नई दिल्ली, 7 दिसंबर। हिंदू पंचांग के अनुसार आज यानि 7 दिसंबर को मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि है और हिंदू धर्म में इस तिथि का विशेष महत्व है. भक्तजन इस दिन भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए व्रत-उपवास व दान करते हैं. कहते हैं कि पूर्णिमा का व्रत करने से देवतागण प्रसन्न होते हैं और मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. आइए जानते हैं मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत का शुभ मुहूर्त पूजन विधि और महत्व.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व
हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष पूर्णिमा का भी विशेष महत्व है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है और दान की भी परंपरा है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन दान करने से व्यक्ति को अन्य पूर्णिमा की तुलना में 32 गुना अधिक फल प्राप्त होता है.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2022 शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि 7 दिसंबर को सुबह 8 बजकर 1 मिनट पर शुरू होगी और 8 दिसंबर को सुबह 9 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार पूर्णिमा का व्रत 7 दिसंबर को रखा जाएगा.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजन विधि
पूर्णिमा तिथि के लिए लोग व्रत-उपवास करते हैं और इसलिए सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर मंदिर को साफ करें. फिर गंगाजल छिड़क कर मंदिर का स्वच्छ करें और हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें. इसके बाद घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं और बंदनवार बांधे. ऐसा करना शुभ होता है. फिर मंदिर में घी का दीपक जलाएं और तुलसी का पूजन करें. पूर्णिमा के दिन जल में गंगाजल और कच्चा दूध मिलाकर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, भगवान गणेश के साथ ही तुलसी पर अर्पित करें. इसके बाद सत्यनारायण भगवान की कथा पढ़ें और घर के बड़ों का आशीर्वाद लें.
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