नीति आयोग, रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट (आरएमआई) और आरएमआई इंडिया ने ‘बैंकिंग ऑन इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इन इंडिया’ रिपोर्ट जारी की
प्राथमिक क्षेत्र को उधार (पीएसएल) 2025 तक 40,000 करोड़ रुपये के ईवी वित्तपोषण बाजार को खोलने और सीओपी-26 के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता कर सकता है
नीति आयोग-आरएमआई की रिपोर्ट इलेक्ट्रिक दो-पहिया, तीन-पहिया और वाणिज्यिक वाहनों को प्राथमिकता देने के लिए शुरुआती खंड के रूप में दर्शाती है
नीति आयोग, रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट (आरएमआई) और आरएमआई इंडिया ने आज ‘बैंकिंग ऑन इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इन इंडिया’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है। यह इलेक्ट्रिक मोबिलिटी इकोसिस्टम में खुदरा उधार के लिए प्राथमिक-क्षेत्र की मान्यता के महत्व को रेखांकित करती है। यह रिपोर्ट भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) दिशानिर्देशों में इलेक्ट्रिक वाहनों को शामिल करने की सूचना देने के लिए विचार और सिफारिशें प्रदान करती है।
भारत में बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के पास 2025 तक 40,000 करोड़ रुपये (5 बिलियन अमरीकी डॉलर) और 2030 तक 3.7 लाख करोड़ रुपये (50 बिलियन अमरीकी डॉलर) के इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) वित्तपोषण बाजार को खड़ा करने की क्षमता है।
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा, “भारत में ईवी को अपनाने में तेजी लाने और सड़क परिवहन के डीकार्बोनाइजेशन में सहायता करने में वित्तीय संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका है।” उन्होंने आगे कहा, “आरबीआई के पीएसएल अधिदेश का राष्ट्रीय प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए औपचारिक ऋण की आपूर्ति में सुधार का एक प्रमाणित ट्रैक रिकॉर्ड है। यह बैंकों और एनबीएफसी को ईवी के संबंध में अपने वित्तपोषण को बढ़ाने के लिए एक मजबूत नियामक प्रोत्साहन प्रदान कर सकता है।”
प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार का उद्देश्य भारत में वित्तीय पहुंच का विस्तार करना और रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी करना है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए रिपोर्ट में इस बात को रेखांकित किया गया है कि आरबीआई पांच मापदंडों के आधार पर विभिन्न ईवी खंडों पर विचार और मामलों का उपयोग कर सकता है। इन मापदंडों में सामाजिक-आर्थिक क्षमता, आजीविका सृजन क्षमता, मापनीयता, तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता और हितधारक स्वीकार्यता हैं।
आरएमआई के प्रबंध निदेशक क्ले स्ट्रेंजर ने कहा, “चूंकि बैंक ईवी के पुनर्विक्रय मूल्य व उत्पाद की गुणवत्ता को लेकर चिंतित हैं, इसलिए खरीदार के पास कम ब्याज दरों और लंबी ऋण अवधि की पहुंच नहीं हो पाई है। प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार, बैंकों को भारत में ईवी के उपयोग में बढ़ोतरी की निगरानी करने और हमारे 2070 जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायता करने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।”
यह रिपोर्ट इस ओर संकेत करती है कि पीएसएल के तहत इलेक्ट्रिक दो- पहिए, तीन- पहिए और वाणिज्यिक चार-पहिए वाहन प्राथमिकता वाले शुरुआती खंड हैं। आने वाले दिनों में अन्य मंत्रालयों और उद्योग क्षेत्र के हितधारकों की भागीदारी यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होगी कि निर्धारित किए गए दिशानिर्देश भारत में ईवी निवेश में प्रभावी ढंग से बढ़ोतरी कर सकते हैं।
इस रिपोर्ट में ईवी को शामिल किए जाने के प्रभाव को अधिकतम करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा व ईवी को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार देने के लिए एक स्पष्ट उप-लक्ष्य और जुर्माना प्रणाली की भी सिफारिश की गई है। इसके अलावा यह वित्त मंत्रालय द्वारा ईवी को एक बुनियादी ढांचा उप-क्षेत्र के रूप में मान्यता देने और आरबीआई के तहत एक अलग रिपोर्टिंग श्रेणी के रूप में शामिल करने का सुझाव देती है। इस तरह के बहुस्तरीय समाधानों की जरूरत न केवल ईवी निवेश व व्यवसायों के लिए, बल्कि वित्तीय क्षेत्र और भारत के 2070 शुद्ध-शून्य लक्ष्य (नेट जीरो टारगेट) को प्राप्त करने के लिए भी है।
इस रिपोर्ट को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
https://www.niti.gov.in/sites/default/files/2022-01/Banking-on-EV_web_2.0a.pdf
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