने शुक्रवार को कार्यक्रम जारी कर दिया। योगी और केशव की सीट जहां भाजपा के लिये प्रतिष्ठा का विषय है वहीं विपक्ष भी इसके जरिये 2019 का बिगुल बजाने की तैयारी में है। खासकर भाजपा के मुकाबले सपा और कांग्रेस ने ताल ठोकने का उपक्रम शुरू कर दिया है। बहुजन समाज पार्टी पहले भी उप चुनावों से दूर रही है इसलिए अबकी भी मैदान में न उतरने की संभावना है। बसपा की नामौजूदगी का लाभ उठाने के लिए विपक्ष और सत्तापक्ष दोनों की कोशिश होगी। विधानसभा चुनाव साथ लडऩे वाली कांग्रेस, सपा से मिलकर उप चुनाव भी लड़ सकती है। संभव है कि उप चुनाव में दोनों दल एक साथ खड़े हों और एक-एक सीट ले लें। हालांकि दोनों दलों के नेताओं का कहना है कि यह तो नेतृत्व को तय करना है।
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