खालिद हुसैन, जम्मू एंड कश्मीर : जम्मू एंड कश्मीर के नवनियुक्त राज्यपाल सत्यपाल मलिक प्रधानमंत्री का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में कश्मीर में पत्थरबाजी में कमी आई है. वहां पर हालात सुधर रहे हैं. उनका कहना है कि हमने नौजवानों से संवाद बढ़ाया है. यहां पर कई विकास कार्य शुरू किए गए हैं. इसके परिणाम जल्द दिखेंगे. उन्होंने कहा है कि पीएम मोदी ने भी मुझसे कहा है कि कहा है कि ऐसा कश्मीर बने, जिसमें लोगों को एहसास हो कि पीएम निवास उनका दोस्त है हमदर्द है. उनसे बातचीत के मुख्य अंश…
आप कश्मीर की स्थिति को कैसे देखते हैं और आपने क्या प्राथमिकता तय की है?
मेरी प्राथमिकता है, लोगों में ऐतबार पैदा करना. उन्हें यह भरोसा दिलाना कि की केंद्र सरकार तुम्हारी दोस्त है दुश्मन नहीं. जो पीएम नरेंद्र मोदी के रहते आप को हासिल होगा वो कभी किसी सरकार में नहीं होगा. लिहाजा पहला काम है, दोस्ताना माहौल पैदा करना. दूसरा काम है,
विकास के जितने काम रुके थे, उनके लिए हमने 8 हज़ार करोड़ का इंतज़ाम किया है. इन्हें हम साल के अंत तक पूरा कर देंगे. पीएम का जो फंड 80 हज़ार करोड़ रुपए था, वह भी पूरा खर्चा नहीं हुआ है. उसके लिए अफसरों की हमने ड्यूटी लगा दी है. इसमें बताया है कि पैसा कहां कहां खर्चा करना है. इसके इलावा 40 नए कॉलेज खोलने का भी विचार है.
मेरा जो पहला काम था, वह यहाँ के हालत समझना. मैं अफसरों की रिपोर्ट पर नहीं गया. यहां जो नौजवानों के ग्रुप हैं. उनसे मिला. इसमें कुछ स्पोर्ट्स पर काम करते हैं. कुछ एनजीओ, कुछ whatsapp वाले ग्रुप हैं. उनसे समझा कि यहां क्या प्रॉब्लम है. हुर्रियत अपना काम करती है उनसे हमारा कोई झगड़ा नहीं है. हम उनकी यह बात मानने के लिए तैयार नहीं की पाकिस्तान के साथ बातचीत की जाए. आप आइए आप से बातचीत होगी. जो मुख्यधारा के दल हैं हम उनका सम्मान करते हैं.
मैंने जाना कि यहां जो पिछली सरकारें थीं. वाजपेयी और नरेंद्र मोदी जी की सरकारों से पहले जो केंद्र की सरकारे थीं उन्होंने यहां के हालात को सही से हैंडल नहीं किया. इससे अविश्वास पैदा हुआ. यहां जो 13 से 20 साल के लड़के हैं, जिनसे भी मेरी बात हुई वह कहते हैं, हमें पाकिस्तान नहीं चाहिए. पाकिस्तान हमारा कोई फायदा नहीं कर सकता. हुर्रियत से भी उन्हें कोई उम्मीद नहीं है.
मुख्यधारा के दलों के लिए इन लोगों ज्यादा जोश नहीं है. यहां रिश्वत का बोलबाला था. तो मैंने तय किया बजाए राजनैतिक दल, हुर्रियत पर ध्यान लगाया जाए मैंने नौजवानों से बातचीत को तरजीह दी. यहां 13 से 20 साल के 46% नौजवान हैं. मैंने तय किया आईपीएल की टीम बनाओ.
हर गावों में खेल का मैदान होगा. हमने लगभग 500 जगह खेल के मैदान चुन लिए हैं. दक्षिणी कश्मीर में हम CBSE के बढ़िया स्कूल खोलेंगे. अगर वे स्कूल बन गए तो आतंकी भी बोलेगा कि मेरे बच्चे को को इस स्कूल में ले लो.
आप को लगता है कि यहां का युवा भटका हुआ है अगर है तो क्या वजह रही होगी?
