एक करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों व पेंशनरों को हुई निराशा, नहीं हो सका उनकी मांगों पर कोई निर्णय

न्यूज़ डेस्क : कैबिनेट सेक्रेटरी और ‘जेसीएम’ की राष्ट्रीय परिषद (स्टाफ साइड) के बीच 26 जून को हुई बैठक में चर्चा पर ही अधिक जोर रहा। अधिकांश मांगों को ‘विचार-विमर्श’ का विषय बताकर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। केंद्र सरकार के 48 लाख कर्मचारी व 65 लाख पेंशनर इस बैठक को लेकर खासे उत्साहित थे। उन्हें उम्मीद थी कि लंबे समय से अधर में लटकी मांगों पर फैसला ले लिया जाएगा ,लेकिन बैठक में ऐसा कुछ नहीं हुआ। 

 

 

 

18 माह से बंद है डीए व डीआर एरियर भुगतान

राष्ट्रीय परिषद (स्टाफ साइड) के सचिव शिव गोपाल मिश्रा और अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ के महासचिव सी. श्रीकुमार ने कैबिनेट सचिव से कहा कि सरकार ने बिना जेसीएम से चर्चा किए, रक्षा आधुनिकीकरण के नाम पर 41 आयुध कारखानों को सात निगमों में तब्दील कर दिया। कोरोनाकाल में 18 माह से बंद डीए और डीआर के एरियर को लेकर ठोस जवाब नहीं मिला। श्रीकुमार ने कहा, कर्मियों और पेंशनरों के भत्ते रोकने से सरकार के 40 हजार करोड़ रुपये बचे हैं। 

 

 

 

 

कर्मचारी नेताओं ने दिया 15 जुलाई तक का वक्त

कैबिनेट सचिव ने वित्त सचिव से कहा कि कैबिनेट की मंजूरी लेकर डीए व डीआर बहाली की प्रक्रिया शुरू की जाए। कर्मचारी नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि 15 जुलाई तक यह प्रक्रिया शुरू नहीं होती है तो वे बड़ा कदम उठाने के लिए मजबूर होंगे। 

 

 

अधिकांश प्रस्ताव टाल दिए गए

बैठक में रखे गए 21 प्रस्तावों में से अधिकांश को ‘चर्चा’ या किसी मंत्रालय में भेजने के नाम पर टाल दिया गया। 80 साल से अधिक आयु वाले पेंशनर को आयकर से छूट देने का मामला भी राजस्व विभाग के पास भेजने की बात कही गई है। 

 

 

 

29 मांगें थी, 21 पर ही हुई चर्चा

बता दें कि अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ व दो अन्य संगठनों ने इस मामले को लेकर 19 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा की है। राष्ट्रीय परिषद ने केंद्र सरकार के समक्ष बातचीत का जो एजेंडा रखा था, उसमें 29 मांगें शामिल थी। हालांकि समय कम होने के कारण इनमें से 21 मांगों पर ही चर्चा हो सकी। 

 

 

 

आयुध कारखानों का निजीकरण न हो

शिव गोपाल मिश्रा और सी. श्रीकुमार ने ‘बतौर सदस्य’ जेसीएम की बैठक में कैबिनेट सचिव से आग्रह किया था कि सभी 41 आयुध कारखानों को सात कंपनियों में विभाजित न किया जाए। केंद्र सरकार के करीब 32 लाख कर्मियों ने इस बाबत पीएम मोदी से भी मांग की है कि वे 41 आयुध कारखानों को निजीकरण की तरफ न ले जाएं। सरकार इस पर दोबारा विचार करे। 

 

 

 

 

प्रमुख मांगें और बैठक में उन हुई यह चर्चा

मेडिकल एडवांस: कर्मचारियों की ओर से कहा गया कि 1992 से केंद्रीय कर्मियों को मिलने वाले मेडिकल एडवांस में कोई बदलाव नहीं किया गया है। वह राशि आज भी दस हजार रुपये है, जबकि अस्पतालों के अंदर प्रवेश करते ही इतनी राशि तो काउंटर पर ही जमा करा लेते हैं। इसे 50 हजार रुपये किया जाए। इस संबंध में कैबिनेट सचिव ने कहा, स्वास्थ्य मंत्रालय इस मामले में विचार करेगा। 

नाइट ड्यूटी अलाउंस: इसे लेकर सरकार ने जो सीमा तय की है, उससे कर्मियों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। इस केस में भी रेलवे बोर्ड चेयरमेन से चर्चा करने की बात कही गई। 

 

 

 

