नई दिल्ली । असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी सौदे में 40 लाख लोगों के बाहर होने को लेकर आक्रामक हो गई हैं। उनके तीखे तेवरों से कांग्रेस की चिंता बढ़ गई हैं। सतर्क रुख अपना रही कांग्रेस की चिंता इस बात को लेकर है कि ममता के तेवर भाजपा को उसके सियासी ध्रुवीकरण के एजेंडे को धार देने का मौका दे सकते हैं। इसी आशंका को देखते हुए कांग्रेस के रणनीतिकार दीदी को एनआरसी मुद्दे पर परिपक्व रणनीति अपनाने का संदेश देने की कोशिश में जुट गए हैं।
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस रणनीतिकारों ने सीधे दीदी से इस मसले पर बात करने की बजाय उनके सिपहसालारों के जरिये संदेश दिया है। पार्टी सूत्रों ने कहा कि भाजपा नेता जिस तरह एनआरसी से बाहर हुए सभी 40 लाख लोगों को मुस्लिम घुसपैठिया साबित करने में लगे हैं, उससे साफ है कि केवल पूर्वोत्तर ही नहीं पूरे देश में सियासी ध्रुवीकरण का दांव खेलने से वह परहेज नहीं करेगी, जबकि इन 40 लाख में से 17 लाख लोग हिन्दू समुदाय के हैं।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राज्यसभा में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपने तेवरों से पार्टी के इन इरादों को जाहिर करने में हिचक नहीं दिखाई। इसीलिए ममता को एनआरसी पर अपनी बात बेशक पुख्ता तरीके से रखना चाहिए, मगर संयम रखना भी उतना ही अहम है। पार्टी की राय में टीएमसी प्रमुख को एनआरसी पर खून की नदियां बहने और गृह युद्ध होने की आशंका जैसी टिप्पणी करने की जल्दबाजी दिखाने से भी बचने की जरूरत है।
चुनौतियां वाजिब, आक्रामकता नहीं
कांग्रेस रणनीतिकारों की नजर में ममता ने कोलकाता की प्रेस कांफ्रेंस में एनआरसी मसौदे के बाद सामने आई गंभीर चुनौतियों पर वाजिब बातें उठाई। साथ ही इन 40 लाख लोगों में 17 लाख हिंदुओं, बांग्लाभाषी और बिहारी आदि होने की बात भी उठाई, मगर उनकी चिंताओं से ज्यादा उनके तेवर सियासी सुर्खियों में हैं।
टीएमसी प्रमुख को कांग्रेस की ओर से यह समझाने का भी प्रयास होगा कि उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा की सीटें कम होनी तय है और ऐसे में पश्चिम बंगाल सीधे उसके निशाने पर है। इसीलिए ममता को अपनी राजनीतिक आक्रामकता को ऐसे दायरे में रखना होगा, जिससे भाजपा को पश्चिम बंगाल में ध्रुवीकरण का दांव चलने का मौका न मिले।
ममता ने कहा
ममता बनर्जी ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात के बाद यह मुद्दा उठाते हुए कहा था कि मैंने गृहमंत्री से कहा है कि आपके नेता कहते हैं कि अगला टारगेट पश्चिम बंगाल है। ये आदेश किसने दिया है। अभी वे कहेंगे की बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र और यूपी में इसे लागू करना है। ऐसे देश नहीं चलेगा। गृह युद्ध हो जाएगा। खूनखराबा हो जाएगा। सत्तारूढ़ दल का काम ये नहीं होता है।
शाह ने दी चुनौती- मुझे बंगाल जाने से रोक कर दिखाए ममता
कोलकता में रैली के लिए मंजूरी नहीं मिलने से नाराज भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अगर चाहें तो मुझे गिरफ्तार करवा सकती हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन मेरी कोलकाता रैली को मंजूरी दे या नहीं दे, मैं बंगाल जाकर रहूंगा।
उल्लेखनीय है कि भाजपा युवा मोर्चा ने कहा कि यहां 11 अगस्त को भाजपा अध्यक्ष शाह की प्रस्तावित रैली की अनुमति के संबंद्ध में कोलकाता पुलिस से अब तक कोई सूचना नहीं मिली है। युवा मोर्चा के राज्य इकाई के अध्यक्ष देबजीत सरकार ने बताया कि उन्होंने शाह की रैली की अनुमति के लिए पुलिस को औपचारिक आवेदन दिया है। उन्होंने बताया कि अगर पुलिस अनुमति देने से इंकार करती है तो वे अदालत का रूख करेंगे।
