जम्मू और कश्मीर के रामनगर से ट्रीश्रू का नया वंश इस क्षेत्र के लिए सटीक आयु अनुमान प्रदान कर सकता है
वैज्ञानिकों ने जम्मू और कश्मीर के रामनगर से स्तनपाइयों के एक नए वंश (जीनस) और प्रजाति से संबंधित गिलहरी (ट्रीश्रू) जैसे एक छोटे स्तनपायी के जीवाश्म देखे हैं।
यह ट्रीश्रू वर्तमान काल में शिवालिक पर्वतश्रेणी में जीवाश्म ट्यूपाइड्स के उन सबसे पुराने अभिलेखों का प्रतिनिधित्व करता है, जो इस क्षेत्र में अपनी समय सीमा को 25-40 लाख वर्ष तक पहुंचा देता है और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू–कश्मीर के उधमपुर जिले में स्थित इस रामनगर क्षेत्र के लिए अधिक सटीक आयु अनुमान प्रदान करने में सहायक हो सकता है।
सिवालिक तलछट (सेडीमेंट) मध्य नवनूतन (मियोसीन) युग से प्रातिनूतन (प्लीस्टोसिन) से होते हुए कई स्तनधारी समूहों के विकास का दस्तावेजीकरण करती है जिसमें गिलहरी सदृश (ट्रीश्रू), साही (हेजहोग्स) और अन्य छोटे स्तनधारी शामिल हैं। विशेष रूप से ट्रीश्रू के जीवाश्म रिकॉर्ड के बहुत ही दुर्लभ तत्व हैं और पूरे नूतनजीवी (सेनोज़ोइक) युग में केवल कुछ प्रजातियों को ही जाना जाता है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (डब्ल्यूआईएचजी) के वैज्ञानिकों ने जम्मू और कश्मीर में रामनगर के स्थल से मध्य मियोसीन (लगभग 2 करोड़ 30 लाख 30 हजार से 53 लाख 33 हजार वर्ष पूर्व तक फैला हुआ) युगीन काल से नए वंश की प्रजातियों जिन्हें वैज्ञानिक भाषा में जिन्हें सिवातुपिया रामनगरेंसिस एन. जेन. एसपी. के रूप में जाना जाता है,के जीवाश्म खोजे हैं।
आहार संबंधी विश्लेषणों से पता चलता है कि अन्य मौजूदा और जीवाश्म ट्यूपाइड्स की तुलना में नए टुपैइड को संभवतः यांत्रिक रूप से कम चुनौतीपूर्ण या अधिक फल खाने वाले आहार के लिए अनुकूलित किया गया था। इसके अलावा इसी जीवाश्म इलाके से नए साही (हेजहोग्स) और कृंतक (रोडेंटस) नमूनों का भी उल्लेख किया गया है। जैसा कि पाकिस्तान के पोटवार पठार पर एक निरंतर, समय-नियंत्रित शिवालिक अनुक्रम में प्रलेखित किया गया है, मूषक कृन्तकों (म्यूरीन रोडेंटस) का विशेष महत्व हो जाता है, क्योंकि विभिन्न प्रजातियों और उनकी दंत विशेषताओं को समय के प्रति संवेदनशील माना जाता है। इसलिए वर्तमान संग्रह में इन समय संवेदनशील दंत विशेषताओं और प्रजातियों की पहचान इस रामनगर क्षेत्र के लिए 1 करोड़ 27 लाख -1 करोड़ 16 लाख वर्ष के बीच की अधिक सटीक आयु अनुमान प्रदान करने में मदद करती है।
यह कार्य वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, देहरादून, डॉ. रमेश कुमार सहगल (प्रमुख लेखक), डॉ निंगथौजम प्रेमजीत सिंह (संबंधित लेखक) और श्री अभिषेक प्रताप सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ डॉ राजीव पटनायक; सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यूयॉर्क, यूएसए के हंटर कॉलेज से डॉ. क्रिस्टोफर सी. गिल्बर्ट); दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, लॉस एंजिल्स से डॉ बीरेन ए पटेल ; एरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी, यूएसए से डॉ क्रिस्टोफर जे. कैम्पिसानो; अमेरिकन म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री, यूएसए से डॉ. कीगन आर. सेलिग द्वारा किए गए शोध से सहयोग लेकर किया गया हैI यह सभी शोध हाल ही में जर्नल ऑफ पेलियोन्टोलॉजी में प्रकाशित हुआ था। नए वर्णित नमूने वाडिया संस्थान के भंडार में रखे गए हैं।
यह खोजvजर्नल ऑफ पेलियोन्टोलॉजी में प्रकाशित हुई है https://doi.org/10.1017/jpa.2022.41
चित्र 1. सिवातुपिया रामनगरेंसिस एन. जेन. एसपी. डब्ल्यूआईएमएफ/ए 4699 (होलोटाइप)। दांतों का त्रि- आयामी (3 डी ) सतह प्रस्तुतिकरण: (1) संरोधक् (ओक्लूसल) ; (2) कपोल (बक्कल) (3) जीभ- सम्बन्धी (लिंगुअल) ; (4) पश्च भाग (पोस्टेरियर) ; (5) अग्र भाग (ऐनटीरियर) दृश्य।
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