इस्पात मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) भारत का सबसे बड़ा लौह अयस्क उत्पादक है। इस निगम ने अभी हाल में स्कॉच नई दिल्ली द्वारा आयोजित 80वें स्कॉच सम्मेलन और स्कॉच पुरस्कारों में एक स्वर्ण और एक रजत पुरस्कार प्राप्त किया है। स्कॉच सम्मेलन का विषय ‘बीएफएसआई और सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम की स्थिति’ था।
एनएमडीसी ने एनएमडीसी आईटीआई भांसी के माध्यम से दंतेवाड़ा जिले में ‘तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास संवर्धन’ परियोजना के लिए सामाजिक दायित्व श्रेणी में स्वर्ण पुरस्कार तथा डिजिटल समावेशन श्रेणी में ईआरपी कार्यान्वयन के लिए ‘प्रोजेक्ट कल्पतरु’ के लिए रजत पुरस्कार जीते हैं। ये पुरस्कार एनएमडीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री सुमित देब की ओर से श्री अमिताव मुखर्जी, निदेशक (वित्त) ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्राप्त किए।
ये स्कॉच पुरस्कार विजेताओं को उनकी वेबसाइट पर जमा किए गए आवेदन पत्र, जूरी के समक्ष प्रस्तुतिकरण के बाद तीन दौर की लोकप्रिय ऑनलाइन वोटिंग और जूरी मूल्यांकन के दूसरे राउंड के आधार पर विजेताओं को प्रदान किए गए हैं। उपरोक्त के अलावा, एनएमडीसी को कल्पतरु परियोजना के सुगमतापूर्वक डिजिटाइजेशन के उल्लेखनीय प्रयासों, दंतेवाड़ा जैसे दूरस्थ जिलों में सीएसआर के माध्यम से तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास के विस्तार तथा कोविड का मुकाबला करने की श्रेणी में ‘परियोजना सुरक्षा प्रथम’ के लिए तीन स्कॉच – ऑर्डर ऑफ मेरिट पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं।
इस उपलब्धि पर एनएमडीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, श्री सुमित देब ने कहा, ‘‘मैं राष्ट्र की सेवा के लिए एनएमडीसी के प्रयासों – चाहे वो कौशल विकास एवं प्रशिक्षण के माध्यम से दंतेवाड़ा में युवाओं के जीवन में परिवर्तन लाना हो अथवा कुशल संचालन के लिए हमारी उत्पादन प्रक्रियाओं में डिजिटलीकरण को एकीकृत करना हो दोनों में ही एनएमडीसी के प्रयासों को मान्यता देने के लिए मैं स्कॉच को धन्यवाद देना चाहता हूं। एनएमडीसी सकारात्मक सामाजिक विकास पर जागरूकता से जोर देने के साथ कच्चे माल की मांग को पूरा करने के लिए एनएमडीसी की कड़ी मेहनत का अनूठा एकीकरण मुझे एनएमडीसी टीम का सदस्य होने पर गौरव की अनुभूति कराता है।
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