मैं तो जिम्मेवार नहीं हूं. मोदी जी भी जिम्मेवार नहीं. वाजपेयी जी भी जिम्मेवार नहीं हैं. उसके इलावा सब जिम्मेवार हैं. पहले की सरकारों ने जो धांधली की उससे सभी रोजगार खत्म हुए. इन सब चीज़ों से बेरुखी और भटकाव बढ़ा है. यहां का युवा होशियार है. उसको रोज़गार देंगे. सम्मान देंगे तो उसकी निराशा दूर होगी. बन्दूक रास्ता नहीं है. बच्चों को बोला जा रहा है जन्नत मिलेगी. ऐसा नहीं है.
कट्टरवाद एक मुद्दा है, पढ़े-लिखे युवा बन्दूक उठा रहे हैं. इससे आप कैसे निपटेंगे?
यह बहस से ठीक नहीं होगा. यह जो वहाबी सोच है कि सऊदी अरब से बड़ा पैसा आ रहा है मस्जिदें बन रही हैं. फिर जो देवबन्दी है वो भी वही लोग हैं जो कट्टरता को बढ़ावा देते हैं. वह युवाओं को झूठे सपने दिखाते हैं. आप अपनी इबादत करिए. मगर धर्म को राजनीति बनाना और उसके ज़रिये दुनिया चलना यह संभव नहीं है. आईएसआईएस ने यही किया.
सीरिया में फिर उसे ठिकाने लगाया गया तो उन्हें इस्लामिक मुल्कों ने ही मारा. अमेरिका नहीं आया. यहां पर आजकल जो मुस्लिम धर्मगुरु कह रहे हैं कि हमें ऑटोनोमी चाहिए. ना पाकिस्तान चाहिए ना आज़ादी चाहिए. हमको तो खिलाफत करनी है. बन्दूक से कुछ भी नहीं होना.
मैं एक मिसाल देता हूं, जो कई लोगों को बुरी लगती है. LTTE जैसा संगठन पूरी दुनिया में नहीं है. 12 मुल्कों से उन्हें मदद मिलती थी. लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ. बर्बादी हुई. यहां भी कुछ हासिल नहीं होगा. तुम एक पीढ़ी को ख़राब कर रहे हो.
आपने कहा, मैं अपील करता हूं, ये आप किन लोगों को कह रहे हैं?
उत्तर : मैं उन लोगों को कह रहा हूं, जो उस तरफ सोचते हैं वह इस सोच से बहार निकलें.
स्टोन पेल्टिंग से कैसे निपटेंगे आप…?
आपको यह जान कर अच्छा लगेगा पिछले कुछ महीनों से स्टोन पेल्टिंग बहुत कम हुई है. मेरे यहां आने के बाद तो दो तीन वाकये हुए हैं. कोई बड़ा नहीं हुआ. फौज या पुलिस की आतंकी से लड़ाई में दोनों तरफ से गोलियां आती हैं.
तुम पीछे से पत्थर मरते हो फिर कहो हमारे साथ ज्यादती हो रही है. स्टोन पेल्टिंग गलत है. मैं बच्चों से कहूंगा की यह काम बिलकुल ना करें. आज आप के हाथ में पत्थर हैं कल में आप के हाथ में बॉल दूँगा आप बोलिंग करिए.
राज्य में चुनाव घोषित हुए हैं कुछ दलों ने बहिष्कार किया है. आप कैसे देखते है इन चुनाव को?
अगर वह सोचते हैं सही वकत नहीं था तो सही वक्त तो कब आएगा. मेरा कहना है कि चुनाव मेरे आने से पहले घोषित हुए थे. जिन दलों ने बहिष्कर किया इसका कोई तर्क नहीं है 15 दिन पहले कारगिल में चुनाव थे. 35A यहीं पर था यह गलत बहाना है 35A पर कोई चुनाव का असर नहीं पड़ने वाला है.
जिस तरह धमकियों का माहौल बना है धमकियां आ रही हैं उसमें लोगों को सुरक्षा कैसे दिलाएंगे?
हमने अपने हर उम्मीदवार की रक्षा का जिम्मा लिया है. उनके परिवार को सेफ रखेंगे. सिर्फ 17% इलाका है आबादी का, जिसमें चुनाव नहीं है. बाकी हर जगह चुनाव हो रहा है.
35A एक बड़ा मुद्दा बन गया है आप का क्या कहना है?
