पीएम आवास योजना के लाभार्थी को प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा पत्र; पक्के घर को बताया बेहतर कल की बुनियाद


लाभार्थियों के जीवन में आए ये यादगार पल ही राष्ट्र की सेवा में बिना थके, बिना रुके निरंतर कार्य करते रहने की प्रेरणा और ऊर्जा देते हैं: प्रधानमंत्री

“मकान केवल ईंट, सीमेंट से तैयार ढांचा नहीं बल्कि इससे हमारी भावनाएं, हमारी आकांक्षाएं जुड़ी होती हैं। घर की चहारदीवारी हमें सुरक्षा तो प्रदान करती ही है, साथ ही हमारे अंदर एक बेहतर कल का भरोसा और विश्वास भी जगाती है।” यह कहना है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जिन्होंने मध्य प्रदेश के सागर जिले के सुधीर कुमार जैन को पत्र लिखकर उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का घर मिलने पर बधाई दी है और साथ ही कहा है कि अपनी छत, अपना घर पाने की खुशी अनमोल होती है।

सुधीर को लिखे पत्र में प्रधानमंत्री ने आगे लिखा है, “प्रधानमंत्री आवास योजना के जरिए आपके अपने घर का सपना साकार हुआ है। इस उपलब्धि के बाद आपके अंदर जो संतोष का भाव है उसका आभास पत्र में आपके शब्दों से सहज ही हो जाता है। आपके परिवार के गरिमापूर्ण जीवन और दोनों बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए यह घर एक नए आधार की तरह है।”

साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि पीएम आवास योजना के तहत अब तक करोड़ों लाभार्थियों को अपना पक्का घर मिल चुका है। उन्होंने कहा कि सरकार हर जरूरतमंद परिवार को घर उपलब्ध कराने के लक्ष्य को लेकर पूरी प्रतिबद्धता के साथ तेज गति से आगे बढ़ रही है। पीएम ने कहा कि सरकार जन-कल्याण की विभिन्न योजनाओं के जरिए देशवासियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के ईमानदार प्रयास कर रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने सुधीर को लिखे पत्र में कहा है कि उन जैसे लाभार्थियों के जीवन में आए ये यादगार पल ही उन्हें राष्ट्र की सेवा में बिना थके, बिना रुके निरंतर कार्य करते रहने की प्रेरणा और ऊर्जा देते हैं।

दरअसल कुछ ही समय पहले पीएम आवास योजना के तहत सुधीर को अपना खुद का पक्का घर मिला है इसके लिए सुधीर ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर उन्हें धन्यवाद दिया था। सुधीर ने पीएम को लिखी चिट्ठी में पीएम आवास योजना को आवास विहीन गरीब परिवारों के लिए वरदान बताया था। सुधीर ने पत्र में लिखा था कि अब तक वे किराये के मकान में रह रहे थे और 6-7 बार मकान बदल चुके थे। उन्होंने बताया कि बार-बार मकान बदलने की पीड़ा क्या होती है, इसे वे भली भांति समझते हैं।

 

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