न्यूज़ डेस्क : कोरोना वायरस से जूझ रही पूरी दुनिया को इसकी वैक्सीन का इंतजार है। दुनियाभर में डेढ़ करोड़ लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। ऐसे में हर किसी को इस वैक्सीन का इंतजार है। तमाम देशों में इसकी दवा तैयार करने के लिए वैज्ञानिकों की टीम दिन-रात जुटी भी हुई है। रूस भी इस दौड़ में शामिल है। हाल ही में उसने दावा किया था उसकी दवा ने इंसानों पर परीक्षण के पहले चरण में सफलता पाई है। हालांकि कंपनी ने यह कहा है कि अगस्त-सितंबर से पहले यह दवा बाजार में नहीं आएगी। मगर इस बीच ऐसी भी खबरें हैं कि रूस के शीर्ष नेताओं और बड़े उद्योगपतियों के लिए यह वैक्सीन अप्रैल से ही दी जा रही है ताकि वे स्वस्थ रहें।
मॉस्को के गामालेया इंस्टीट्यूट में विकसित वैक्सीन की डोज इन शीर्ष लोगों को अप्रैल से ही दी जा रही है। ब्लूमबर्ग समाचार एजेंसी को ऐसे कई नामों का पता चला है, जिन्हें यह वैक्सीन पहले से ही दी जा रही है। इनमें रूस में एल्युमिनियम की दिग्गज कंपनी रूसेल के शीर्ष अधिकारियों के भी नाम हैं। यह कंपनी अरबपति ओलेग डेरिपास्का की है।
हालांकि गामालेया के प्रमुख एलेक्सेंडर गिंजबर का कहना है कि उन्हें ऐसी कोई जानकारी नहीं है कि कोई सरकारी अधिकारी या उद्योगपति इस वैक्सीन को ले रहा है। रूस इस साल के अंत तक वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल की ओर बढ़ रहा है। पुतिन सरकार की रूसी प्रत्यक्ष निवेश फंड और रक्षा मंत्रालय इस वैक्सीन को तैयार करने के लिए पैसा दे रहा है। पिछले हफ्ते इस वैक्सीन का परीक्षण सैनिकों पर भी किया गया था। हालांकि इसके परिणाम अभी सार्वजनिक नहीं किए गए हैं, लेकिन इसे बड़े समूह पर टेस्ट करने की तैयारी शुरू हो चुकी है।
पुतिन के भी वैक्सीन लेने की चर्चा
ऐसी भी चर्चा हैं कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी वैक्सीन ले चुके हैं। हालांकि उनके करीबियों का दावा है कि राष्ट्र प्रमुख को ऐसी कोई भी वैक्सीन देना सही नहीं है, जिसका अभी परीक्षण चल रहा हो।
एक उद्योगपति ने स्वीकारा सच
इन सब दावों के बीच रूसी सरकार के करीबी माने जा रहे एक उद्योगपति किरिल दिमित्र ने यह सार्वजनिक स्वीकार किया कि उन्होंने यह दवा ली है। दिमित्र ने रूसी प्रत्यक्ष निवेश फंड में 10 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। उन्होंने स्वीकार किया कि उनके साथ पत्नी नतालिया पोपपोवा और परिवार ने कोरोना की वैक्सीन ली है।
सैकड़ों लोगों पर ट्रायल
कोरोना की वैक्सीन का ट्रायल सैकड़ों रूसी लोगों पर किया जा रहा है। मगर अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इन स्वयंसेवकों में कौन-कौन शामिल हैं।
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