एनएमसीजी और एनआईयूए ने ‘शहरी नदियों की पुनर्कल्पना’ निबंध के फाइनल में पहुंचने वालों छात्रों के लिए लेखनशाला का आयोजन किया
एनएमसीजी के महासचिव श्री जी अशोक कुमार ने छात्रों को नदी संरक्षण और प्रबंधन की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित किया
इस प्रतिस्पर्धा का उद्देश्य शहरों के विकास को नदियों के प्रति संवेदनशील बनाना और युवाओं को शहरी नदियों से जुड़े मुद्दों का समाधान प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित करना है
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) और राष्ट्रीय शहरी कार्य संस्थान (एनआईयूए) ने “शहरी नदियों की पुनर्कल्पना” विषय पर आयोजित प्रतिस्पर्धा के फाइनल में पहुंचने वाले छात्रों के लिए एक लेखनशाला का आयोजन किया है। यह आयोजन 19 से 21 मई के बीच किया जा रहा है। कल उद्घाटन के दिन श्री जी अशोक कुमार, महासचिव एनएमसीजी ने छात्रों को संबोधित किया और अपने गहन विचार उन तक पहुंचाए। साथ ही छात्रों को नदी संरक्षण की दिशा में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया।
श्री अशोक कुमार ने छात्रों को अपनी सोच में निडर रहने और नदी प्रबंधन के बारे में मौलिक विचारों को सामने लाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने आपस में एक-दूसरे से सीखने और जीवन भर सीखते रहने की संस्कृति बनाए रखने पर जोर दिया। उन्होंने आने वाली पीढ़ी के लिए जल युक्त सुरक्षित भविष्य बनाए रखने के लिए प्रभावी जल प्रबंधन की प्रासंगिकता पर जोर दिया।
पूरे भारत के 17 विश्वविद्यालयों से 20 छात्रों ने इस लेखनशाला में हिस्सा लिया। यह छात्र अलग-अलग विषय क्षेत्रों, जैसे- इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर, रिमोट सेंसिंग, पारिस्थितिकी आदि से आए थे। लेखनशाला का लक्ष्य छात्रों को एक ऐसा परिसर उपलब्ध करवाना था, जहां वे एक-दूसरे के साथ संपर्क से अंतर्वैयक्तिक विचारों और शहरी नदियों से जुड़े व्यापक मुद्दों को बल दे सकें। यह एनआईयूए और एनएमसीजी के विशेषज्ञों के लिए भी छात्रों की मदद करने का एक मौका है, जिससे छात्र अपने शोध विचारों को बेहतर कर सकते हैं और नदियों से जुड़ी चीजों पर सुझाव दे सकते हैं।
‘नदियों की पुनर्कल्पना’ एक राष्ट्रीय स्तर की निबंध प्रतियोगिता है, जो एनएमसीजी और एनआईयूए द्वारा शहरों के विकास को नदियों के प्रति संवेदनशील बनाना और युवाओं को शहरी नदियों से जुड़े मुद्दों का समाधान प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
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