राज्यसभा दिनभर के लिए स्थगित
एनआरसी मुद्दे पर बुधवार को संसद में जोरदार हंगामा हुआ। राज्यसभा में जैसे ही गृहमंत्री राजनाथ सिंह बयान देने के लिए खड़े हुए, विपक्षी दलों ने हंगामा शुरू कर दिया, जिसके बाद सदन की कार्यवाही गुरुवार सुबह 11:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इससे पहले भी राज्यसभा की कार्यवाही 2:00 बजे तक स्थगित कर दी गई थी, जब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह इस मुद्दे पर अपनी बात रखने के लिए खड़े हुए थे।
बंगाल में लागू हो राष्ट्रपति शासन
भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एनआरसी मसौदे का मुखर विरोध कर रही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर पलटवार किया है। स्वामी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। इससे पहले कल राज्यसभा में स्वामी ने कहा था कि अगर हमारी सरकार पश्चिम बंगाल में आई तो हम वहां भी एनआरसी लागू करेंगे।
गृह युद्ध पर ममता की टिप्पणी निंदाजनक
राज्य में कानून व्यवस्था को बनाए रखने और हिंसा को उत्तेजित करने के लिए मुख्यमंत्री का कर्तव्य है। गृह युद्ध पर उनकी टिप्पणी निंदाजनक है।
– किरन रिजिजू, गृह राज्य मंत्री
गृह युद्ध हुआ तो ममता जिम्मेदार होंगी
अवैध घुसपैठिए हमें मंजूर नहीं हैं। उनको बाहर जाना ही पड़ेगा। असम एकॉर्ड साल 1985 में राजीव गांधी ने किया था। लाल किले से उन्होंने ऐलान किया था कि हमने ऐतिहासिक समझौता किया है और कहा कि हम घुसपैठियों को बाहर कर देंगे। पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने भी कई बार कहा कि अवैध घुसपैठियों को बाहर निकालेंगे। लेकिन, आज की कांग्रेस अवैध घुसपैठिए के पक्ष में है। ममता जो बात वह कर रही हैं, उसकी जिम्मेदारी उनकी होगी।
– अनंत कुमार, संसदीय कार्य मंत्री
ममता ने की आडवाणी, सोनिया से मुलाकात
प.बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और यूपीए प्रमुख सोनिया गांधी से मुलाकात की। इस पर ममता ने इसे औपचारिक और शिष्टाचार भेंट बताया। उल्लेखनीय है कि ममता ने मंगलवार को एनआरसी मामले पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी।
सेना के रिटायर्ड जवान को नहीं माना नागरिक
गोलापारा (ईएमएस)। एनआरसी ड्रॉफ्ट में करीब 40 लाख लोगों का नाम नहीं होने को लेकर विवाद जारी है। इन लोगों में सेना के एक रिटायर्ड जवान भी हैं, जिसने देश की रक्षा में 30 साल गवां दिए। जानकारी के मुताबिक, अजमल हक नाम के जवान 1986 में सिपाही पद पर भर्ती हुए थे और 2016 में जेसीओ के पद से रिटायर हुए। लेकिन, एनआरसी का ड्रॉफ्ट जारी हुआ तो इनकी जिंदगी में भूचाल आ गया।
तमाम वैध दस्तावेज जमा कराने के बावजूद इनका नाम एनआरसी में नहीं है। अजमल कारगिल से लेकर पाकिस्तान से सटे पंजाब तक में तैनात रहे। लेकिन, उन्हें संदिग्ध बता दिया गया। दरअसल, 2017 में फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में हक को तलब किया गया था और उनसे अपनी नागरिकता के प्रमाण भी मांगे गए थे। इससे पहले 2012 में उनकी पत्नी को भी ट्रिब्यूनल ने नोटिस भेजा।
लेकिन, सारे कागजात कोर्ट में दिखाने के बाद मामला वापस ले लिया गया। अब उनके बेटे और बेटी का नाम एनआरसी से गायब है। एनआरसी लिस्ट में एक नाम उल्फा के चीफ रहे उग्रवादी परेश बरुआ का है। लिस्ट ने उसे भारतीय नागरिक माना है। बताया जा रहा है कि वो कहीं विदेश में भूमिगत जीवन जी रहा है। लेकिन, बरुआ की पत्नी और बच्चों के नाम एनआरसी ड्रॉफ्ट में नहीं हैं।
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