नीति आयोग ने देश में माध्यमिक, तृतीयक स्तर के केंद्रों और जिला अस्पतालों में आपातकालीन तथा घायलों की देखभालसंबंधी राष्ट्रीय स्तर की मूल्यांकन रिपोर्ट जारी की
नीति आयोग ने आज–‘भारत में राष्ट्रीय स्तर पर माध्यमिक, तृतीयक स्तर के केंद्रों और जिला अस्पतालों में आपातकालीन तथा घायलों की देखभाल की मौजूदा स्थिति पर रिपोर्ट’ नामक रिपोर्ट जारी की। इन रिपोर्टों में आपातकालीन मामलों के परिदृश्य और उनकी संख्या के बारे में उल्लेख करने के साथ-साथ इष्टतम देखभाल के प्रावधान के अनुसार एम्बुलेंस सेवाओं, स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे, मानव संसाधन और उपकरणों की मौजूदा कमी के बारे में भी बताया गया है।
इन रिपोर्टों को नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वी. के. पॉल,अपर सचिव डॉ राकेश सरवाल और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में जारी किया गया।
ये अध्ययन नीति आयोग के सहयोग से आपातकालीन चिकित्सा विभाग, जेपीएनएटीसी, एम्स, नई दिल्ली द्वारा किए गए थे।
रिपोर्ट की प्रस्तावना में नीति आयोग के सदस्य डॉ वी.के. पॉल ने देश में एक विश्व स्तरीय, कुशल, पेशेवर, एकीकृत आपातकालीन देखभाल प्रणाली तैयार करने केअत्यधिक महत्व पर प्रकाश डाला,जो प्रौद्योगिकी द्वारा समर्थितहो औरदेश के किसी भी हिस्से में किसी प्रकार के आपातकाल या आघात अथवादुर्घटना से पीड़ित लोगों की देखभाल करने में सक्षम हो। उन्होंने कहा कि इस अखिल भारतीय अध्ययन में किया गया मूल्यांकन इन विचार-विमर्शों के लिए एक महत्वपूर्ण शुरुआत होगी।
एम्स, नई दिल्ली के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरियाने ऐसी प्रणाली बनाने की आसन्न आवश्यकता पर जोर दिया,जहां कोरोनरी सिंड्रोम, स्ट्रोक, श्वसन रोग, मातृ तथाशिशु चिकित्सा आपात स्थिति और चोटों से पीड़ित रोगियों की देखभाल हो सके, जो भारत में मृत्यु तथा विकलांगता के प्रमुख कारण हैं।
इन अध्ययनों ने 34 जिला अस्पतालों के अलावा, देश के 28 राज्यों तथा दो केंद्रशासित प्रदेशों में सरकारी एवं निजी अस्पताल की प्रणालियों में 100 आपातकालीन और घायल देखभाल केंद्रों की मौजूदा स्थिति का आकलन किया है। रिपोर्ट में एम्बुलेंस सेवाओं, बुनियादी ढांचे, मानव संसाधन, उपकरण की स्थिति, आवश्यक दवाओं, निश्चित देखभाल तथा विभिन्न बीमारियों के बोझ सहित आपातकालीन देखभाल के सभी क्षेत्रों में मौजूदा अंतराल का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। इसके अलावा, मौजूदा शैक्षणिक पाठ्यक्रमकी मान्यता तथा संगठन के प्रकार के साथ-साथ स्वास्थ्य देखभाल के जीवंत पर्यवेक्षणों और बारीक मूल्यांकन की रिपोर्ट इसमें शामिल हैं।
ये रिपोर्ट ट्राइएज के लिए एक राष्ट्रव्यापी नीति, देखभाल के लिए मानकीकृत प्रोटोकॉल, प्रभावी पैरामेडिक्स के साथ संवर्धित विश्व स्तरीय एम्बुलेंस सेवाओं तथा ब्लड बैंकों के विस्तार की आवश्यकता पर प्रकाश डालती हैं। अध्ययन किए गए केंद्रों में, मान्यता प्राप्त और मौजूदा शैक्षणिक पाठ्यक्रम वाले लोगों का बेहतर प्रदर्शन सुनिश्चित करने के उपायों को लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। आपातकालीन देखभाल के परिदृश्य में गंभीर रूप से बीमार तथा घायल रोगियों को समय पर पहुंचाना और शीघ्र देखभाल करना शामिल है। एक सशक्त एकीकृत आपातकालीन देखभाल प्रणाली स्थापित करके समय-पूर्व मृत्यु तथा विकलांगता समायोजित जीवन वर्ष (डीएएलवाई) को निश्चित देखभाल के साथ रोका जा सकता है। इस अध्ययन के निष्कर्ष भारत में सभी स्तरों पर स्वास्थ्य सुविधाओं के आपातकालीन देखभाल सेवाओं को सुधारने और मजबूत करने के लिए नीतिगत इनपुट प्रदान करेंगे।
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