न्यूज़ डेस्क : एक हजार में से एक व्यक्ति को होती है बीमारी, सिविल अस्पताल, अहमदाबाद के अधीक्षक डॉ जे पी मोदी ने बताया कि वर्तमान में सिविल अस्पताल में इस बीमारी से पीड़ित करीब 10 मरीजों का इलाज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह बीमारी आम तौर पर एक हजार में से एक व्यक्ति में देखी जाती है, लेकिन यह बीमारी अब उन रोगियों में देखी जा रही है, जिन्हें कोबिड 19 संक्रमण था और वे अब उससे ठीक हो चुके हैं।
दो से छह सप्ताह में बढ़ता है रोग
डॉक्टरों के अनुसार कोरोना संक्रमितों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है, जिसके चलते मरीजों को टोक्सिलिजुमाब और रेमेडिसिविर इंजेक्शन दिया जाता है। डॉक्टरों की मानें तो इसने कोविड से उबरे रोगियों में ऐसे अधिक मामलों को जन्म दिया है। डॉक्टरों के अनुसार ग्यूलियन बेरे सिन्ड्रोम आमतौर पर दो से छह सप्ताह में बढ़ता है। अगर व्यक्ति किसी वायरल संक्रमण से पीड़ित होता है तो यह बीमारी 20 दिन बाद हो सकती है।
नई नहीं, पुरानी बीमारी है यह
डॉक्टरों का कहना है कि ग्यूलियन बेरे सिन्ड्रोम बीमारी कोई नई बीमारी नहीं है, बल्कि एक पुरानी बीमारी है। सिविल अस्पताल के एक डॉक्टर के अनुसार पोस्ट कोविड, ग्यूलियन बेरे सिन्ड्रोम अब उग्र हो गया है। इससे अब अंगों को लकवा माने की संभावना अधिक है, खासतौर पर बच्चों में। वहीं दूसरी ओर कोरोना से उबरने वाले कुछ लोग म्यूकोसल माइकोसिस से भी पीड़ित हैं।
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