न्यूज़ डेस्क : मध्यप्रदेश में सरकारी नौकरियों को लेकर आने वाले दिनों में नए नियम लागू हो सकते हैं। इसके तहत प्रदेशवासियों को राज्य में मिलने वाली सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता मिल सकती है या फिर राज्य की सरकारी नौकरियों पर केवल प्रदेश के युवाओं का ही अधिकार होगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को इसके संकेत दिए।
शिवराज सिंह चौहान ने ट्विटर पर एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि ‘‘आज मध्यप्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला किया है। प्रदेश की शासकीय नौकरियां अब केवल राज्य के बच्चों को ही दी जाएगी। इसके लिए हम आवश्यक कानूनी प्रावधान कर रहे हैं।’’
चौहान ने कहा कि “मेरे प्यारे भांजे-भांजियों! आज से मध्यप्रदेश के संसाधनों पर पहला अधिकार मध्यप्रदेश के बच्चों का होगा। सभी शासकीय नौकरियां सिर्फ मध्यप्रदेश के बच्चों के लिए ही आरक्षित रहेंगी। हमारा लक्ष्य प्रदेश की प्रतिभाओं को प्रदेश के उत्थान में सम्मिलित करना है।”
वहीं, शिवराज सिंह ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। जिसमें उन्होंने 15 अगस्त 2020 के अपने संबोधन में की गई घोषणाओं के क्रियान्वयन को लेकर आवश्यक निर्देश दिए।
बता दें कि अब तक राज्य में की भर्ती के लिए पूरे देश से आवेदन मांगे जाते थे। इसमें कोई बंदिश नहीं थी, नौकरियों के लिए देशभर से कोई भी आवेदन कर सकता था। हाल ही में जेल प्रहरी भर्ती का विज्ञापन भी देश स्तर पर निकाला गया था। इसे लेकर मध्यप्रदेश के युवाओं ने काफी विरोध भी किया था।
कमलनाथ सरकार ने उद्योगों की नौकरियों में दिलाई थी प्राथमिकता
इससे पहले कमलनाथ सरकार ने उद्योगों में 70 प्रतिशत रोजगार स्थानीय लोगों को देना अनिवार्य कर दिया था। कमलनाथ सरकार के फैसले के मुताबिक, राज्य में लगने वाले उद्योगों में 70 फीसदी नौकरी मध्यप्रदेश के मूल निवासियों के लिए अनिवार्य कर दिया गया था। इसके तहत शासकीय योजनाओं, टैक्स में छूट का फायदा उद्योगपति को तभी मिलेगा जब वो 70 फीसदी रोजगार मध्यप्रदेश के लोगों को देंगे।
कांग्रेस ने कहा- दिग्विजय का फैसला दोहराया
कांग्रेस ने शिवराज सरकार के इस फैसले को लेकर कहा कि इसे कांग्रेस की दिग्विजय सिंह सरकार ने ही शुरू किया था, लेकिन भाजपा की सरकार आने के बाद इसे बदल दिया गया था।
बिहार की तर्ज पर ओवरएज उम्मीदवारों ने की आयु सीमा बढ़ाने की मांग
मध्यप्रदेश में पुलिस भर्ती के लिए तीन साल से इंतजार कर रहे उम्मीदवारों का कहना है कि ‘भर्ती की तैयारी में लाखों युवा ओवरएज हो चुके हैं।’ ऐसे में अब ये उम्मीदवार पुलिस में भर्ती के लिए अधिकतम आयु 37 वर्ष करने और जल्द से जल्द भर्ती निकालने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि शिवराज सरकार को भी बिहार की तरह निर्णय लेकर प्रदेश के युवाओं को राहत देनी चाहिए।
उम्मीदवारों का कहना है कि ‘भर्ती समय पर नहीं निकालने में प्रदेश के युवाओं का दोष नहीं है, इसलिए अधिकतम आयु बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। यदि आयु सीमा नहीं बढ़ी तो दो लाख से अधिक ऐसे उम्मीदवार आने वाली भर्ती में शामिल नहीं हो पाएंगे, जो बीते सालों से पुलिस भर्ती परीक्षा की तैयारी में जुटे हैं।’
बिहार पुलिस में भर्ती के लिए नीतीश सरकार ने बढ़ाई थी आयु सीमा
बिहार में सब-इंस्पेक्टर की भर्ती लंबे समय से नहीं हुई थी, इसलिए वहां के उम्मीदवारों ने आयु बढ़ाने की मांग की तो बिहार सरकार ने अपने मूल निवासियों के हित में निर्णय लिया था। नीतीश सरकार ने वर्ष 2016-17 में एसआई भर्ती के लिए अधिकतम उम्र 37 वर्ष कर दी थी। यह अभी भी वहां बरकरार है।
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