खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा पीएमएफएमई योजना के तहत किसान भागीदारी प्राथमिकता हमारी अभियान, 2022 के मद्देनजर ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ (ओडीओपी) कार्यशाला का आयोजन

आज़ादी का अमृत महोत्सव के संदर्भ में देश प्रगतिशील भारत, उसके समृद्ध इतिहास, संस्कृति और महान उपलब्धियों के 75 गौरवशाली वर्ष मना रहा है। इसी क्रम में “किसान भागीदारी प्राथमिकता हमारी” अभियान का आयोजन 25 अप्रैल, 2022 से 30 अप्रैल, 2022 तक किया जा रहा है।

अभियान के अंग के रूप में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने प्रधानमंत्री फार्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइसेज (पीएमएफएमई) योजना के तहत जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में अखरोट के प्रसंस्करण तथा मूल्यसंवर्धन पर ओडीओपी आधारित कार्यशाला का आयोजन किया।

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कार्यक्रम का उद्घाटन किश्तवाड़ के उपायुक्त श्री अशोक कुमार शर्मा ने किया। ओडीओपी कार्यशाला का उद्देश्य था कि सभी खाद्य-तकनीक हितधारकों के लिये मंच प्रदान करना, जहां वे किश्तवाड़ जिले में अखरोट के प्रसंस्करण में नई तकनीकों के बारे में जान सकें और चर्चा कर सकें।

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जम्मू-कश्मीर के उद्यान विज्ञान (योजना और विपणन) निदेशक श्री विशेष पॉल महाजन ने उद्घाटन व्याख्यान दिया। उन्होंने सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के महत्त्व को रेखांकित किया और कहा कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देता है तथा पीएमएफएमई योजना के जरिये सरकार देश में खाद्य प्रसंस्करण को प्रोत्साहित करने के लगातार प्रयास कर रही है। कार्यक्रम का संचालन किश्तवाड़ के जिला नोडल अधिकारी श्री सुनील सिंह ने किया।

कार्यशाला में उद्योग जगत के दिग्गज उपस्थित थे, जिन्होंने सूक्ष्म-उद्यमों और किसानों के बारे में अपने विचार प्रकट किये, ताकि घरेलू तथा विश्वस्तर पर अखरोट-आधारित उत्पादों को बढ़ावा मिल सके।

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विशिष्ट वक्ताओं में किश्तवाड़ के उपायुक्त श्री अशोक कुमार शर्मा और किश्तवाड़ के उद्यान-विज्ञान विभाग के एसएमएस (पीपी) डॉ. बृज पॉल ने जिले के लिये ओडीओपी की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर किश्तवाड़ के उपायुक्त ने बागबानों/किसानों से अपील की कि वे आगे आयें तथा विभागों द्वारा चलाई जाने वाली योजनाओं के कार्यान्वयन में सक्रिय भूमिका निभायें, ताकि इन किसानों की आय में वृद्धि हो सके। किश्तवाड़ के उपायुक्त ने यह भी बताया कि जिला प्रशासन जिले में आदर्श “मंडी” स्थापित करने के लिये काम कर रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग के बगल में 50 कनाल जमीन को मंडी बनाने के लिये चिह्नित किया गया है, जहां उत्पादों को प्रस्तुत करने, बिक्री और उसके विपणन का साझा मंच उपलब्ध होगा। इसके जरिये किसानों को देश स्तर पर पहुंच मिलेगी।

डीआईसी, किश्तवाड़ के महाप्रबंधक श्री खालिद मलिक ने “पोटेंशियल अपॉरट्यूनिटीज एंड टेक्नोलॉजीस फॉर माइक्रो आंत्रप्रन्योर्स” (सूक्ष्म-उद्यमियों के लिये अवसर और सक्षम प्रौद्योगिकियां) सत्र का संचालन किया।

एसकेयूएएसटी-के से सम्बंधित खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रभाग के प्रमुख डॉ. सईद ज़मीर हुसैन ने “स्कोप एंड फ्यूचर स्ट्रेटेजीस फॉर प्रोसेसिंग एंड वैल्यू एडीशन ऑफ वॉलनट्स इन जे-एंड-के, पर्टीकुलरली इन डिस्ट्रिक्ट किश्तवाड़” (जम्मू-कश्मीर, विशेषकर किश्तवाड़ जिले में अखरोट के प्रसंस्करण और मूल्यसंवर्धन के लिये भावी रणनीतियां और संभावनायें) सत्र का संचालन किया।

किसान भागीदारी प्राथमिकता हमारी अभियान के तहत ओडीओपी कार्यशाला, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की अपनी विशेष पहल है। इसके लिये विशिष्ट औद्योगिक विशेषज्ञों का समर्थन प्राप्त है, जो जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के किसानों को शिक्षित कर रहे हैं और उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं, ताकि मौजूदा परिदृश्य के मद्देनजर अखरोट के प्रसंस्करण सम्बंधी खाद्य व्यापार को बढ़ाने के उद्देश्य से लिये गये निर्णयों को जमीन पर उतारा जा सके।

विशिष्ट मेहमान वक्ताओं की भागीदारी के अलावा, कार्यक्रम में केंद्र शासित प्रदेश के लगभग 300 किसानों, बागबानों और सरकारी अधिकारियों सहित खाद्य प्रसंस्करण सूक्ष्म-उद्योगों के लोगों ने हिस्सा लिया। इसका प्रत्यक्ष आयोजन सफलतापूर्वक किया गया और इसमें हितधारकों ने भारी संख्या में भाग लिया।

 

पीएमएफएमई योजना के बारे में:

आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत प्रधानमंत्री फार्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइसेज (पीएमएफएमई) योजना केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना है, जिसका उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के असंगठित वर्ग में मौजूदा वैयक्तिक सूक्ष्म-उद्यमों की प्रतिस्पर्धा क्षमता को बढ़ाना तथा इस सेक्टर के औपचारिकीकरण को प्रोत्साहन देना और किसान उत्पादक संगठनों, स्वसहायता समूहों व उत्पादक सहकारिताओं सहित पूरी मूल्य श्रृंखला को समर्थन देना है। इस सम्बंध में 2020-21 से 2024-25 तक की पांच वर्षीय अवधि के लिये 10 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। योजना के तहत दो लाख सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को सीधे मदद मिलेगी, जिसमें वित्तीय, तकनीकी और व्यापारिक मदद शामिल है। यह मदद मौजूदा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के उन्नयन के लिये दी जायेगी।

अधिक विवरण के लिये देखें: https://pmfme.mofpi.gov.in/pmfme/#/Home-Page

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