न्यायपालिका को अपमानित कर रही है केन्द्र सरकार-मायावती

लखनऊ । बहुजन समाज पार्टी की मुखिया एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा लोकतंत्र के महत्वपूर्ण स्तंभ न्यायपालिका को बार-बार अपमानित करने व उसे नीचा दिखाने की प्रवृत्ति की तीखी आलोचना करते हुये कहा कि कार्यपालिका का न्यायपालिका के साथ ऐसा विद्वेषपूर्ण बर्ताव सही नहीं है तथा प्रतिपक्षी पार्टियों के साथ-साथ देश की न्यायपालिका के प्रति भी यह केन्द्र सरकार की हठधर्मी व निरंकुशता का द्योतक है।

बसपा नेत्री ने मंगलवार को यहां जारी बयान में कहा कि स्वंय कानून मंत्री व अन्य केन्द्रीय मंत्रियों द्वारा भी बार-बार सार्वजनिक तौर पर यह कहे जाने पर कि केन्द्रीय कानून मंत्रालय कोई ’’डाकघर’’ नहीं है जो जजों की नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट के कोलजियम की सिफारिश पर आँख बन्द करके अमल करता रहे, केन्द्र सरकार के इस प्रकार के दुःखद रवैये के कारण न्यायपालिका आज अभूतपूर्व संकट झेल रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि केन्द्र व राज्यों में जनविरोधी व संविधान की पवित्र मंशा के विरूद्ध काम करने वाली भाजपा की वर्तमान सरकारोंकेन्द्र व राज्य सरकारों के खिलाफ न्यायपालिका ही एकमात्र उम्मीद की किरण है जहाँ से देश की दुःखी जनता के साथ-साथ विपक्षी पार्टियों के लिये भी न्याय की आखिरी आस बंधी हुई है।

उन्होंने कहा कि भाजपा के मंत्री अगर न्यायपालिका का पूरा-पूरा आदर-सम्मान नहीं कर सकते तो कम-से-कम उसका अपमान भी ना करें। केन्द्र सरकार का कानून मंत्रालय अगर ’’पोस्ट आफिस’’ (डाकघर) नहीं है तो उसे पुलिस थाना (कोतवाली) बनने का भी अधिकार कानून व संविधान ने नहीं दिया है। यह बात नरेन्द्र मोदी सरकार को विनम्रता के साथ स्वीकार करनी चाहिये और न्यायपालिका को बात-बात पर अपमानित करने के अपने अलोकतांत्रिक रवैये में सही सुधार अवश्य लाना चाहिये। यही देशहित में है। इसके अलावा केन्द्र सरकार के मंत्री व भाजपा के नेता बार-बार यह कहते हैं कि सन् 2016 में 126 जजों की नियुक्ति करके केन्द्र सरकार ने कमाल का काम किया है, लेकिन पहले 300 से ज्यादा जजों के पदों को खाली लटकाये रखना और फिर उसके बाद 126 जजों की नियुक्ति करना यह कौन सा जनहित व देशहित का काम है।

उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं बल्कि केन्द्रीय मंत्रालयों में उच्च पदों पर दलितों, आदिवासियों व पिछड़े वर्ग के अफसरों की तैनाती नहीं करने के मामले में भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार का रवैया जब कांग्रेस पार्टी की पूर्ववर्ती सरकारों की तरह ही जातिवादी व द्वेषपूर्ण बना हुआ है तब फिर न्यायपालिका में इस सरकार से इस सम्बन्ध में सकारात्मक रवैये की अपेक्षा कैसे की जा सकती है?

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