• फिल्म प्रभाग, फिल्म समारोह निदेशालय, भारतीय राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार और बाल फिल्म सोसायटी, भारत का कार्य-अधिदेश एनएफडीसी को हस्तांतरित
• 2026 तक फिल्म क्षेत्र का समर्थन करने के लिए 1304.52 करोड़ रुपये का आवंटन
• परिसंपत्तियों का स्वामित्व भारत सरकार के पास रहेगा
• “फिल्म प्रभाग” का ब्रांड नाम बनाए रखा गया है
• विदेशों के साथ ऑडियो-विजुअल सह-निर्माण के लिए वित्तीय प्रोत्साहन और भारत में विदेशी फिल्मों की शूटिंग को बढ़ावा
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने आज तीन अलग-अलग आदेशों के माध्यम से वृत्तचित्रों और लघु फिल्मों के निर्माण, फिल्म समारोहों के आयोजन तथा फिल्मों के संरक्षण का कार्य-अधिदेश; मंत्रालय के तहत काम कर रहे सार्वजनिक उपक्रम, राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) को हस्तांतरित कर दिया। इन सभी गतिविधियों को एक प्रबंधन के तहत लाने से, कई इकाइओं द्वारा एक ही कार्य किये जाने की संभावना कम होगी और इस प्रकार सार्वजनिक संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा। एनएफडीसी द्वारा पहले से ही फीचर फिल्मों का निर्माण-कार्य किया जा रहा है। इससे फीचर फिल्मों, वृत्तचित्रों, बच्चों की फिल्मों और एनीमेशन फिल्मों सहित सभी शैलियों की फिल्मों के निर्माण; विभिन्न अंतरराष्ट्रीय समारोहों में भाग लेने और विभिन्न घरेलू समारोहों के आयोजन के माध्यम से फिल्मों के प्रचार; फिल्म कंटेंट के संरक्षण व फिल्मों के डिजिटलीकरण और पुनरुद्धार तथा वितरण व आउटरीच गतिविधियों को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। इन इकाइयों के पास उपलब्ध परिसंपत्तियों का स्वामित्व हालांकि, भारत सरकार के पास रहेगा।
आज जारी किए गए आदेशों के अनुसार, वृत्तचित्रों के निर्माण का काम जो पहले फिल्म प्रभाग द्वारा किया जाता था, उसे पूरी तरह से एनएफडीसी को हस्तांतरित कर दिया गया है। फिल्म डिवीजन की विरासत और ब्रांड नाम को आगे बढ़ाया जाएगा और एनएफडीसी में वृत्तचित्रों के निर्माण के लिए प्रोडक्शन इकाई को “फिल्म डिवीजन” नाम दिया जाएगा।
इसी तरह, फिल्म महोत्सव का आयोजन जो फिल्म महोत्सव निदेशालय का अधिकार था, उसे एनएफडीसी को स्थानांतरित कर दिया गया है। इससे विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का आयोजन एक संगठन के तहत आ जाएगा, जिससे आयोजन में और अधिक तालमेल दिखेगा और अंतरराष्ट्रीय पहुंच बनाने पर ध्यान केंद्रित होगा। एनएफडीसी द्वारा आयोजित होने वाले कुछ प्रमुख आगामी फिल्म महोत्सव में मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव, गोवा में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और बाल फिल्म महोत्सव शामिल हैं।
भारत के राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार द्वारा की जाने वाली संरक्षण संबंधी गतिविधियों को भी एनएफडीसी को हस्तांतरित कर दिया गया है। फिल्मों और वृत्तचित्रों के डिजिटलीकरण और नवीनीकरण के उद्देश्य वाले राष्ट्रीय फिल्म विरासत मिशन को अब एनएफडीसी पूरा करेगा।
ऑडियो-विजुअल सेवा उन 12 सर्वोत्तम सेवा क्षेत्रों में से एक है जिसे वाणिज्य विभाग ने चिन्हित किया था और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय इस क्षेत्र के लिए नोडल मंत्रालय है। अर्थव्यवस्था के ऑडियो-विजुअल सेवा क्षेत्र को और प्रोत्साहित करने और रचनात्मक एवं तकनीकी सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए बाहरी देशों के साथ ऑडियो-विजुअल सह-निर्माण और भारत में विदेशी फिल्मों की शूटिंग को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन को भी सरकार ने अनुमोदित कर दिया है। इसकी भी अगुवाई एनएफडीसी अपने फिल्म सुविधा कार्यालय के माध्यम से करेगा।
भारत सरकार ने इन सभी गतिविधियों के लिए 2026 तक की अवधि के लिए 1304.52 करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन किया है। इन गतिविधियों को एनएफडीसी के माध्यम से लागू किया जाएगा। एनएफडीसी को और अधिक मजबूत बनाने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है कि इन गतिविधियों से प्राप्त होने वाले राजस्व को भी एनएफडीसी को दिया जाएगा। इस निगम के अंतर्गत आने वाली फिल्म मीडिया इकाइयों का विलय भारतीय सिनेमा की सभी विधाओं- फीचर फिल्मों, वृत्तचित्रों, बच्चों के लिए कंटेंट, एनीमेशन और लघु फिल्मों – का संतुलित एवं समन्वित विकास सुनिश्चित करेगा और मौजूदा बुनियादी ढांचे एवं श्रम शक्ति के बेहतर एवं कुशल उपयोग को बढ़ावा देगा।
दिसंबर, 2020 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एनएफडीसी के मेमोरेंडम ऑफ आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन का विस्तार करके अपनी चार फिल्म मीडिया इकाइयों यथा फिल्म प्रभाग, फिल्म महोत्सव निदेशालय, भारतीय राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार, और बाल फिल्म सोसायटी, भारत का विलय राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम लिमिटेड (एनएफडीसी) में करने का निर्णय लिया था। इसके बाद राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम लिमिटेड (एनएफडीसी) ही इन सभी इकाइयों द्वारा अब तक किए जा रहे समस्त कार्यकलापों को पूरा करेगा। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य इन सभी इकाइयों के विभिन्न कार्यकलापों में उचित तालमेल बैठाना एवं इनके बीच सामंजस्य स्थापित करना, और इसके साथ ही संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना है। मंत्रालय ने इसी महीने की शुरुआत में चेन्नई और मुंबई में फिल्म उद्योग के साथ आयोजित अपने संवाद के दौरान इन प्रमुख नीतिगत फैसलों को साझा किया था।
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