नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कहा है कि डोकलाम पर स्थिति में कोई बदलाव नहीं है। कूटनीतिक प्रयासों के बाद दोनों देशों की सेनाएं जहां पर लौटी थीं, वहीं पर हैं।
गौरतलब है कि डोकलाम में 73 दिनों तक चीन व भारत की सेनाएं एक दूसरे के समक्ष डटकर खड़ी रही थीं। इस इलाके में चीनी सेना द्वारा सड़क बनाने पर उपजे विवाद के बाद भारतीय सेना वहां पहुंची थी। हालांकि उसके बाद कूटनीतिक कोशिशों के चलते दोनों देशों की सेना एक दूसरे के सामने से हट गई थी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने एक सवाल के जवाब में कहा कि समझौते के बाद सेना जिस स्थिति में आई थीं, वह बरकरार है। उनसे पूछा गया था कि क्या चीन ने फिर से इस इलाके में कोई गतिविधि शुरू की है। उन्होंने कयासों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि यथास्थिति कायम है।
इससे पहले डोकलाम सीमा पर चीनी सैनिकों की फिर से तैनाती की खबरों पर कांग्रेस ने चिंता जाहिर करते हुए एनडीए सरकार की सुरक्षा रणनीति पर सवाल उठाये थे। पार्टी के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर राजनीतिक दलों का नजरिया सरकार से अलग नहीं हो सकता, लेकिन मोदी सरकार की लचर सुरक्षा रणनीति की वजह से डोकलाम को लेकर चिंता का सवाल उठाना लाजिमी है। खासकर यह देखते हुए कि सेटेलाइट तस्वीरों में डोकलाम में भारतीय सीमा से 10 मीटर दूर चीनी सैनिकों की मौजूदगी पहले से कहीं ज्यादा बताई जा रही है।
कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सामने आयी खबरों से यह साफ है कि चीनी सेना ने डोकलाम में न केवल सैन्य कैंप बना लिया है, बल्कि पूरे डोकलाम घाटी को अपने नियंत्रण में ले लिया है। सात हेलीपैड, कई दर्जन बख्तरबंद सैन्य गाडि़यों के साथ एक सीमेंट से बना टावर भी चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा से 10 मीटर की दूरी पर बनाया है। रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पास में ही कुछ ऐसे पार्किंग स्थल बनाए गए हैं जहां हल्के टैंक को रखा जा सकता है। सुरजेवाला ने चीनी सेना की इन गतिविधियों का हवाला देते हुए पूछा कि मोदी सरकार या रक्षा मंत्रालय को इस बारे में कुछ मालूम है।
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