एक देश -एक चुनाव होगा कमिटी का गठन

न्यूज़ डेस्क : ‘एक देश एक चुनाव’ के मुद्दे पर समयबद्ध सुझाव देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक समिति का गठन करेंगे। यह बात रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कही। वह सर्वदलीय बैठक के बाद मीडिया को संबोधित कर रहे थे। रक्षा मंत्री ने कहा कि अधिकांश दलों ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन किया है।
 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमने बैठक में 40 राजनीतिक दलों को न्योता भेजा था, इनमें से 21 दलों के अध्यक्ष बैठक में उपस्थित हुए और तीन दलों ने अपने विचार लिखित में भेजे हैं। उन्होंने कहा कि एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर अपने सुझाव देने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा।  

सिंह ने कहा, ‘संसद में कामकाज बढ़ाने पर सभी राजनीतिक दलों में आम सहमति बनी। यह भी कहा गया है कि संसद में संवाद और वार्तालाप का माहौल बना रहना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि ज्यादातर सदस्यों ने एक देश, एक चुनाव के मुद्दे पर समर्थन दिया। भाकपा और माकपा ने थोड़ी बहुत मतभिन्नता जाहिर की। उनका कहना था कि यह कैसे होगा, हालांकि उन्होंने एक राष्ट्र, एक चुनाव का सीधे तौर पर विरोध नहीं किया।

उन्होंने कहा कि बैठक में प्रधानमंत्री ने यह निर्णय भी किया कि एक समिति का गठन किया जाएगा जो निर्धारित सीमा में सभी पक्षों के साथ विचार-विमर्श कर अपनी रिपोर्ट देगी। प्रधानमंत्री समिति बनाएंगे और फिर इसका ब्योरा जारी किया जाएगा।’ 

कांग्रेस और कई अन्य दलों के इस बैठक में शामिल नहीं होने के बारे में पूछे जाने पर रक्षा मंत्री ने कोई टिप्पणी नहीं की। उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र, एक चुनाव का मुद्दा सरकार का नहीं बल्कि देश का एजेंडा है। उन्होंने कहा, ‘बैठक में शामिल कई दलों ने इस बात पर जोर दिया कि महात्मा गांधी के विचारों के बारे में नई पीढ़ी को बताया जाना चाहिए। इसके लिए 150वीं जयंती का आयोजन एक बेहतरीन मौका है। इस पर सभी दलों ने सकारात्मक रुख दिखाया और इसकी सराहना की।’ 

सिंह के मुताबिक बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देशवासियों के लिए महात्मा गांधी के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जो आजादी की लड़ाई के समय थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जल प्रबंधन की जरूरत पर भी जोर दिया।

सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी, जद (यू) के अध्यक्ष नीतीश कुमार, लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान, आरपीआई अध्यक्ष रामदास अठावले और अपना दल (एस) अध्यक्ष आशीष पटेल भी शामिल हुए। सूत्रों के मुताबिक शिवसेना का स्थापना दिवस होने के कारण उद्धव ठाकरे इसमें शामिल नहीं हो सके।
 

बैठक में शामिल हुए मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी (माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने इस विचार को लोकतंत्र विरोधी और राज्य विरोधी बताया है। येचुरी ने कहा कि यह व्यवस्था संसदीय लोकतांत्रित व्यवस्था की जड़ पर चोट करने वाला है। उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ करवाने का मतलब सरकार की जवाबदेही तय करने के लिए बनी संवैधानिक योजना से खिलवाड़ करना है।’ 

माकपा ने इस विचार का विरोध करते हुए कहा कि एक साथ होने वाले चुनाव राज्यपाल की भूमिका के साथ व्यवस्था में केंद्र की दखलअंदाजी को बढ़ाएंगे। येचुरी ने कहा, ‘लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ करवाने में आने वाली तकनीकी समस्याओं के अलावा हम यह मानते हैं कि यह मूल रूप से राज्य विरोधी और लोकतंत्र विरोधी है।

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