इदौर, 5 मई, 2019. कई ऐसे रोग हैं जिन्हें लेकर हमारे देश में अब भी अंधविश्वास और भ्रान्ति का माहौल है. मिर्गी की बीमारी भी इनमें से एक है. बजाय सही इलाज अपनाने के इस बीमारी में लोग झाड़-फूंक करने या अजीब उपाय अपनाने में लग जाते हैं. कई लोग इसे छूत की बीमारी मानते हैं. अधिकांश लोग यह जानते ही नहीं कि मिर्गी की बीमारी का इलाज सम्भव है. लापरवाही और इलाज में देरी से स्थिति गंभीर हो सकती है. खासकर बच्चों में मिर्गी की बीमारी का यदि सही समय पर इलाज हो और सावधानियां रखी जाएँ तो बड़े होने पर उन्हें स्वस्थ और सुरक्षित जीवन देने में काफी मदद मिल सकती हैl
Related Posts
मेदांता अस्पताल इंदौर द्वारा इसी गंभीर विषय पर एक विशेष आयोजन ‘चाइल्डहुड एपिलिप्सी अवेयरनेस प्रोग्राम’ किया गया. इसमें विशेषज्ञों ने उपस्थित थेरेपिस्ट्स, पैरेंट्स, स्पेशल एजुकेटर्स तथा बच्चों की विशेष देखभाल करने वालों को बच्चों में मिर्गी के दौरों, इसके इलाज और सावधानियों से जुड़े बहुत महत्वपूर्ण मुद्दों पर जानकारी प्रदान की. विशेषज्ञों की इस टीम में डॉ. रजनीश कचारा, डॉ. रचना दुबे गुप्ता, डॉ. वरुण कटारिया, डॉ, वी वी नाडकर्णी, डॉ. भारत रावत तथा डॉ. रमन शर्मा मौजूद रहे l
गौरतलब है कि बच्चों में मिर्गी की बीमारी दुनियाभर में मौजूद एक बहुत आम समस्या है. भारत जैसे विकासशील देशों में इसका प्रतिशत और भी अधिक है. यह बीमारी अनुवांशिक भी हो सकती है या फिर गर्भावस्था या बचपन में दिमाग को पहुंचा किसी प्रकार का नुक्सान इसके पीछे की आम वजह हो सकती है. गंदगी की वजह से होने वाले इंफेक्शन भी इस बीमारी का कारण बन सकते हैं. जागरूकता बढ़ाने वाले इस कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने मिर्गी के दौरों या सीज़र्स के बारे में भी बताया जिन्हें सामान्य भाषा में झटका या चमक भी कहा जाता है. दौरे के समय मरीज के पूरे शरीर पर भी असर पड़ सकता है, उसकी आँखें पलट सकती हैं या वह पूरी तरह सुन्न भी पड़ सकता हैl
अच्छी बात यह है कि आज मिर्गी का और भी अच्छा और सटीक इलाज मौजूद है जिससे इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है. करीब 60-70 प्रतिशत मरीज मात्र एक दवाई से ही बीमारी को कंट्रोल में कर लेते हैं जबकि बाकी मरीजों को एक से ज्यादा दवाइयों की जरूरत हो सकती है. मात्र कुछ ही प्रतिशत मामले ऐसे होते हैं जिनके लिए सर्जरी या अन्य थैरेपी की जरूरत पड़ती है. अधिकांश मामलों में बच्चे बीमारी पर नियंत्रण पाने के बाद सामान्य बच्चों की तरह स्वीमिंग, साइकिलिंग, स्केटिंग आदि कर सकते हैं. बस इस दौरान सिर को चोट से बचाने के लिए सुरक्षा साधनों को जरूर अपनाएँ।
कार्यक्रम में डॉक्टर्स ने खासतौर पर मिर्गी के दौरों को पहचानने और इनकी जानकारी रखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस बीमारी को किसी अंधविश्वास से जोड़कर इलाज नहीं करवाने से बच्चे की जान को खतरा भी हो सकता है. इसलिए गलत और सुनी सुनाई बातों पर विश्वास करने की बजाय सही जानकारी और इलाज को अपनाना आवश्यक है.
Comments are closed.