नई दिल्ली। स्कूलों को डिजिटल बोर्ड से लैस करने की योजना पर सरकार ने काम शुरु कर दिया है। इसके तहत राज्यों से प्रस्ताव मांगे गए है। पहले चरण में देश के एक हजार से ज्यादा स्कूलों को इस योजना से लैस करने की तैयारी है। माना जा रहा है कि राज्यों को जल्द ही इसके लिए बजट जारी किया जाएगा।
सरकार ने यह सारी कवायद उस समय तेज की है, जब राज्यों को नए वित्तीय वर्ष के लिए शिक्षा का बजट जारी किया जाना है। ऐसे में केंद्र सरकार ने राज्यों से अपने प्रस्ताव में डिजिटल बोर्ड को शामिल करने का सुझाव दिया है। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो राज्यों से प्रस्ताव आने के बाद सभी के लक्ष्य तय किए जाएंगे। फिलहाल सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में एक हजार से अधिक स्कूलों को डिजिटल बोर्ड से लैस करने की योजना बनाई है। इसके अलावा सरकार की नजर उद्योगों से मिलने वाले सीएसआर (कार्पोरेट सोशल रिस्पांसविलिटी) फंड पर भी है, जिसकी मदद से ज्यादा से ज्यादा स्कूलों को डिजिटल बोर्ड से लैस किया जा सकता है। ग्रामीण और दूर-दराज के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी देश-दुनिया से जुड़ी जानकारी और विषय वस्तु से परिचित हो सकेंगे। जो उनके विकास में मददगार साबित होगा।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक योजना के पहले चरण में स्कूलों की नौवीं से बारहवीं तक की कक्षाओं को डिजिटल बोर्ड से लैस किया जाएगा। बाद में निचली कक्षाओं को भी इससे लैस किया जाएगा। सरकार का मानना है कि छोटे कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों के मुकाबले बड़ी कक्षाओं में पढ़ रहे बच्चों को डिजिटल तकनीक के जरिए ज्ञान देना ज्यादा जरूरी है। साथ ही वह उन्हें इसकी जरूरत भी है।
गौरतलब है कि सरकार ने बजट में स्कूली शिक्षा को एक दायरे में लाने की भी घोषणा की है। ऐसे में नर्सरी से बारहवीं तक शिक्षा अब एक नए मिशन के तहत ही संचालित की जाएगी। सरकार ने हाल ही में कैबिनेट में इसकी मंजूरी भी दे दी है। इस योजना को सरकार की तरफ से जल्द ही नया नाम भी देने की तैयारी है।
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