पुरानी पेंशन व्यवस्था: एनपीएस से कर्मियों को नुकसान हो रहा है, इसलिए पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल की जाए। नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) में जीपीएफ जैसी सुविधाओं का अभाव है। जिन कर्मियों को जीपीएफ मिलता है, वे घर बनाने या बच्चों का विवाह आदि को लेकर निश्चिंत रहते हैं। केंद्र सरकार से यह मांग की गई थी कि सभी कर्मियों को जीपीएफ में कॉन्ट्रीब्यूट करने की इजाजत दी जाए। इस संबंध में कैबिनेट सचिव ने कहा, एक जनवरी 2004 के बाद भर्ती हुए कर्मियों को जीपीएफ सुविधा प्रदान करने के लिए दोबारा विचार किया जाएगा। 

 

 

 

सीजीएचएस सेंटर: देश के सभी शहरों में सीजीएचएस सेंटर नहीं हैं। ऐसे लाखों रिटायर्ड कर्मी हैं जो शहरों से दूर रहते हैं। इसके लिए उन्हें 100 रुपये प्रति माह मिलते हैं। इसी राशि में उन्हें आउटडोर ट्रीटमेंट कराना पड़ता है। इंडोर ट्रीटमेंट खर्च का पुनर्भुगतान नहीं होता। पेंशनरों को निजी अस्पतालों में इलाज कराना पड़ता है और उसके बाद में पुनर्भुगतान के लिए हाई कोर्ट या सीएटी के चक्कर काटने पड़ते हैं। सरकार से मांग की गई है कि ऐसे पैंशनर, जो नॉन सीजीएचएस क्षेत्र में रहते हैं, उनके लिए कोई विशेष व्यवस्था की जाए। जेसीएम की बैठक में कैबिनेट सचिव ने कहा, इस संबंध में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कोई निर्णय लिया जाएगा। किसी कर्मी या उसके परिजन को अस्पताल में ज्यादा दिन भर्ती रहना पड़े तो अतिरिक्त चार्जेस के पुनर्भुगतान के बारे में भी स्वास्थ्य मंत्रालय ही कोई फैसला करेगा। 

 

 

 

ट्रांसपोर्ट अलाउंस और रनिंग अलाउंस आयकर से छू

ट्रांसपोर्ट अलाउंस और रनिंग अलाउंस आयकर से छूट देने का मामला राजस्व विभाग के पास भेजा जाएगा। अस्पतालों में काम करने वाले सीजी कर्मचारी की तर्ज पर दूसरे कर्मियों को भी अस्पताल पेसेंट केयर अलाउंस दिए जाने को लेकर कहा, इस बाबत रक्षा मंत्रालय अंतिम फैसला करेगा। 

 

 

 

कोविड राहत: महामारी के दौरान सरकारी कर्मियों के कई तरह के मामले फंसे हैं, उनके निपटारे के लिए सुचारु व्यवस्था बनाने की मांग रखी गई। इस बाबत डीओपीटो से कहा गया है कि कोविड मामले निपटाए जाएं। रेलवे, पोस्टल व डिफेंस कर्मियों को फ्रंटलाइन वर्कर माना जाए। 7वीं सीपीसी के मुताबिक, कर्मियों को एडहॉक बोनस की जगह प्रोडेक्टिीविटी लिंक्ड बोनस दिया जाए। इस पर कैबिनेट सचिव ने कहा, श्रम मंत्रालय द्वारा बोनस एक्ट में संशोधन करने के बाद ही यह संभव हो सकेगा। 

 

 

 

एरियर व डीए बंद : केंद्र सरकार के 80 प्रतिशत कर्मचारी वेतनमान के निचले दर्जे में आते हैं। ऐसे में सरकार ने डीए बंद कर उन्हें आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। कोरोना की लड़ाई में सभी सरकारी कर्मियों ने पीएम केयर फंड में एक दिन का वेतन दिया है। भत्तों पर लगी रोक से सरकार के 40 हजार करोड़ रुपये बच गए हैं। अब सरकार को अविलंब डीए, डीआर व दूसरे भत्ते जारी करने चाहिएं। साथ ही 18 माह का एरियर भी कर्मियों के खाते में जमा हो। इस संबंध में कैबिनेट सचिव ने कहा, व्यय विभाग कैबिनेट की मंजूरी लेने के बाद एक जुलाई से डीए और डीआर बहाल करने की प्रक्रिया शुरू करेगा। इस बीच जो कर्मी रिटायर हो गए या उनकी मौत हो गई, उन्हें भी वे सभी लाभ मिलें, इसके लिए जेसीएम प्रतिनिधियों के साथ अलग से बात होगी। 

 

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