बिजली पारेषण परियोजनाओं में योजना और क्रियान्वयन प्रक्रिया का सरलीकरण तथा समग्र अवलोकन एक क्लिक में उपलब्ध
पीएम गतिशक्ति एनएमपी पोर्टल आयोजना, संविदा प्रक्रिया, कार्यान्वयन और स्वीकृति स्तरों में अहम भूमिका निभाता है
पोर्टल में उल्लिखित छह से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा समृद्ध राज्यों में नौ उच्च प्रभावी बिजली परियोजनाएं
प्रधानमंत्री ने अक्टूबर, 2021 में अवसंरचना विकास के लिये पीएम गतिशक्ति-राष्ट्रीय मास्टरप्लान का शुभारंभ किया था, जिसका उद्देश्य था कि विभिन्न मंत्रालयों/सुविधा केंद्रों तथा अवसंरचना योजना प्रक्रिया को एकीकृत परिकल्पना के तहत लाया जाये। इनमें राजमार्ग, रेलवे, विमानन, गैस, बिजली पारेषण, नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र आदि शामिल हैं। इस तरह की अभूतपूर्व पहल में देशभर के अवसंरचना विकास का खाका शामिल किया गया है, जिसमें आमतौर पर “बिजली” और खासतौर पर “पारेषण” को रखा गया है। इस तरह देश की ऊर्जा जीवन-रेखा मजबूत होती है।
यह पहल पूरी तस्वीर बदलकर रख देगी, क्योंकि इसके तहत विभिन्न आर्थिक जोनों के लिये बुनियादी ढांचे की बहुविध कनेक्टीविटी उपलब्ध होगी। इसके लिये बीआईएसएजी-एन, गुजरात द्वारा विकसित स्वदेशी इसरो इमेजरी से लैस उपग्रह आधारित उपकरणों जैसी उत्कृष्ट प्रौद्योगिकी को इस्तेमाल किया जायेगा। इस तरह “आत्मनिर्भर भारत” का लक्ष्य पूरा होगा।
देश अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने की तरफ बढ़ रहा है, तो ऐसी स्थिति में बुनियादी ढांचे और अर्थव्यवस्था के विकास में बिजली अहम भूमिका निभाती है। पीएम गतिशक्ति एनएमपी पोर्टल में “वन-क्लिक कॉम्प्रीहेन्सिव व्यू” से योजना बनाने और उसे लागू करने की प्रक्रिया सरल होगी तथा विद्युत पारेषण परियोजनाओं के क्रियान्वयन में लगने वाला समय व लागत में कमी आयेगी। इससे एकल डिजिटल प्लेटफॉर्म तथा बहुविध पोर्टल के जरिये लॉजिस्टिक्स की कुशलता में सुधार करने में भी मदद होगी।
बिजली पारेषण परियोजनाओं के विकास में, पीएम गतिशक्ति एनएमपी पोर्टल आयोजना, संविदा प्रक्रिया, कार्यान्वयन और स्वीकृति स्तरों में अहम भूमिका निभाता है। योजना बनाने के स्तर पर, पोर्टल इस्तेमाल करने वाले व्यक्तियों को निर्धारित पारेषण लाइन की अस्थायी लंबाई की पहचान करने तथा सब-स्टेशनों का स्थान पता करने में आसानी होगी। संविदा/बोली लगाने के स्तर पर, सर्वेक्षण एजेंसी प्रौद्योगिकीय रूप से बचत वाले सबसे बेहतर रूट के बारे में जानकारी लेगी। कार्यान्वयन की स्थिति में, वास्तविक हालात के आधार पर पारेषण लाइन के रूट को अंतिम रूप देने तथा सब-स्टेशनों का स्थान तय करने में सुविधा होगी। अंत में, स्वीकृति के स्तर पर एक ही स्थान से परियोजना को मंजूरी मिल जायेगी।
“वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड” के संदर्भ में प्रधानमंत्री के आह्वान ने मजबूत और विश्वसनीय पारेषण प्रणाली के लिये रास्ता खोल दिया है। इससे भारत की नवीकरणीय ऊर्जा महत्वाकांक्षाओं को समर्थन मिलेगा तथा साथ ही विश्वभर में नवीकरणीय ऊर्जा के विकास को गति मिलेगी। बिजली पारेषण, पूरे देश में नवीकरणीय ऊर्जा तथा बिजली परियोजनाओं के लिये बहुत अहम है। इन परियोजनाओं में से बिजली मंत्रालय ने नौ उच्च प्रभावी बिजली परियोजनाओं का काम हाथ में लिया है। इनमें 10 पारेषण लाइनें हैं, जो राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे नवीकरणीय ऊर्जा समृद्ध राज्यों में फैली हैं। परियोजनाओं का आवश्यक विवरण पोर्टल में दिया गया है। इसके लिये बुनियादी आंकड़ों पर आधारित आईएसटीएस पारेषण लाइन के अलग-अलग स्तर बनाये गये हैं, जैसे लाइन रूट, टावर का स्थान, सब-स्टेशन का स्थान, स्वामी का नाम, आदि।
पीएम गतिशक्ति के लक्ष्य के अनुपालन में पोर्टल पर “मौजूदा” अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली (आईएसटीएस) लाइनों का पूरा खाका दिया गया है, जो पूरे देश में फैली हैं। इनमें 90 प्रतिशत “निर्माणाधीन” आईएसटीएस लाइनें भी हैं, जिन्हें पोर्टल के साथ जोड़ दिया गया है। जब सम्बंधित पारेषण सेवा प्रदाता अपने सर्वेक्षण के बाद रूट को अंतिम रूप दे देंगे, तब शेष 10 प्रतिशत आईएसटीएस लाइनों को भी पोर्टल से जोड़ दिया जायेगा।
पीएम गतिशक्ति पोर्टल से आर्थिक जोनों को निर्बाध कनेक्टीविटी के मद्देनजर अवसंरचना आयोजना के लिये सुरक्षित, टिकाऊ, वहनीय और सहभागी नजरिये के माध्यम से देश में अवसंरचना विकास की अड़चनों को दूर करने में मदद मिलेगी। अब, पीएम गतिशक्ति एनएमपी पोर्टल तथा मंत्रालयों, सुविधा केंद्रों और अवसंरचना के लिये योजना सम्बंधी आमूल तथा समग्र दृष्टिकोण के आधार पर, हम एक राष्ट्र के रूप में विश्वसनीय “पावर टू ऑल” को कारगर बनाते हुये पांच ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ेंगे।
Comments are closed.