न्यूज़ डेस्क : भारतीय (ओवर-द-टॉप) ओटीटी बाजार वर्ष 2030 तक 12.5 अरब डॉलर को पार कर जाएगा जो वर्तमान में 1.5 अरब डॉलर का है। सलाहकार कंपनी आरबीसीए की एक रिपोर्ट के अनुसार इंटरनेट तंत्र के मजबूत होने और डिजटल संपर्क के बढ़ने से ओटीटी बाजार को मजबूती मिलेगी। रिपोर्ट में कहा गया कि ओटीटी बाजार में अब वृद्धि टियर दो, तीन और चार शहरों समेत भारतीय भाषा बोलने वाली आबादी से देखने को मिलेगी।
उसने कहा, ‘इंटरनेट, डिजिटल संपर्क और स्मार्टफोन के चलते ओटीटी उद्योग में आक्रामक वृद्धि देखी जा रही है। भारत में ओटीटी प्लेटफॉर्म दैनिक आधार पर ग्राहकों को तेजी से आकर्षित कर रहे हैं। डिज़्नी प्लस हॉटस्टार, अमेजन प्राइम वीडियो और नेटफ्लिक्स के अलावा इस क्षेत्र में अब स्थानीय और क्षेत्रीय ओटीटी कंपनियों का भी दबदबा दिख रहा है।’
रिपोर्ट ने कहा कि भारतीय ओटीटी बाजार वर्ष 2021 में 1.5 अरब डॉलर के मुकाबले वर्ष 2025 में चार अरब डॉलर और वर्ष 2030 में 12.5 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा।
वित्त वर्ष 2021-22 में सेवाओं का निर्यात 10 प्रतिशत बढ़ सकता है: एसईपीसी
सेवाओं का निर्यात वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान पेशेवर और प्रबंधन परामर्श, ऑडियो-दृश्य, माल परिवहन और दूरसंचार सेवाओं के अच्छे प्रदर्शन से दस प्रतिशत बढ़ सकता है। सेवा निर्यात संवर्धन परिषद (एसईपीसी) ने यह जानकारी दी। एसईपीसी चेयरमैन मानेक डावर ने कहा कि कोविड महामारी के बावजूद बीते वित्त वर्ष के दौरान इस क्षेत्र में निर्यात केवल तीन प्रतिशत घटकर 205.27 अरब डॉलर रहा।
उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, हमें विश्वास है कि हम फिर से उच्च वृद्धि का अनुभव करेंगे क्योंकि 2021-22 में सेवाओं के निर्यात में 10 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। उन्होंने कहा कि पेशेवर और प्रबंधन परामर्श सेवाएं, ऑडियो-दृश्य, माल परिवहन सेवाएं, दूरसंचार, कंप्यूटर और सूचना सेवा में अच्छे प्रदर्शन से सेवाओं का निर्यात बढ़ सकता है।
डावर ने कहा कि लदान को बढ़ावा देने के लिए सरकार को आगामी विदेश व्यापार नीति में एक प्रोत्साहन योजना बनानी चाहिए जो परिणाम के लिए लक्षित हो और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम का समर्थन करे। उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2019-21 में सेवाओं का निर्यात 214.61 अरब डॉलर तथा वित्त वर्ष 2018-19 में यह 205.79 अरब डॉलर था।
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