न्यूज़ डेस्क : क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी (सीआईसी) की एक रिपोर्ट में कहा गया कि देश की कुल 40 करोड़ कामकाजी आबादी के करीब आधे लोग कर्जदार हैं, जिन्होंने कम से कम एक ऋण लिया है या उनके पास क्रेडिट कार्ड है। ट्रांसयूनियन सिबिल की रिपोर्ट के मुताबिक ऋण संस्थान तेजी से नए ग्राहकों के लिहाज से संतृप्ति स्तर के करीब पहुंच रहे हैं।
एक दशक में बैंकों ने खुदरा ऋण को दी प्राथमिकता
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि एक अनुमान के मुताबिक जनवरी 2021 तक भारत की कुल कामकाजी आबादी 40.07 करोड़ थी, जबकि खुदरा ऋण बाजार में 20 करोड़ लोगों ने किसी न किसी रूप में कर्ज लिया है। गौरतलब है कि पिछले एक दशक में बैंकों ने खुदरा ऋण को प्राथमिकता दी, लेकिन महामारी के बाद इस खंड में वृद्धि को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है।
सीआईसी के आंकड़ों के मुताबिक ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में 18-33 वर्ष की आयु के 40 करोड़ लोगों के बीच कर्ज बाजार की वृद्धि की संभावनाएं हैं और इस खंड में ऋण का प्रसार सिर्फ आठ फीसदी है।
सालाना आधार पर बैंक कर्ज 5.74 फीसदी और जमा 9.73 बढ़ा
बैंक कर्ज चार जून, 2021 को समाप्त पखवाड़े में सालाना आधार पर 5.74 फीसदी बढ़कर 108.43 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। वहीं जमा 9.73 फीसदी बढ़कर 153.13 लाख करोड़ रुपये हो गई। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े के अनुसार एक साल पहले पांच जून, 2020 को समाप्त पखवाड़े में बैंक कर्ज 102.55 लाख करोड़ रुपये और जमा राशि 139.55 लाख करोड़ रुपये रही थी। इससे पूर्व, 21 मई, 2021 को समाप्त पखवाड़े में बैंक ऋण 5.98 फीसदी जबकि जमा 9.66 फीसदी बढ़ी थी। केंद्रीय बैंक के आंकड़े के अनुसार, समूचे वित्त वर्ष 2020-21 में बैंक कर्ज 5.56 फीसदी और जमा 11.4 फीसदी बढ़ी।
टीकाकरण की गति तय करेगी पुनरुद्धार का रास्ता
भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारियों के एक लेख में कहा गया है कि कोविड-19 टीकाकरण की गति और पैमाना आर्थिक पुनरुद्धार के रास्ते को तय करेगा। इसमें यह भी कहा गया है कि अर्थव्यवस्था में महामारी तथा पहले से मौजूद चक्रीय और संरचनात्मक बाधाओं से पार पाने की जरूरी क्षमता तथा मजबूती है।
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