न्यूज़ डेस्क : कोरोना वायरस महामारी ने आम जीवन यापन कर रहे लोगों की जीविका पर गहरा असर डाला है। नौकरी में छटनी, वेतन में कटौती या लिक्विडिटी में कमी, इन सबके बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भारी तेजी से आम जन काफी परेशान है। इसी बीच भारतीय स्टेट रिफाइनर्स के ताजा आंकड़ें अपने आप में चौंकाने वाले हैं।
इन आंकड़ों की माने तो जुलाई के शुुरुआती 15 दिनों में पेट्रोल-डीजल की खपत में गिरावट देखी गई है। इन आंकड़ों की तुलना पिछले महीने के आंकड़ों से की गई है। देश के कुछ हिस्सों में नए सिरे से लॉकडाउन लगने और लोगों की आवाजाही पर रोक लगने की वजह से पेट्रोल-डीजल की खपत में गिरावट देखी गई है।
बता दें कि अप्रैल महीने में देश में तेल की मांग में जोरदार गिरावट आई थी, इसका कारण यह था कि कोरोना का काबू करने के लिए देश में लॉकडाउन लगाया गया था, जिसकी वजह से पूरा देश बंद हो गया था और आवाजाही पर पूरी तरह से रोक लग गई थी। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता है।
इंडियन ऑइल कॉर्प की ओर से जो आंकड़े एकत्रित किए गए हैं, उनके मुताबिक स्टेट रिफाइनर्स की डीजल बिक्री जुलाई के शुरुआती 15 दिनों में 18% घटकर 2.2 मिलियन टन रह गई है। बता दें कि स्टेट रिफाइनर्स, इंडियन ऑइल कॉर्प, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्प और भारत पेट्रोलियम कंपनियों का भारत के खुदरा ईंधन आउटलेट में लगभग 90 फीसदी हिस्सा है।
ऐसा बताया जाता है कि मई की शुरुआत में जब अनलॉक-1 लागू किया गया था, तो पेट्रोल और डीजल की खपत में मामूली तेजी देखी गई थी लेकिन जल्द ही पेट्रोल और डीजल के दाम आसमान छूने लगे, जिसका सीधा असर तेल की खपत में आई कमी में दिखा।
आंकड़ों की माने तो जुलाई के शुरुआती 15 दिनों में पेट्रोल की बिक्री में 6.7 फीसदी की गिरावट आई, इसकी तुलना जून के पहले 15 दिनों में हुई बिक्री से की गई है। बात करें पिछले साल की तो पिछले साल जुलाई के आंकड़ों की तुलना में ये गिरावट 12 फीसदी कम है।
जानकारों का कहना है कि देश में लगे दोबारा लॉकडाउन और पेट्रोल-डीजल की ज्यादा कीमतों की वजह से ईंधन की खपत में गिरावट आई है। बता दें कि शुक्रवार को डीजल सबसे उच्च स्तर 81.35 रुपये की कीमत पर बिक रहा था, जो पेट्रोल के मामले में थोड़ा ज्यादा है।
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