न्यूज़ डेस्क : पिछले कुछ महीनों से देश में क्रिप्टोकरेंसी की ओर लोगों का आकर्षण बढ़ रहा है। अगर आप भी विदेश में पैसा भेजकर उसे क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने की सोच रहे हैं तो अब ऐसा नहीं होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि आईसीआईसीआई बैंक ने इस पर रोक लगा दी है।
विदेशों में निवेश करने के लिए धन भेजने वाले ग्राहकों से आईसीआईसीआई बैंक ने कहा है कि इस पैसे का उपयोग दुनिया की सबसे बड़ी और लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी, बिटक्वाइन या किसी अन्य क्रिप्टोकरेंसी खरीदने के लिए नहीं किया जा सकता। इसके लिए आईसीआईसीआई बैंक ने अपने ‘रिटेल आउटवर्ड्स रेमिटेंस एप्लीकेशन फॉर्म‘ में बदलाव किया है। इसके तहत अब ग्राहकों को आउटवर्ड्स रेमिटेंस आवेदन पत्र देना होगा। ग्राहकों को आरबीआई लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) के तहत विदेशों में संपत्तियों को खरीदने के लिए पैसा ट्रांसफर के लिए हस्ताक्षर करने होंगे। बैंक ने ग्राहकों को कहा है कि जब भी वे विदेश में पैसा भेजेंगे तो उन्हें यह बताना होगा कि वे इसका निवेश क्रिप्टो में नहीं करेंगे।
2004 में आरबीआई ने पेश किया था एलआरएस
मालूम हो कि चार फरवरी 2004 को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के कानूनी ढांचे के तहत एलआरएस को पेश किया गया था। लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के तहत, अधिकृत डीलर किसी भी खाते या लेनदेन या दोनों के लिए एक वित्तीय वर्ष तक रेजिडेंट द्वारा स्वतंत्र रूप से रेमिटेंस की अनुमति दे सकते हैं। यह योजना कॉर्पोरेट, पार्टनरशिप फर्मों, ट्रस्ट आदि के लिए उपलब्ध नहीं है।
दरअसल भारतीय रिजर्व बैंक को क्रिप्टोकरेंसी के कारण देश में वित्तीय स्थिरता का खतरा पैदा होने की चिंता है। इसलिए केंद्रीय बैंक भारत में क्रिप्टोकरेंसी के चलन के खिलाफ खड़ा है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी के संदर्भ में उनकी सबसे बड़ी चिंता ‘वित्तीय स्थिरता‘ के नजरिए से है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने 2018 में लगाया था बैन
बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने साल 2018 में एक सर्कुलर जारी कर क्रिप्टोकरेंसी कारोबार को बैन किया था। लेकिन मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने वर्चुअल करेंसी, जिसे क्रिप्टोकरेंसी भी कहते हैं, उससे ट्रेड को मंजूरी दे दी थी। कोर्ट के इस आदेश के बाद वर्चुअल करेंसी जैसे बिटक्वाइन में कानूनी रूप से लेन-देन किया जा सकता है।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी खरीदने-बेचने पर थी 10 साल की जेल
क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2019 के ड्राफ्ट में यह प्रस्ताव दिया गया था कि देश में क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री करने वालों को 10 साल की जेल की सजा मिलेगी। ड्राफ्ट के मुताबिक इसकी जद में वे सभी लोग आएंगे जो क्रिप्टोकरेंसी तैयार करेगा, उसे बेचेगा, क्रिप्टोकरेंसी रखेगा, किसी को भेजेगा या क्रिप्टोकरेंसी में किसी प्रकार की डील करेगा। इन सभी मामलों में दोषी पाए जाने वालों को 10 साल तक की जेल की सजा मिलती थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने यह प्रतिबंध हटा दिया है।
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