संस्कृति मंत्रालय ने सप्ताह भर चलने वाले विज्ञान सर्वत्र पूज्यते के हिस्से के रूप में आज श्रृंखला धारा – भारतीय ज्ञान प्रणाली को समर्पित एक कविता श्रृंखला के पहले कार्यक्रम का आयोजन किया
संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित धारा – भारतीय ज्ञान प्रणाली को समर्पित एक कविता- की आज नई दिल्ली में शुरुआत हुई। इस सममेलन का आयोजन विज्ञान सप्ताह का समारोह मनाने के लिए किया जा रहा है तथा संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री गोविंद मोहन ने एक रिकॉर्डेड संदेश के माध्यम से इसे संबोधित किया। इस अवसर पर, विख्यात गणितज्ञ श्री मंजुल भार्गव ने ‘‘शून्य से परे – गणित के प्रति भारत के कुछ मूलभूत योगदानों का एक सर्वे ‘‘विषय पर मुख्य भाषण दिया। एआईसीटीई के सदस्य सचिव श्री राजीव कुमार भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
इस अवसर पर, संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री गोविंद मोहन ने एक रिकॉर्डेड संदेश के माध्यम से अपने संबोधन में कहा कि भारत में गणित का बहुत लंबा और समृद्ध इतिहास रहा है। भारत में गणित ने उल्लेखनीय योगदान दिए हैं। अब समय आ गया है कि उन उल्लेखनीय योगदानों का समारोह मनाया जाए तथा मानवता के फलने फूलने तथा सह-अस्तित्व बनाये रखने के लिए विश्व को एक बेहतर स्थान बनाने की दिशा में इन योगदानों को आगे ले जाया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि संस्कृति मंत्रालय विभिन्न क्षेत्रों में भारत के योगदान का समारोह मनाते हुए व्याख्यान प्रदर्शनों द्वारा समर्थित धारा – भारतीय ज्ञान प्रणाली को समर्पित एक कविता- कार्यक्रमों की एक श्रृंखला की घोषणा करके गर्व का अनुभव कर रहा है।
गणित के प्रति भारतीयों के योगदान की चर्चा करते हुए श्री मंजुल भार्गव ने कहा कि भारत ने गणित के क्षेत्र में शून्य के अतिरिक्त और बहुत अधिक योगदान दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि जहां गणित में शून्य के योगदान को स्वीकार किया जाता है तथा दुनिया भर के विद्यालयों में पढ़ाया जाता है, भारत के अधिकांश अन्य प्रमुख योगदानों का अक्सर पूरी तरह कोई भी उल्लेख नहीं किया जाता।
अपने व्याख्यान में उन्होंने शून्य के अतिरिक्त गणित के प्रति भारतीयों के अन्य 10 योगदानों को रेखांकित किया। इनमें भारतीय अंक प्रणाली, बौद्धायन-पाइथागोरस प्रमेय, भाषा का गणित, त्रिकोणमिति में साइन फंक्शन, नकारात्मक संख्याएं, द्विघात समीकरणों के समाधान, द्विपद गुणांक, विरहंका-फिबोनाची अनुक्रम, त्रृटि-पहचान/कोड सुधार, पाई के लिए प्रथम सटीक फॉर्मूला शामिल हैं।
एआईसीटीई के सदस्य सचिव श्री राजीव कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के माध्यम से ऐसा पहली बार हुआ है कि प्रचीन भारत में किए गए कार्यों को विश्व के समक्ष लाया जा रहा है।
भारत में गणित का बहुत समृद्ध, लंबा तथा पवित्र इतिहास है। गणित में सबसे प्राथमिक वस्तु से शुरु होकर, संख्याओं के प्रतिनिधित्व के माध्यम से, पुनरावृति संबंधों को अभिव्यक्त करने के जरिये, इंडिटरमिनेट समीकरणों के समाधान तक पहुंचने के लिए, इनफाइनाइट तथा इंफाइनाइटेसिमल्स को प्रबंधित करने में परिष्कृत तकनीकों के विकास तक भारतीय गणितज्ञों ने उल्लेखनीय योगदान दिया है।
‘आजादी का अमृत महोत्सव ‘प्रगतिशील भारत के 75 वर्षों एवं इसके लोगों, संस्कृति तथा उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास का समारोह मनाने तथा स्मरण करने के लिए भारत सरकार की एक पहल है। आजादी का अमृत महोत्सव 12 मार्च, 2021 को आरंभ हुआ जिसने हमारी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के लिए 75 सप्ताह की उलटी गिनती शुरु कर दी। यह 15 अगस्त, 2023 तक जारी रहेगा।
इस ऐतिहासिक अवसर का स्मरण करने के लिए, आजादी का अमृत महोत्सव पूरे देश में एवं दुनिया भर में सभी मंत्रालयों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों तथा विदेशों में स्थित हमारे समकक्षों की सहभागिता के साथ मनाया जा रहा है। समारोह उन आयोजनों के रूप् में होता है जो ‘संपूर्ण सरकार’ (विभिन्न सरकारी निकायों के बीच सहयोग) के सिद्धांत पर आयोजित किए जाते हैं तथा अधिकतम ‘जनभागीदारी’ (आम लोगों की सहभागिता) सुनिश्चित करते हैं।
Comments are closed.