न्यूज़ डेस्क : आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2019-2020 की आय का ब्योरा देने वाले नए आयकर रिटर्न फॉर्म अधिसूचित कर दिए हैं। सरकार ने इसके साथ ही उन लोगों के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करना जरूरी कर दिया है, जिनका पिछले वित्त वर्ष में एक लाख रुपये से अधिक का बिजली बिल आया, उनके चालू खाते में एक करोड़ रुपये से अधिक की जमा रही या फिर जिन्होंने वर्ष के दौरान विदेशी यात्रा में दो लाख रुपये से अधिक खर्च किया।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने पिछले वित्त वर्ष (एक अप्रैल 2019 से लेकर 31 मार्च 2020 तक की आय) की रिटर्न दाखिल करने के लिए निर्धारण वर्ष 2020-21 में भरे जाने वाले सहज (आईटीआर-1) फॉर्म, आईटीआर-2, आईटीआर-3, सुगम (आईटीआर-4), आईटीआर-5, आईटीआर-6, आईटीआर-7 फॉर्म और आईटीआर-वी फॉर्म जारी किए हैं।
बड़े खर्चों के बारे में जानकारी देना अनिवार्य
नए आयकर रिटर्न फॉर्म में करदाताओं को वर्ष के दौरान कुछ बड़े खर्चों के बारे में जानकारी देना अनिवार्य कर दिया है। किसी व्यक्ति के चालू खाते में एक करोड़ रुपये से अधिक की जमा, विदेश यात्रा पर दो लाख रुपये या उससे अधिक का खर्च या वर्ष के दौरान एक लाख रुपये से अधिक बिजली खपत के बिल जैसे ऊंचे लेनदेन से जुड़ी जानकारियां देना अनिवार्य होगा। इसी के साथ किसी आवासीय संपत्ति के संयुक्त मालिक आईटीआर-1 सहज फॉर्म भरकर रिटर्न दाखिल कर सकते हैं।
सीबीडीटी ने आईटीआर-1,2,3 और चार फॉर्म में नए कॉलम भी बनाए हैं। इन्हीं कॉलम में करदाता को चालू खाते में एक करोड़ रुपये से अधिक की जमा, वित्त वर्ष के दौरान विदेश यात्रा पर दो लाख रुपये या उससे अधिक खर्च और बिजली बिल पर एक लाख रुपये या उससे अधिक खर्च करने के बारे में पूछा गया है। यदि इनमें से किसी भी प्रश्न का जवाब ‘हां में है तो व्यक्ति या इकाई को 2019-20 के लिए आयकर रिटर्न भरना अनिवार्य है। सीबीडीटी आयकर से जुड़े नियम बनाने वाली शीर्ष इकाई है।
कोविड-19 संकट के चलते सरकार ने आयकर रिटर्न दाखिल करने को लेकर दी गयी विभिन्न छूटों का लाभ करदाताओं तक पहुंचाने के लिए वित्त वर्ष 2019-20 के आयकर रिटर्न फॉर्म में संशोधन किया है। नए आयकर रिटर्न फॉर्म में अनुसूची-डीआई को भी जोड़ा गया है। इसके तहत करदाता को एक अप्रैल 2020 से 30 जून 2020 के बीच कर-बचत योजनाओं में किए गए निवेश अथवा किसे गए अनुदान की अलग से जानकारी देनी होगी। इसका लाभ करदाता को 2019-20 के आयकर में ही मिलेगा।
आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 30 नवंबर 2020
सरकर ने आयकर अधिनियम-1961 के तहत रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा में कई रियायतें दी हैं। इसके लिए सरकार कराधान एवं अन्य अधिनियम (कुछ प्रावधानों से राहत) अध्यादेश- 2020 लेकर आई है। सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि पहले ही बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दी है। इतना ही नहीं सरकार ने कर ऑडिट रपट दाखिल करने की अंतिम तिथि भी एक महीना बढ़ा दी है।
इसके हिसाब से आयकर की धारा 80सी (जीवन बीमा, लोक भविष्य निधि, राष्ट्रीय बचत पत्र इत्यादि), 80डी (स्वास्थ्य बीमा) और 80जी (दान) इत्यादि के तहत ली जाने वाली छूट के लिए अंतिम निवेश तिथि बढ़ाकर 30 जून 2020 कर दी गयी है। यानी इनमें 30 जून 2020 तक किये गए निवेश पर कर छूट का लाभ पिछले वित्त वर्ष की आय में मिल सकता है। नए फॉर्म में वित्त वर्ष 2019-20 के लिए निवेश छूट का लाभ उठाने के लिए 2020-21 की पहली तिमाही में किए गए निवेश की अलग से जानकारी देने की जरूरत होगी।
इन्हें नहीं मिलेगा सरल फॉर्म का लाभ का लाभ
नांगिया एंडरसन कंसल्टिंग के निदेशक शैलेष कुमार ने कहा कि आईटीआर-1, आईटीआर-2 और आईटीआर-4 जैसे सरल फॉर्म का लाभ उन व्यक्तिगत करदाताओं को नहीं मिलेगा, जो किसी कंपनी में निदेशक हैं या जिन्होंने गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर में निवेश किया है। एकेएम ग्लोबल टैक्स में पार्टनर अमित माहेश्वरी ने कहा कि अब आवासीय संपत्तियों के सह-मालिक और ज्यादा खर्च वाले करदाता भी सहज और सुगम फॉर्म से आयकर रिटर्न दाखिल कर सकेंगे। यह भरने में अपेक्षाकृत सरल हैं, जो करदाताओं के लिए एक बड़ी राहत का कदम है।
वर्तमान में व्यक्तिगत और गैर-कॉरपोरेट आयकरदाताओं को कर ऑडिट रपट जमा नहीं करनी होती है। उन्हें अपना आयकर रिटर्न 31 जुलाई तक दाखिल करना होता है। कॉरपोरेट करदाताओं को अपनी कर ऑडिट रपट 31 अक्टूबर तक जमा कर रिटर्न दाखिल करनी होती है। इसमें कंपनियों के साथ उनके सहयोगी, कंपनियों के निदेशक और कर ऑडिट के लिए मान्य कंपनियां शामिल हैं। इन सभी के लिए आयकर रिटर्न दाखि ल करने की तिथि 30 नवंबर तक बढ़ा दी गई है। इसमें अभी और कोई बदलाव की घोषणा नहीं की गई है।
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