‘माय नेम इज़ लखन’ शो का कॉन्सेप्ट क्या है?
‘माय नेम इज़ लखन’ अच्छाई और बुराई के बीच की लड़ाई की कहानी है, जिसे एक बेटे और पिता के जरिये दर्शाया गया है, जहां बेटा ‘बुरा’ है और पिता ‘अच्छा’। और उसके बीच है एक ‘ग्रे एरिया’, जोकि मैं हूं। वह मां जोकि बेटे और साथ ही साथ पिता के नजरिये को देखती है। इस सीरीज़ में दिखाया गया है कि आखिरकार जीत किसकी होती है, बुराई की या फिर अच्छाई की।
इस शो में आपके किरदार के बारे में कुछ बतायें?
इस शो में मेरे किरदार का नाम पम्मी है, लखन की मां। उसकी पैदाइश और परवरिश पंजाब की है। हालांकि, पिछले कई सालों से वह मुंबई में अपने पति के साथ रह रही है, उन्होंने अभी भी अपने सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों को बचाये रखा है। इस शो में मेरे पति एक टीचर हैं और मेरा उनके साथ काफी अच्छा रिश्ता है, लेकिन जब बात बेटे की आती है तो हमेशा ही मतभेद होता है। इस शो में मैं अपने बेटे को बेहद प्यार करती हूं और उसको लेकर मैं थोड़ा पक्षपात करती हूं। मैं उसकी गलतियों को अनदेखा कर देती हूं, इसके बावजूद कि वह एक गुंडा है। वहीं दूसरी तरफ, मेरे पति उसे इस नजरिये से देखते हैं कि ‘‘मेरा बेटा गलत रास्ते पर चला गया है और मुझे उसे सुधारना है’’। मेरा किरदार बेटे और पति के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करती है, क्योंकि वह दोनों को प्यार करती है।
इस शो में अपने पति के साथ काम करने को लेकर आप कितनी उत्सुक हैं?
सच कहूं तो वास्तविकता में हमारे बीच पति और पत्नी का इतना अच्छा रिश्ता है कि ऐसे में परदे पर वैसा हो पायेगा या नहीं, उसका डर सताता है! हालांकि, परमीत और मैं कई अन्य क्रिएटिव काम साथ करते हैं, जैसे लिखना और ऑफ-स्क्रीन हमारी काफी अच्छी टीम होती है। मुझे पूरी उम्मीद है कि परदे पर भी वह उसी तरह नज़र आयेगा। वर्कस्पेस पर हम दोनों एक-दूसरे को दो प्रोफेशनल की तरह लेते हैं, क्योंकि वह मेरे पति हैं इसलिये इसका ये मतलब नहीं कि मैं सीन में उन्हें मजाक में लूं या वह मुझे मजाक में लूं। जब हम सेट पर होते हैं तो सबकुछ काफी प्रोफेशनल होता है; लेकिन एक बार ‘कट’ बोलने पर हम फिर पति-पत्नी बन जाते हैं, अपने वैनिटी वैन में एक साथ खाना खाते हैं और चाय पीते हैं, जोकि हमारे लिये एक छोटे घर की तरह है। इसलिये, कुल मिलाकार हमारे आपसी रिश्ते के कारण सहजता का एक अच्छा–खासा मिश्रण है। साथ ही यह बेहद रोमांचक है कि हम दोनों एक साथ मिलकर एक नये क्षेत्र में हाथ आजमा रहे हैं।
आपने कई सारे रियलिटी शोज़ में काम किया है और अब आप एक फिक्शन शो में काम कर रही हैं। इन दोनों में क्या फर्क है?
दरअसल, मैंने ‘मिस्टर या मिसेज’, ‘श्रीमान श्रीमती’, ‘जुनून’, ‘आसमान से टपकी’, ‘सामने वाली खिड़की में’ और कई अन्य फिक्शन शोज़ से मैंने अपने कॅरियर की शुरुआत की थी। फिक्शन एक ऐसी चीज है जो मुझे पसंद है क्योंकि एक कलाकार के तौर पर यह मुझे परफॉर्म करने का मौका देती है। फिक्शन सीरीज में जिस तरह की क्रिएटिविटी का संचार होता है उसकी वजह से ही मैं ‘माय नेम इज़ लखन’ में काम करने के लिये उत्सुक हूं। क्योंकि मैं एक ऐसा किरदार, खासतौर से एक कॉमिक किरदार निभा रही हूं, जिसे करना मुझे पसंद है। इसलिये, मैं इस शो को करने के लिये बेहद उत्साहित थी।
मेरे हिसाब से इन दोनों के बीच यह फर्क है कि रियलिटी शोज़ में हिस्सा लेना काफी तनावपूर्ण होता है और उसे जज करना फिक्शन शो की तरह उतना मजेदार नहीं होता है। मेरे लिये, फिक्शन के साथ सबसे सटीक कॉम्बिनेशन कॉमेडी का है और मेरा शो ‘माय नेम इज़ लखन’ उसी के बारे में है।
आप क्या करना पसंद करेंगी– टेलीविजन या फिल्में?
क्रिएटिव रूप में संतुष्टि के लिये फिल्में और पैसों के लिये टेलीविजन।
‘एमएनआईएल’ के सारे किरदारों में आपका पसंदीदा किरदार कौन-सा है?
मुझे लखन का किरदार पसंद है। मुझे लगता है कि यह निभाने के लिये एक बेहतरीन किरदार है और श्रेयस वाकई बेहद खुशकिस्मत हैं कि उन्हें इतना बेहतरीन कॉमिक व जटिल किरदार निभाने का मौका मिल रहा है। इसके प्रोमो की शूटिंग के दौरान मैंने पाया कि वह काफी अनुशसित और समर्पित अभिनेता हैं और इसमें मुझे कोई शक नहीं कि वह इस भूमिका के साथ पूरी तरह न्याय कर पायेंगे। इसलिये, लखन के किरदार को श्रेयस द्वारा परदे पर निभाते हुए देखने के लिये मैं बेहद उत्सुक हूं।
दर्शकों के लिये कोई संदेश?
‘माय नेम इज़ लखन’ को अलग तरह से तैयार किया गया है। यह एक घंटे का कॉमिक सीरीज है, जोकि भारत में बहुत आम नहीं है। साथ ही यह कोई सिटकॉम नहीं है, जिसमें एपिसोड के अंत में मामला सुलझ जाता है, क्योंकि हमारी कहानी लगातार चलती रहती है। यह दर्शकों को हर एपिसोड को देखने के लिये अपनी ओर खींचेगा। श्रेयस,अर्चना, परमीत और संजय नारवेकर जैसे दिलचस्प कलाकारों के साथ वीकेंड पर देखने लायक यह बहुत ही अच्छा शो होने वाला है। यह दर्शकों के लिये बेहद रोमांचक होने वाला है और कलाकारों के लिये भी कि वह कुछ नया करें।’’
Comments are closed.