नई दिल्ली। एमसीआइ ( मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ) को तब्दील करने वाला बिल लोकसभा में पेश कर दिया गया। सरकार नेशनल मेडिकल कमीशन बनाने की पक्षधर है। कांग्रेस ने इसका जोरदार विरोध किया।
स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने जब बिल पेश किया तो कांग्रेस के सदस्यों ने तीखा विरोध किया। उनका कहना था कि स्क्रूटनी के लिए पहले इसे संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए था, लेकिन सभापति सुमित्रा महाजन ने उनके विरोध को दरकिनार कर दिया। उनका कहना था कि विपक्ष को भी तय प्रक्रिया का पालन करना चाहिए। विरोध के लिए सदस्यों को पहले नोटिस देना था।
नड्डा ने बताया कि बिल में चार स्वतंत्र बोर्ड बनाए जाने का प्रस्ताव है। नेशनल कमीशन में सरकार द्वारा नामित चेयरमैन व सदस्य होंगे जबकि बोर्डों में सदस्य सर्च कमेटी के जरिये तलाश किए जाएंगे। यह कैबिनेट सचिव की निगरानी में बनाई जाएगी। पैनल में 12 पूर्व व पांच चयनित सदस्य होंगे।
बिल में साझी प्रवेश परीक्षा के साथ लाइसेंस परीक्षा आयोजित कराने का प्रस्ताव है। सभी स्नातकों को प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस परीक्षा को पास करना होगा। बिल के जरिये सुनिश्चित किया जा रहा है कि सीटें बढ़ाने व परा स्नातक कोर्सेज शुरू करने के लिए संस्थानों को अनुमति की जरूरत नहीं होगी। सरकार का कहना है कि बिल के कानून की शक्ल लेने के बाद चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लग जाएगा।
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