निजी विद्युत उत्पादन स्टेशनों (आईपीपी) द्वारा कोयले (राज्यों को आवंटित) के उपयोग की कार्यप्रणाली में संशोधन
बिजली की बढ़ती मांग के मद्देनजर किए जा रहे विभिन्न उपायों के तहत विद्युत मंत्रालय ने निजी विद्युत उत्पादन स्टेशनों (आईपीपी) द्वारा कोयले (राज्यों को आवंटित) के उपयोग संबंधी कार्यप्रणाली में संशोधन किया है। कोयले की आपूर्ति अवधि को 1 वर्ष से बढ़ाकर 3 वर्ष करते हुए विद्युत संयंत्रों को कहीं अधिक दृश्यता प्रदान की गई है। ये संशोधन अनुलग्नकI के तहत संलग्न हैं। मंत्रालय ने बोली प्रक्रिया की समय-सीमा में भी संशोधन किया है और उसे 67 दिनों से घटाकर 37 दिन कर दिया गया है। संशोधित समय-सीमा का विवरण अनुलग्नकII में दिया गया है। घरेलू कोयले का कहीं अधिक कुशल उपयोग सुनिश्चित करने के लिए उपाय किए गए हैं।
सरकार ने रेलवे के बुनियादी ढांचे का इष्टतम उपयोग विद्युत संयंत्रों तक कोयले की अधिकतम आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ये उपाय किए हैं। मंत्रालय ने कहा कि इससे राज्यों को खदानों के आसपास वाले संयंत्रों में अपने लिंकेज वाले कोयले का बेहतर उपयोग करने में मदद मिलेगी क्योंकि दूरदराज के राज्यों में कोयला परिवहन के बजाय बिजली पारेषण कहीं अधिक आसान होगा।
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