देहरादून : राज्य की सभी दस जेलों में दिसंबर माह तक ई-प्रिजन प्रोजेक्ट शुरू हो जाएगा। इन दिनों जेलों के नए-पुराने रिकॉर्ड को कंप्यूटराइज्ड कर इस योजना को अमलीजामा पहनाया जा रहा है। एनआइसी से जुड़ने के बाद एक क्लिक पर जेल में बंद कैदियों की कुंडली और महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकेगी।
अब तक जेलों में बंद विचाराधीन, सजायाफ्ता, बी वारंट या अन्य कुख्यात कैदियों का रिकॉर्ड मैन्युअली रखा जाता था। इससे कई बार रिकॉर्ड खराब होने या गायब होने की संभावनाएं रहती हैं। वारंट, जेल में कैदियों को मिलने आने वाले लोगों और अन्य जानकारी भी मैन्युअली रहती थी। लेकिन, राज्य सरकार ने दिल्ली की तर्ज पर ई-प्रिजन प्रोजेक्ट के तहत सभी मुख्य और उप जेलों को ऑनलाइन करने की कवायद शुरू कर दी है। इन दिनों जेलों में रिकॉर्ड को कंप्यूटराइज्ड किया जा रहा है।
जेल रिकॉर्ड रूम में जेल में बंद कैदियों की फाइलें, वारंट, सिद्धदोष आदि की फाइलें भी ऑनलाइन रहेंगी। ई-प्रिजन में रिकॉर्ड आने के बाद एनआइसी की मदद से कोई भी एक क्लिक पर जेलों में बंद कैदियों की कुंडली की जानकारी ले सकता है। ई-प्रिजन से दूसरे राज्यों के अपराधियों की कुंडली भी आसानी से मिल सकेगी। जबकि जेल में बंद होने, छूटने, जमानती और मिलने वालों का पूरा ब्यौरा ऑनलाइन रहेगा। ई-प्रिजन प्रोजेक्ट से मैनुअली काम कम होने से जेलों से आने वाली कई शिकायतें भी दूर हो जाएंगी। रिकॉर्ड अपडेट होने के बाद सभी जेलों को हेड क्र्वाटर में सेंट्रलाइल्ड सर्वर से जोड़ा जाएगा।
क्षमता से ज्यादा कैदी
राज्य की 11 जेलों में करीब 3378 बंदियों के रखने की क्षमता है। मगर, वर्तमान में हर जेल में क्षमता से ज्यादा करीब 47 सौ बंदी बंद हैं। आंदोलन और दूसरे अपराधों के चलते इनकी संख्या घटती-बढ़ती रहती है।
वहीं आइजी जेल पीवीके प्रसाद ने बताया कि ई-प्रिजन प्रोजेक्ट पर इन दिनों काम चल रहा है। दिसंबर तक सभी जेलों का रिकॉर्ड ऑनलाइन आ जाएगा। इससे पारदर्शिता के साथ कैदियों का पूरा ब्योरा उपलब्ध रहेगा।
News Source: jagran.com
Comments are closed.