न्यूज़ डेस्क : मशहूर उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर यानी एंटीलिया के बाहर विस्फोटकों से भरी कार मिलने का मामला लगातार उलझता जा रहा है। पहले मनसुख हिरेन की हत्या, फिर असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर सचिव वाजे की गिरफ्तारी और अब पुलिस कमिश्नर परमबीर का तबादला डीजी होमगार्ड पर कर दिया गया। इस रिपोर्ट में जानते हैं कि आखिर परमबीर सिंह को मुंबई पुलिस कमिश्नर की कुर्सी क्यों गंवानी पड़ी?
कौन हैं परमबीर सिंह?
बता दें कि 1988 बैच के आईपीएस परमबीर सिंह को संजय बर्वे की जगह मुंबई पुलिस कमिश्नर बनाया गया था। इससे पहले वह भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो यानी एसीबी के महानिदेशक थे। गौरतलब है कि परमबीर को अंडरवर्ल्ड स्पेशलिस्ट भी माना जाता है।
तीन दिन से हो रही थी हटाने की चर्चा
जानकारी के मुताबिक, परमबीर सिंह को हटाने की चर्चा तीन दिन से हो रही थी। एंटीलिया मामले को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी लगातार मंत्रियों और अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे थे। सूत्रों के मुताबिक, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी मुख्यमंत्री से मुलाकात करके परमबीर को हटाने पर सहमति जाहिर की थी। ऐसे में परमबीर सिंह का जाना पहले ही तय हो चुका था।
इन वजहों से हटाए गए परमबीर
बता दें कि एंटीलिया केस में सचिन वाजे की गिरफ्तारी के बाद परमवीर सिंह पर कई आरोप लगे थे। कहा जा रहा है कि सचिन वाजे 16 साल तक सस्पेंड थे, जिन्हें 6 जून 2020 को परमबीर सिंह के आदेश पर ही दोबारा असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर के पद पर बहाल किया गया। सूत्रों का कहना है कि ड्यूटी ज्वाइन करने के कुछ ही दिनों बाद सचिन वाजे को क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट के प्रमुख जैसे महत्वपूर्ण पद पर तैनात कर दिया गया। इस मामले में भाजपा भी आरोप लगा चुकी है। भाजपा नेताओं का कहना है कि सरकार के हस्तक्षेप के चलते कई वरिष्ठ अधिकारियों के होने के बावजूद परमबीर सिंह ने सचिन वाजे को अहम पद दे दिया।
इन अहम मामलों की जांच भी वाजे को सौंपी
जानकारी के मुताबिक, परमबीर सिंह ने चर्चित टीआरपी घोटाला, इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक की आत्महत्या मामले में अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार करने, कंगना व ऋतिक के बीच ईमेल विवाद और रैपर बादशाह के फेक फॉलोवर बढ़ाने जैसे अहम मामलों की जांच सचिन वाजे को सौंप दी थी, जबकि ये सभी मामले उनके अधिकार क्षेत्र में आते ही नहीं थे। इसके अलावा एंटीलिया के बाहर विस्फोटक मिलने का केस भी परमबीर सिंह के कहने पर ही शुरुआत में सचिन वाजे को सौंपा गया। सूत्रों का कहना है कि नियम के मुताबिक, सीआईए प्रमुख होने के बावजूद सचिन वाजे की रिपोर्टिंग सीनियर इंस्पेक्टर या डीसीपी को होनी चाहिए थी, लेकिन वह हर मामले में परमबीर सिंह को ही रिपोर्ट करते थे।
इस वजह से मशहूर हुए परमबीर सिंह
गौरतलब है कि मालेगांव ब्लास्ट की जांच के दौरान साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की गिरफ्तारी के बाद परमबीर सिंह चर्चा में आए थे। उस वक्त एटीएस चीफ हेमंत करकरे थे, लेकिन इस मामले की जांच परमबीर सिंह के पास थी और उन्होंने ही प्रज्ञा ठाकुर पर शिकंजा कसा था। बता दें कि परमबीर सिंह एटीएस में डिप्टी आईजी के पद पर भी रह चुके हैं। इसके अलावा चंद्रपुर और भंडारा के जिला पुलिस अधीक्षक भी रह चुके हैं।
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