न्यूज़ डेस्क : अपने परिवार के मामले में हमारे टेलीविजन एक्टर्स भी बिल्कुल हमारी तरह ही हैं। जब भी वो अपने पैरेंट्स के साथ गुजारी गईं कुछ खूबसूरत यादें ताजा करते हैं, तो उनके अंदर का बच्चा जाग उठता है। इस फादर्स डे पर क्यों रिश्तों में कट्टी बट्टी‘ के सिद्धांत वीर सूर्यवंशी और नेहा मार्दा, तुझसे है राब्ता के सेहबान अज़ीम, रीम शेख और वैदिका सेंजलिया, हमारीवाली गुड न्यूज़ के राघव तिवारी, कुर्बान हुआ की प्रतिभा रांटा, कुंडली भाग्य की रूही चतुर्वेदी और अभिषेक कपूर और अपना टाइम भी आएगा की विवाना सिंह जैसे ज़ी टीवी के कलाकारों ने अपने-अपने पिताओं से जुड़ी कुछ खास यादें ताजा कीं, साथ ही जिंदगी में अपना मार्गदर्शन करने के लिए अपने पिताओं को धन्यवाद दिया। आइए जानते हैं क्या कहते हैं ये सितारे।
ज़ी टीवी के ‘क्यों रिश्तों में कट्टी बट्टी‘ में कुलदीप का रोल निभा रहे सिद्धांत वीर सूर्यवंशी कहते हैं, ‘‘लॉकडाउन के दौरान अपने घर पर रहना किसी के लिए भी आसान नहीं था, और बच्चों के लिए तो यह और भी मुश्किल था। मेरे बच्चे बिल्कुल खुश नहीं थे, क्योंकि वो हमेशा निगरानी में रहते थे और घर पर ज्यादा शरारत नहीं कर पाते थे। मैं उनके साथ थोड़ा सख्त रहता हूं। मैं और मेरी पत्नी घर पर बच्चों के साथ एक खास तरह के अनुशासन में यकीन रखते हैं, लेकिन हम उनकी परवरिश का मजा भी लेते है। बीते कुछ महीनों में मुझे महसूस हुआ कि मेरे बच्चे मुझे देख-देखकर थक गए थे। वो लगातार मुझसे पूछते थे कि मैं शूटिंग कब शुरू करूंगा, ताकि वो अपनी शरारतें फिर शुरू कर सकें (हंसते हुए)। अब जबकि मैं अक्सर ‘क्यों रिश्तों में कट्टी बट्टी‘ की शूटिंग में व्यस्त रखता हूं तो मैं उन्हें काफी मिस करता हूं। मैं गर्व से कह सकता हूं कि पिता होना मेरी जिंदगी की सबसे अच्छी बात है।‘‘
ज़ी टीवी के शो ‘तुझसे है राब्ता‘ में मल्हार का रोल निभा रहे सेहबान अज़ीम कहते हैं, ‘‘मुझे नहीं लगता कि इन सालों में अपने पिता के साथ बिताए गए केवल एक पल ने मेरी जिंदगी बदली है। मेरे पिता ने मेरे लिए एक मिसाल कायम करते हुए अपनी जिंदगी जी है, और इसी बात ने इन वर्षों में जिंदगी और समाज के प्रति मेरा नजरिया पूरी तरह बदल दिया है। अपनी परवरिश के दिनों में हम सभी सीखते हैं और उस समय हम पर अपने पेरेंट्स का सबसे ज्यादा प्रभाव होता है। जब हमारे पास कुछ नहीं था, तब भी उनकी मेहनत, लगन, ईमानदारी और कभी हार ना मानने वाले एटीट्यूड ने मुझ पर काफी असर डाला। मंैने उन्हें देखते हुए जो भी सीखा और उन्होंने मुझे जो भी सिखाया, वो अब मेरा जीने का तरीका बन गया है और मैं इसके लिए हमेशा उनका शुक्रगुजार रहूंगा।‘‘
