नई दिल्ली : पेट्रोल-डीजल की कीमतें आने वाले दिनों में और घट सकती हैं, क्योंकि भारत को ईरान के बाद एक और एशियाई महाशक्ति का साथ मिल गया है. संभावना जताई जा रही है कि रूस भारत को सप्लाई के लिए अपने कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ा सकता है. इससे भारत को क्रूड की किल्लत नहीं झेलनी पड़ेगी. उत्पादन बढ़ने से क्रूड की ऊंची कीमतें भी कम होंगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अपनी बैठक के दौरान कच्चे तेल की बढ़ती कीमत और घरेलू अर्थव्यवस्था पर उसके असर का मुद्दा उठाया.
पुतिन ने उन्हें आश्वस्त किया कि उनका देश वैश्विक कीमतों को स्थिर करने के लिए पेट्रोलियम का उत्पादन बढ़ा देगा. ईरान पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों को देखते हुए तेल की वैश्विक कीमतों में तेज वृद्धि से जुड़ी आशंकाओं के बीच इस मुद्दे पर चर्चा हुई.
ईरान से रुपए में कच्चा तेल मंगाएगा भारत
इस बीच, भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों ने ईरान से और 12.5 लाख टन कच्चे तेल के आयात के लिए अनुबंध किया है और वे डालर की जगह रुपये में व्यापार की तैयारी कर रही हैं.
इंडियन आयल कॉरपोरेशन (आईओसी) और मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोरसायन लि. (एमआरपीएल) ने नवंबर में ईरान से आयात के लिए 12.5 लाख टन तेल के लिए अनुबंध किया किया है. उसी माह से ईरान के तेल क्षेत्र पर पाबंदी शुरू होगी
अमेरिका भारत के लिए खोज रहा नए तेल उत्पादक देश
आशंका थी कि अमेरिका भारत को ईरान से कच्चा तेल नहीं खरीदने देगा. वह भारत को ऐसा करने से रोकने के लिए हर तरह का दबाव बना रहा है, लेकिन एशियाई देशों में बढ़ती एकता से अमेरिका के पसीने छूट रहे हैं.
अमेरिका भारत और इराक जैसे देशों के लिए ईरानी तेल का विकल्प खोजने के लिए अतिरिक्त प्रयास कर रहा है.
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने यहां व्हाइट हाउस में एक संवाददाता सम्मेलन में संवाददाताओं से कहा कि ट्रंप प्रशासन ने ईरान को लेकर भारत के सामने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है.
भारत या कोई और देश हो- विशेष रूप से जो ईरानी तेल का खरीददार रहा है- हम उनके लिए कहना चाहेंगे कि हम तेल के वैकल्पिक विक्रेता ढूढ़ने का पूरा प्रयास कर रहे हैं ताकि बाजार मूल्यों पर तेलों की वैकल्पिक आपूर्ति हो सके.
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