नीति निर्माण के लिए रोजगार सृजन का लेखाजोखा जरुरी:

मुंबई । उद्योग और वाणिज्य संगठन एसोचैम ने कहा कि भारत में नौकरियों का लेखाजोखा तैयार करने के लिए एक विश्वसनीय प्रणाली विकसित करने की जरूरत है।
रविवार को एसोचैम ने कहा कि कम से कम औपचारिक क्षेत्र में इसकी आवश्यक है, ताकि उसके अनुसार सरकार नीतियां बना सके। उद्योग संगठन ने कहा कि जिस प्रकार हर महीने महंगाई, औद्योगिक उत्पादन और अन्य आर्थिक आंकड़े जारी किए जाते हैं, उसी प्रकार की व्यवस्था नौकरियों के आंकड़ों के लिए भी तैयार की जानी चाहिए।

एसोचैम ने अपनी विज्ञप्ति में कहा, जिस प्रकार हर महीने महंगाई, औद्योगिक उत्पादन और अन्य कई उच्च आवृत्ति के आंकड़े जारी करते हैं उसी प्रकार हमें जल्द एक व्यवस्था बनानी चाहिए, ताकि नौकरियों के आंकड़े हर महीने जारी किए जाएं।
एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा, अगर अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा औपचारिक बन रहा है तो फिर रोजगार सृजन का पता लगाना मुश्किल नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, हमें परंपरागत नमूना सर्वेक्षणों की जरूरत नहीं है। वेतन का भुगतान जब बैंकों के माध्यम से होता है तो हम वेतन के आंकड़े बैंक से प्राप्त कर सकते हैं और उन आंकड़ों का मिलान कर उनकी तुलना कर सकते हैं।

रावत ने कहा, मासिक आंकड़ों से औपचारिक क्षेत्र में नई नौकरियों के बारे में स्पष्ट जानकारी मिल सकती है। वस्तु एवं सेवा कर के माध्यम से अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा औपचारिक बन रहा है, इसलिए हम नौकरियों के आंकड़ों के आधार पर प्रगति की ओर कदम बढ़ाएंगे।

एसोचैम ने कहा कि किसी भी विकसित अर्थव्यस्था में ब्याज दर, जनकल्याणकारी कार्य, निवेश प्रोत्साहन और कराधान की नीतियां बनाने के लिए रोजगार के आंकड़े अहम होते हैं।
उद्योग संगठन ने कहा कि राष्ट्रीय आर्थिक नीतियां निश्चित रूप से आंकड़ों के आधार पर तय होनी चाहिए, न कि यत्र-तत्र से प्राप्त सुनी-सुनाई सूचनाओं के आधार पर।

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