ज़ी टीवी के क्यों रिश्तों में कट्टी बट्टी में शुभ्रा का रोल निभा रहीं नेहा मार्दा कहती है, ‘‘जब मैं बड़ी हो रही थी, तब मेरे पिता ने कभी मुझे सीधे तौर पर जिंदगी का सबक नहीं सिखाया, जिसे मैं याद रख सकूं, लेकिन इन सालों में उन्होंने मेरे लिए ऐसी मिसालें पेश कीं, जहां उन्होंने अपनी शर्तों पर जिंदगी जी, और इससे मुझे काफी मदद मिली। ऐसा भी वक्त आया, जब मुझे इस बात का एहसास ही नहीं हुआ कि उन्होंने मुझे इतना कुछ सिखाया है, जिससे मुझे जिंदगी में आगे बढ़ने में मदद मिली। मेरे पिता हमेशा कहते थे कि जिंदगी में परिवार सबसे जरूरी है, और इस महामारी के दौरान मैंने ये बात महसूस की है। हम साथ मिलकर इतना वक्त गुजारते हैं और हमारे पास बात करने, सीखने और शेयर करने के लिए इतना कुछ होता है कि इससे हमारा रिश्ता पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो गया है। मैं उन्हें और बाकी सारे पिताओं को हैप्पी फादर्स डे कहना चाहूंगी।‘‘
ज़ी टीवी के कुर्बान हुआ में चाहत का रोल निभा रहीं प्रतिभा रांटा ने कहा, ‘‘मैं अपने दादा-दादी के बीच पली-बढ़ी हूं और इसलिए मेरे दादा मेरे लिए पिता की तरह रहे हैं। उनके संघर्ष की कहानी हमेशा मुझे प्रेरित करती रही है कि कैसे उन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए अपने परिवार से लड़ाई की थी। उन्होंने मुझे डांस करना सिखाया! आज अगर मुझे डांस करना बहुत अच्छा लगता है और मैं इसे एंजॉय करती हूं, तो ये सिर्फ उनकी वजह से है। जब भी मुझे जिंदगी में कुछ कठिन फैसले लेने होते थे तो वो मेरी मदद करते और मुझे सही राह दिखाते। आज भी जब मैं अपने दादू को कॉल करके बताती हूं कि मैं उन्हें कितना मिस करती हूं तो वो मुझसे कहते हैं कि उन्हें मेरी उपलब्धियों पर कितना गर्व और खुशी है। मुझे लगता है कि ये बात मुझे और मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है। मेरे पिता हमेशा मेरे सपोर्टिव रहे और उन्होंने मुझे कभी वो करने से नहीं रोका, जो मैं करना चाहती हूं। उन्होंने वो हासिल करने में मेरी मदद की, जो आज मैंने पाया है।‘‘
ज़ी टीवी के तुझसे है राब्ता में उत्तरा का रोल निभा रहीं वेदिका सेंजलिया कहती हैं, ‘‘मेरे पिता ने शून्य से अपना करियर शुरू किया था और आज वो गुजरात के सबसे बड़े बिजनेसमैन में से एक हंै। मुझे अब भी याद है, जब मैं छोटी थी तो मैं हमेशा उनसे पूछा करती थी कि वो इतने व्यस्त क्यों रहते हैं और इतना काम क्यों करते हैं और अब जाकर मुझे पता चला कि ऐसा क्यों था! वो परिवार में हम सभी के लिए एक प्रेरणा हैं। आज भी जब हम उनके साथ वक्त बिताते हैं, तो उनसे जिंदगी के बारे में कुछ नई चीजें सीखने को मिलती हैं। मैं एक ऐसी इंडस्ट्री में हूं, जहां धैर्य और मेहनत की बहुत जरूरत है और ये दोनों ही गुण मुझे मेरे डैड से मिले हैं। एक रूढ़िवादी परिवार से होने के नाते हमारे घर में बेटियों को बाहर काम करने की इजाजत नहीं थी, लेकिन मेरे पिता ने कभी मुझे अपने सपने पूरे करने से नहीं रोका और हमेशा मुझे मेहनत करने के लिए बढ़ावा दिया। वो कहते थे कि अपने दिल की सुनो, लेकिन अपना सर्वश्रेष्ठ दो और कभी हार मत मानो। उन्होंने मुझे हमेशा आगे बढ़ने का हौसला दिया और आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया। मेरे पिता वाकई मेरे सुपर हीरो हैं और मैं उन्हें बहुत चाहती हूं।‘‘