मुझे हिंदुस्तान की अदालत पर पूरा विश्वास है कि अगर यह धारा सही नियत से संविधान में जोड़ी गई है तो इनको कोई खतरा नहीं है.
आपके राजनीतिक बैकग्राउंड से होने का क्या फायदा मिलेगा?
मैं किसी को भी अपमानित नहीं करता. निराश नहीं करता हूं. जितने यहाँ नेता हैं सब से मेरा परिचय है.
पीएम मोदी से कितना सहयोग है क्या सुझाव दिए गए हैं?
उन्होंने मुझे पूरी स्वतंत्रता दी है. यह सलाह उन्होंने दी है कि अच्छा कश्मीर बनाकर उन्हें दो. कश्मीर के लोगों को यह एहसास दो की राज्यपाल हाउस ही नहीं बल्कि पीएम हाउस भी उनका दोस्त है हमदर्द है.
क्या इस समस्या का हल बातचीत से है. अगर है तो किसके साथ?
बातचीत ही हल है और कोई हल नहीं है. बातचीत उन सबसे जो हिंदुस्तान के संविधान को मानते हों. उन सबसे जो बार बार पाकिस्तान की हिमायत न करते हों.
मतबल हुर्रियत से बातचीत नहीं होगी…?
हुर्रियत से बातचीत के लिए दिल्ली ने मना नहीं किया है. मगर अगर वह ये कहें कि पाकिस्तान को बिठाओ तो ये कभी नहीं होगा.
तो क्या पाकिस्तान से बातचीत?
पाकिस्तान से बात अलग से होगी. ये दो मुल्कों से बातचीत होगी. ये दो मुल्कों के संबंध हैं. मगर पाकिस्तान को हम यहां भागीदार नहीं मानते हैं.
दिल्ली से भी क्या कुछ गलतियां हुई हैं?
जो गैर भाजपा सरकारें रहीं उन्होंने यहाँ इन्साफ नहीं किया. यहाँ के लीडरों की भी गलतियां रहीं. दिल्ली में कुछ बात बोलते थे यहाँ कुछ बात बोलते थे. यहाँ लोगों को वे सपने दिखाए गए जो मुमकिन ही नहीं.
आज़ादी. किसकी आज़ादी हिंदुस्तान जैसी शक्ति को तोड़ कर कोई आज़ादी हो सकती है. आज़ादी का सपना दिखाया. पाकिस्तान की हिम्मत नहीं की हमारे देश के किसी हिस्से को तोड़ सके.
घाटी में 300 आतंकी हैं. घुसपैठ के लिए भी आतंकी तैयार हैं आप को लगता है यहां से आतंकवाद खत्म किया जा सकता है?
घुसपैठ रोकने के लिए हमारे सुरक्षाबल चौकस हैं. मैं इन 300 को मार के आतंकवाद खत्म करने के पक्ष में नहीं हूं. मैं इस राय का हूँ कि मिलिटेंसी को खत्म करना है मिलिटेंट को नहीं. ये कैसे होगा. जम्मू कश्मीर के लोगों को यकीन दिलादो इस रस्ते से कुछ नहीं मिलेगा.
एसपीओ की हत्या हो रही है, इस पर क्या कहेंगे?
एक बैठक में सभी ने जम्मू कश्मीर पुलिस की सरहाना की है कि वह बहुत बहादुरी से लड़ते हैं. आज आप एसपीओ की भर्ती घोषित कर दो, लाइन लग जाएगी. पुलिस की भर्ती के लिए हज़ारों नौजवान तैयार हैं फौज की बरती के लिए हज़ारों तैयार हैं.
कुछ खास प्लान है स्थिति सुधारने के लिए?
प्लान यही है विकास, विकास, विकास. काम होता दिखे. लोगों को रोज़गार मिले. भ्रष्टाचार का खात्मा हो. चुनाव के बाद सभी अफसरों के लिए अनिवार्य कर दूंगा कि अपनी संपत्ति घोषित करें और ऑनलाइन डालें.
सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
उतर : चुनौती तो फ़िलहाल पाकिस्तान द्वारा पोषित आतंकवाद है. लोगों की निराशा खत्म करना और बच्चों को रौशनी देना ही चुनौती है.
News Source : http://zeenews.india.com/hindi/india
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