पूर्वोत्तर क्षेत्र रबर उत्पादन के लिए एक हब के रूप में उभरेगा: श्री पीयूष गोयल
‘केंद्रीय सरकार ने पूर्वोत्तर में 2 लाख हेक्टेयर में रबर प्लांटेशन की योजना बनाई है’’
श्री पीयूष गोयल ने ‘गंतव्य-त्रिपुरा- निवेश सम्मेलन’ को संबोधित किया
‘‘त्रिपुरा में अगरबत्ती उद्योग के देश के हब के रूप में उभरने की क्षमता है’’: श्री गोयल
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, कपड़ा, उपभोक्ता मामले तथा खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र रबर उत्पादन के लिए एक हब के रूप में उभर सकता है। श्री गोयल ने कहा कि केंद्रीय सरकार ने अगले पांच वर्षों में पूर्वोत्तर के राज्यों में कुल 2 लाख हेक्टेयर में रबर प्लांटेशन की योजना बनाई है। श्री पीयूष गोयल ने आज वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये ‘गंतव्य-त्रिपुरा- निवेश सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए कहा कि त्रिपुरा 30,000 हेक्टेयर की खेती के साथ देश में रबर का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। श्री गोयल ने राज्य सरकार से इस दिशा में त्वरित कदम उठाने तथा राज्य में रबर प्लांटेशन को विस्तारित करने के लिए मौसम के कारण उत्पन्न आरंभिक खेती के अवसर का लाभ उठाने की अपील की।
ऑटोमोटिव टायर मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटीएमए) का प्रतिनिधित्व करने वाली चार प्रमुख टायर कंपनियों ने एक साथ मिल कर पांच वर्षों की अवधि में पूर्वोत्तर भारत के सात राज्यों में 200,000 हेक्टेयर भूमि में रबर प्लांटेशन के विकास के लिए 1,000 करोड़ रुपये का योगदान करने का संकल्प लिया है। एक मार्च, 2021 को रबर बोर्ड और एटीएमए के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। भाग लेने वाली टायर कंपनियों ने एक साथ 20 मई 2021 को रबर बोर्ड द्वारा स्थापित खाते में 12 करोड़ रुपये हस्तांरित किए। टायर कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराये फंड का उपयोग 2021 में रोपण आरंभ करने के लिए प्लांटिंग सामग्रियों की खरीद के लिए किया जा रहा है।
यह देखते हुए कि बांस की खेती पूर्वोत्तर राज्यों में एक अन्य प्रमुख संसाधन है, श्री गोयल ने कहा कि त्रिपुरा बांस फ्लोरिंग की सबसे बड़ी इकाई का घर है। उन्होंने कहा, ‘त्रिपुरा में अगरबत्ती उद्योग के देश के हब के रूप में उभरने तथा भारत को बांस, जिसे अक्सर ग्रीन गोल्ड, उद्योग कहा जाता है, में आत्मनिर्भर बनाने की क्षमता है।’
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पूर्वोत्तर को भारत की अष्ट-लक्ष्मी के रूप् में रूपांतरित करने की अपील को संदर्भित करते हुए, श्री गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने ‘फोकस नॉर्थ-ईस्ट’ प्रोग्राम को प्राथमिकता प्रदान की है तथा यहां ‘मेक इन इंडिया’ प्रोग्राम का कार्यान्वयन ‘मेक इन नॉर्थ-ईस्ट’ प्रोग्राम के रूप में किया गया है। उन्होंने कहा, ‘इनवेस्ट इंडिया के एक समर्पित नॉर्थ-ईस्ट डेस्क की स्थापना की गई है जिससे बुनियादी ढांचे में सुधार आया है तथा उद्योग को बढ़ावा मिला है।’
श्री गोयल ने मुख्यमंत्री श्री बिप्लब कुमार देब के नेतृत्व के तहत त्रिपुरा की विकास यात्रा की सराहना की। श्री गोयल ने कहा, ‘राज्य सरकार प्रशासन में 3 ‘एन’ जिनके नाम हैं-नीयत, नीति तथ नियम’ को प्राथमिकता देने के लिए अनथक कार्य कर रही है। उन्होंने यह भी कहा, ‘त्रिपुरा पूर्वोत्तर में चौथा साक्षर राज्य है जिसमें एक गतिशील हथकरघा उद्योग है, त्रिपुरा में 1.36 लाख बुनकर हैं, त्रिपुरा के कटहल का निर्यात लंदन को किया गया है।’
श्री गोयल ने कहा, ‘केंद्र अपनी समर्पित योजनाओं के जरिये पूर्वोत्तर क्षेत्र में एग्रो-टेक्सटाइल तथा जियोटेक्निकल टेक्सटाइल के उपयोग को प्रोत्साहित कर रहा है। ‘उन्होंने कहा, ‘वायु, रेल तथा सड़क और जलमार्गों के जरिये बेहतर कनेक्टिविटी के साथ, राज्य का तथाकथित अलगाव अब अतीत की बात हो गई है। यह राज्य अब मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी का एक अंतरंग हिस्सा बन गया है।’
श्री गोयल ने कहा कि 972 करोड़ रुपये की सीमा पार अगरतला-अखौरा (बांग्लादेश) रेल परियोजना से निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिेलेगी। उन्होंने कहा, ‘‘अगरतला हवाई अड्डा के पूर्वोत्तर क्षेत्र में दूसरे सबसे व्यस्त हवाई अड्डे के रूप में उभरने के साथ, त्रिपुरा पूर्वोत्तर के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करेगा।’’
सिंगल विंडो पोर्टल-स्वागत, पूंजीगत सब्सिडी (30 प्रतिशत), बिजली सब्सिडी (50 प्रतिशत), राज्य जीएसटी की पूर्ण प्रतिपूर्ति और 4 प्रतिशत की ब्याज छूट सहित निवेश प्रोत्साहन के लिए राज्य सरकार की पहलों की सराहना करते हुए, श्री गोयल ने इसे ‘‘देश में सबसे अच्छे निवेश पैकेजों में से एक करार दिया।’’ यह बताते हुए कि निवेश सम्मेलन त्रिपुरा को इसकी वास्तविक क्षमता अर्जित करने में सहायता करेगा, श्री गोयल ने उम्मीद जताई कि यह सम्मेलन राज्य की विकास यात्रा में निवेशकों को भागीदार बनाने में मदद करेगा।
सीडीएस जनरल बिपिन रावत के असामयिक निधन पर शोक और संवेदना व्यक्त करते हुए, श्री गोयल ने उन्हें उद्धृत किया, ‘‘हम न तो कृतज्ञता चाहते हैं और न ही तालियां क्योंकि हम दृढ़ता से, ‘खामोशी से बनाते रहो पहचान अपनी, हवायें खुद तुम्हारा तराना गाएंगी’ में विश्वास रखते हैं।’’
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