ज़ी टीवी के तुझसे है राब्ता में कल्याणी का रोल निभा रहीं रीम शेख कहती है, ‘‘मेरे डैड हमेशा मेरे बेस्ट फ्रेंड और मेरे फूडी पार्टनर रहे हैं। उनके साथ मेरी सबसे बढ़िया यादें तब की हैं, जब हम दोनों मिलकर सारी रात मुंबई में घूमते थे। हमें शहर के हर एक फूड स्टॉल के बारे में पता था और हम इन्हीं स्टॉल्स पर खाने के लिए जाते थे। हम लगभग हर रात लॉन्ग ड्राइव पर जाते थे, और मुंबई में हमारा आज तक का फेवरेट स्पॉट है हाजी अली की दरगाह। अपनी परवरिश के दिनों से लेकर अब तक, हम दोनों को एक दूसरे के गहरे राज मालूम हैं और हम लगभग पूरी तरह यह जानते हैं कि एक दूसरे की जिंदगी में क्या हो रहा है। मैं अपने आसपास हो रही सभी चीजों को लेकर उन्हें अपडेट देना पसंद करती हूं, क्योंकि वो मेरे सबसे करीब जो हैं। मैं उन्हें हैप्पी फादर्स डे विश करना चाहूंगी।‘‘
ज़ी टीवी के हमारीवाली गुड न्यूज़ में आदित्य का रोल निभा रहे राघव तिवारी कहते हैं, ‘‘मेरे पिता मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा रहे हैं। मैने उनसे बहुत कुछ सीखा जैसे जिंदगी में किस तरह अपने फैसलों पर अडिग रहना चाहिए और अपने परिवार को सबसे पहले रखना चाहिए। मेरे पिता हमेशा मुझसे कहा करते थे कि यदि आप कुछ हासिल करना चाहते हैं, तो उसके लिए दिलो जान से मेहनत करना चाहिए। यदि मैं सबसे खास पलों को याद करूं, तो वो तब के हैं, जब मैंने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी। मैं ऑडिशन दे रहा था, लेकिन सबकुछ बहुत अच्छा नहीं चल रहा था और मैं इसे लेकर निराश था। मैं आमतौर पर काफी कुछ छिपा लेता हूं लेकिन मेरे पेरेंट्स को हर चीज के बारे में पता होता है! ऐसे में जब मेरे डैड को पता चला तो उन्होंने मुझे सिर्फ इतना कहा कि मैं उन बातों पर गौर करूं, जिनकी वजह से मेरे ऑडिशंस अच्छे नहीं हो रहे हैं और फिर इसमें सुधार लाने पर काम करूं। आज मैं गर्व से कह सकता हूं कि मैंने जो कुछ भी हासिल किया है, वो उनके और उनके सपोर्ट की वजह से है। उन्होंने हमेशा मुझे आत्मनिर्भर रहना सिखाया और ये बताया कि यही एक सफल और खुशहाल जिंदगी का एकमात्र रास्ता है। मेरी ओर से उन्हें और बाकी सारे पिताओं को हैप्पी फादर्स डे।‘‘
ज़ी टीवी के ‘अपना टाइम भी आएगा‘ में महारानी राजेश्वरी का रोल निभा रहीं विवाना सिंह कहती हैं, ‘‘मेरे पिता एक रिटायर्ड पुलिसकर्मी हैं और दूसरे पुलिस ऑफिसर्स से अलग वो बड़े मददगार और बच्चों और बाकी लोगों के प्रति बड़े विनम्र थे। हालांकि वो बहुत सीनियर पद पर थे, लेकिन मैने कभी उन्हें अपने काम या अपनी उपलब्धियों के बारे में बढ़ाई करते नहीं देखा। यही एक सबसे बड़ा सबक है, जो मैने उनसे सीखा। आप कहीं भी जाएं, अपनी जड़ों को ना भूलें। मेरी सबसे अच्छी याद है मेरे बचपन की है, जब मैं अपनी फ्रॉक में गुलाब की पंखुड़ियां समेट लेती थी और हीरोइन की तरह पेश आती थी, जबकि मैं ये नहीं जानती थी कि मेरे पिता ठीक मेरे पीछे खड़े रहते थे और मुझे ये नादानियां करते हुए देखते थे। बस, तब