चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में स्पष्ट कर दिया है कि अगर निजी स्कूल गलत तरीके से फीस वसूलते हैं तो वसूली गई फीस बच्चों के परिवार वालों को वापस मिलनी चाहिए। सरकार इस फीस की वापसी के लिए स्कूल की संपति तक बेचने के लिए स्वतंत्र हैं। वसूली गई फीस की जांच के लिए कोर्ट ने कमेटी गठित करने के आदेश सरकार को दिए हैं। कमेटी को अपनी रिपोर्ट 28 फरवरी तक देनी होगी।
यह याचिका डीपीएसजी पेरेंट्स एसोसिएशन फरीदाबाद ने दायर की है। इसमें स्कूलों द्वारा बढ़ाई गई फीस को चुनौती दी गई है। याची संस्था की ओर से कहा गया कि स्कूलों द्वारा की जा रही फीस वृद्धि पर कोई कंट्रोल नहीं है। स्कूल मनमाने तरीके से फीस में वृद्धि कर रहे हैं, जो हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेश के खिलाफ है।
इस पर हाईकोर्ट ने हरियाणा शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को आदेश दिया कि वह एक कमेटी गठित करें। यह कमेटी देखेगी कि स्कूल फीस की वृद्धि कैसे की गई है और वृद्धि के लिए जो कारण और कारक हैं वे सही हैं या नहीं।
हाईकोर्ट ने छात्रों के अभिभावकों को आदेश दिए कि वे बढ़ी हुई फीस को जमा करवा दें। यदि कमेटी ने पाया कि फीस वसूली गलत है तो स्कूलों की प्रॉपर्टी नीलाम करके भी वसूली करनी पड़ी तो की जाएगी। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने स्कूलों को आदेश दिए कि वह यह शपथ पत्र दें कि फीस वसूली के लिए यदि उनकी प्रॉपर्टी भी नीलाम की जाती है तो आपत्ति नहीं है।
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