न्यूज़ डेस्क : बास्केटबॉल कॉम्प्लेक्स, रेसकोर्स रोड इंदौर में चल रही सिल्क इंडिया एग्जिबिशन मैं वैवाहिक कलेक्शन प्रदर्शित किया जा रहा है। यहां पर बनारसी एवं कांजीवरम साड़ियां महिलाओं को काफी पसंद आ रही हैं। एग्जीबिशन में बनारस के बुनकर सलाम वसीम स्पेशल जुम्मन जंगला वाले की जंगला साड़ी लेकर आए हैं। इस साड़ी में 4 कलर्स का मीनाकारी वर्क और कडुआ वर्क किया गया है।
कोटा राजस्थान से आए बुनकर कोटा सिल्क पर तैयार की गई कोटा डोरिया साड़ियों का कलेक्शन प्रदर्शित कर रहे हैं इन साड़ियों पर जरी वर्क किया गया है साथ ही लहरिया पैटर्न पर बूटी बनाए गए हैं इस साड़ी की कीमत ₹8000 है।
भागलपुर बिहार के बुनकर टीपू ‘नोयल टसर’ प्योर सिल्क साड़ी लेकर आए हैं। साथ में मधुबनी प्रिंट की साड़ियां सूट एवं दुपट्टे का कलेक्शन भी प्रदर्शित कर रहे हैं।
कश्मीर के बुनकर राजा कश्मीरी पशमिना शाल के चुनिंदा डिजाइन लेकर आए हैं। कश्मीर के प्रसिद्ध कानी वर्क किए गए सूट्स जोकि विंटर सीजन के लिए परफेक्ट च्वाइस हैं, इनके स्टाल पर उपलब्ध हैं।
डिब्रूगढ़ असम से आए हुए बुनकर विक्रम के पास घींचा वीविंग, कोरा वीविंग, टसर वर्क, कतान वर्क की गई साड़ियों का आकर्षक कलेक्शन है। इसके अलावा इनके पास कोसा टसर पर क्रॉस स्टिच की गई साड़ी खास है।
बनारस से आये इकराम मूगा सिल्क, कतान सिल्क, खड्डी जॉर्जेट, टसर सिल्क के साथ खास तनचोई जामावार साड़ी लेकर आये है जिसकी कीमत 35000 रुपये है। यह साड़ी आठ लेयर में बनी गयी पटोला पैटर्न की साडी है। इस साड़ी की विशेषता यह है की धागे आगे पीछे एक सामान बुने होते हैं।
इसके अलावा इस एग्जीबिशन में कुट्टू ब्रॉकेट की रियल ज़री कांजीवरम साड़ियां प्रस्तुत की गयी हैं, जिनकी कीमत 70 हजार रूपये तक है। यह साडी तमिलनाडु के कारीगर क़ादर लेकर आये हैं। क़ादर ने बताया की यह साडी दो कारीगर मिलकर ६ महीने मैं बना पाते हैं। हर दिन आधा मीटर की वीविंग होती है।
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इसके साथ ही यहां पर कश्मीर से बुनकर मोहम्मद अनीस पश्मीना साड़ी लेकर आए हैं लिए भी कई हैंडलूम की बनी हुयी ख़ास पश्मीना शाल , कानी शाल लेकर आए हैं । लखनऊ की चिकनकारी कुर्तियां, बगरू प्रिंट की जयपुरी कुर्तियां, गुजरती घाघरा चोली, लहंगा आदि विवाह समारोहों के लिए परफेक्ट च्वॉइस हो सकते हैं ।
बास्केटबॉल कॉम्प्लेक्स, रेसकोर्स रोड इंदौर में चल रही सिल्क इंडिया एग्जीबिशन में देश भर के लगभग 100 बुनकर हिस्सा ले रहे हैं। इस एग्जिबिशन में वैवाहिक सीजन को देखते हुए साड़ियों का स्पेशल कलेक्शन प्रस्तुत किया जा रहा है। एग्जीबिशन में भागलपुर बिहार से आए बुनकर नसीम अंसारी टसर साड़ी, मटका सिल्क, मूंगा सिल्क, लीलेन साड़ी, टिशु लीलेन, कॉटन सिल्क के ड्रेस मैटेरियल एवं साड़ियां लेकर आए हुए हैं। नसीम ने बताया कि वे टसर बाटिक प्रिंट साड़ी की व्यापक रेंज लेकर आए हैं, उन्होंने बताया कि पहले टसर सिल्क से यह साड़ी बुनी जाती है। बुनने के बाद अरारोट के माड़ से साड़ी को धोया जाता है।
इसके बाद सुखाने के उपरांत मोम से बाटिक प्रिंट बनाया जाता है बाटिक प्रिंट के लिए मोम को गर्म करके पिघलाया जाता है फिर अलग-अलग डिजाइन के फर्मे पर पिघला हुआ मोम फैलाया जाता है। सूखने के बाद डिजाइन उभर आते हैं। इसके बाद साड़ी पर कलर किया जाता है कलर होने के बाद साड़ी को सुखाया जाता है। फिर मोम को निकालने के लिए गर्म पानी में धोया जाता है। मोम निकलने के बाद डिजाइन तैयार हो जाता है। फिनिशिंग के बाद साड़ी तैयार हो जाती है। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 1 हफ्ते का समय लगता है। नसीम बताते हैं टसर बाटिक में सूट के लिए मल्टी कलर ड्रेस मटेरियल बनाए जाते हैं जो कि सभी सीजन में पहनने के लिए उपयुक्त होते हैं। इनकी डिमांड पूरे भारत में साल भर रहती है। यह एग्जिबीशन 23 फरवरी तक चलेगी।
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