से ही उन्होंने एक्ट्रेस बनने के मेरे सपने में मुझे सपोर्ट किया और मुझे अनुशासन और समय के पालन के साथ कड़ी मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित किया। एक और सबसे अच्छी याद तब की है, जब वो काम से लौटकर मुझे चॉकलेट्ा और टॉफी देते थे और यह उनका रोज का नियम था। मेरी जिंदगी में कुछ मुश्किल घड़ियां भी आईं, जब मैं निराशा में डूबी थी, लेकिन मेरे पिता हमेशा मुझसे कहते थे – ‘‘जीवन एक संघर्ष है और यह संघर्ष हमेशा लगा रहेगा, तो आप इस संघर्ष से डरिए मत, कभी भी आपकी जिंदगी में मुश्किलें आएं तो बस हिम्मत जुटाकर उनका सामना करें।‘‘
ज़ी टीवी के कुंडली भाग्य में शर्लिन लुथरा का रोल निभा रहीं रूही चतुर्वेदी कहती हंै, ‘‘अपने पिता के साथ बिताया गया हर पल मेरे लिए वाकई बहुत खास है, लेकिन मैंने जिस पल को संजोकर रखा है और जो मेरे दिल के बहुत करीब है, वो उस वक्त का है जब वो मुझे शादी के मंडप में ले जा रहे थे। मैं उनका दर्द महसूस कर सकती थी जो वो बेटी की विदाई के समय महसूस कर रहे थे, लेकिन साथ ही उन्हें इस बात की खुशी भी थी कि मुझे एक सही लड़का मिला। एक रूढ़िवादी मारवाड़ी परिवार से होने के नाते मेरे लिए एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में आना बड़ा कठिन था, लेकिन मेरे पिता ने कभी ऐसा नहीं सोचा कि लड़कियों को इस इंडस्ट्री का हिस्सा नहीं बनना चाहिए। असल में मुझे बड़े पर्दे पर देखने का सपना उन्हीं का था। वो मेरी कहानियां सुनने के लिए हमेशा मौजूद रहते हैं, चाहे मेरा दिन कैसा भी गुजरा हो। मुझे खुशी है कि वो एक पिता से ज्यादा मेरे एक दोस्त हैं। मेरी ओर से आप सभी को हैप्पी फादर्स डे।‘‘
ज़ी टीवी के कुंडली भाग्य में समीर लुथरा का रोल निभा रहे अभिषेक कपूर बताते हैं, ‘‘बचपन में मैं अपने पिता के साथ काफी वक्त गुजारता था, और सच कहूं तो वो मेरी जिंदगी के सबसे बढ़िया दिन थे। मेरे पिता का रुझान स्पोर्ट्स की ओर था और इसलिए वो मुझे अलग-अलग तरह के गेम्स सिखाते थे, हालांकि उन्हें हॉकी, 100 मीटर रेसिंग और स्नूकर का काफी अनुभव था, लेकिन मेरी क्रिकेट में ज्यादा रुचि थी और तब मेरे डैड ने मुझे मदन लाल क्रिकेट एकेडमी में भर्ती कराया, जो दिल्ली की सर्वश्रेष्ठ ऐकेडमियों में से एक है। अपने क्रिकेट ट्रेनिंग के दिनों की सबसे खास याद उस वक्त की है, जब मेरे परिवार का कोई भी सदस्य मुझे खेलते हुए देखने के लिए आता था और मैं बहुत ज्यादा सजग हो जाता था। एक दिन मेरे डैड फील्ड पर आए और मेरे सामने खड़े होने के बजाय पेड़ के पीछे छिपकर मुझे बैटिंग करते हुए देखने लगे, क्योंकि मैने उन्हें आने से मना किया था। मुझे लगता है कि इस तरह मैं अपने उस संकोच से बाहर आ सका। मेरे डैड ने हमेशा मुझे संघर्ष करना और कभी हार न मानना सिखाया। वो हमेशा कहते थे कि जरूरत पड़ने पर शून्य से शुरू करने के लिए भी तैयार रहो। आज इस दिन मैं हर पिता को हैप्पी फादर्स डे कहना चाहूंगा।‘‘
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