सर्वपितृ अमावस्या पर, सिंधी समाज द्वारा दीया तर्पण कार्यक्रम किया गया

राजू भटेजा : विगत 8 वषों निरंतर दिया तर्पण कार्यक्रम स्वामी प्रीतम दास  सभागृह के सामने किया का रहा है हिन्दू सनातन के धर्म अनुसार हमारे अपने पिर्त पंद्रह दिन हमारे घर पर रहते है.. ऐसे मानकर हम श्राद्धपक्ष की अमावस्य को संध्याकाल को आटे के दिए जलाकर व रोटी , चावल (अक्षत)के साथ पूजा कर जल में परवान करते है और उनसे प्राथर्ना करते है कि है.. पितर देवता आप पित्रलोक प्रस्थान करे व अपने स्थान स्वर्गलोक में रहे और हम निरोगी रहे..खुश रहे..स्वस्थ रहे.. ऐसा आशीर्वाद आप हमें देकर जाए..मूल यही है . इन कुंडो में नर्मदा गंगा जैसी पावन नदियों का जल डाला जाता है यह कार्यक्रम सिन्धी ब्राह्मण मंडल और आयोजक *श्री महेश कुकरेजा* के नेत्रत्व मे किया जाता है l 
**एक महत्वपूर्ण संदेश हम सब परिवारो लिए**
 सब से विनम्र आग्रह है..कि हो सके तो रोटी के स्थान पर **पान के पते पर  रख कर दिया तर्पण (परवान) करे**..देखने में आया है ..रोटी पूरी तरह से गलकर नीचे बैठ जाती है और गोशाला या नदी में प्रवाहित नहीं कर पाते है..पान का पत्ता बाद में बगीचे की खाद में मिलाकर उसका उपयोग कर सकते है जो कि प्रकृति के लिए उपयोगी है..यह विधि हमें ब्राह्मण समाज द्वारा ही सुझाए गए है..जिस प्रकार से महामारियां विश्व को घेर चुकी है हम मानवों का प्रकृति के प्रति कर्तव्य है कि हम भी उसकी सुरक्षा के लिए प्रयास करे..आशा है आप लोगो का सहयोग प्राप्त होगा. ।
नोट– **कोरोना महामारी को देखते हुए आप  घर से परिवार के साथ पूजा कर कुण्ड पर  एक व्यक्ति ही दिया परवान करें और खुदको व साथ लाय बर्तनों को सेनेटाइज करके आवै**

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