भारत और चीन के बीच अब तनाव कम करने के लिए अब हर हफ्ते होगी बातचीत

न्यूज़ डेस्क : भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर है, लेकिन अब दोनों ही देश बातचीत के जरिए तनावों को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच भारत और चीन पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा चल रही आक्रामकता पर चर्चा करने और माहौल को ठंडा करने के लिए हर हफ्ते वर्किंग मेकेनिज्म फॉर काउंसिलेशन एंड कोऑर्डिनेशन (डब्ल्यूएमसीसी) बैठक के लिए बातचीत करेंगे। 

 

 

बता दें कि पूर्वी लद्दाख में चीनी रवैये पर चर्चा के लिए डब्ल्यूएमसीसी की बैठक हर हफ्ते आयोजित की जाएगी। इस पर सहमति भी बन गई है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक इस वार्ता में भारत की ओर से विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय सहित कई मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। वहीं इस बैठक में सैन्य कमांडर भी हिस्सा लेंगे। सूत्रों ने बताया कि पिछले हफ्ते भी डब्ल्यूएमसीसी ने पूर्वी लद्दाख में इन मुद्दों पर चर्चा के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की थी। 

 

सूत्रों ने बताया कि इस वार्त के दौरान 15 जून की शाम को दोनों पक्षों के बीच गलवां घाटी में हुई झड़प में मरने वालों की संख्या पर चीन मौन था। जबकि भारत ने 15-16 जून की रात को झड़प में हुए नुकासान को स्वीकार किया है वहीं चीन अभी तक इस पर चुप्पी साधे है। सूत्रों के अनुसार भारतीय इंटरसेप्ट से पता चला है कि लद्दाख की गलवां घाटी में हुई लड़ाई में चीन के 43 लोग मारे गए और कई गंभीर रूप से घायल हुए।    

 

 

सूत्रों के मुताबिक चीनियों ने गलवां घाटी में हुई झड़प के लिए भारतीयों को दोषी ठहराने की कोशिश की है। वह इससे पहले भी ऐसा कर चुका है। वहीं चीन समस्याओं के समाधान के लिए 1959 के नक्शों का उपयोग कर रहा है जिसे भारत ने खारिज कर दिया। मालूम हो कि चीन ने इससे पहले 1962 में भी इसी नक्शे से समस्या सुलझाने की मांग की थी लेकिन तब भी भारत ने इसे खारिज कर दिया था।  

 

बैठक के दौरान चीन ने नेपाल के साथ सीमा विवाद का मुद्दा उठाते हुए भारत पर विस्तारवादी होने का आरोप लगाया है। लेकिन भारत ने चीन की किसी भी बात को नहीं माना और उन्हें खारिज कर दिया।

 

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