महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री डॉ. महेन्द्रभाई मुंजपरा ने “कुपोषण की रोकथाम और प्रबंधन और बचपन की शुरूआत में देखभाल व विकास के लिये पहले 1000 दिनों में पोषण का महत्त्व” सम्बंधी वेबिनार में हिस्सा लिया

विशेषज्ञों के पैनल ने पीढ़ी-दर-पीढ़ी चले आने वाले कुपोषण के दुष्चक्र को तोड़ने के लिये विभिन्न उपायों और पद्धतियों पर चर्चा की

महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री डॉ. महेन्द्रभाई मुंजपरा ने आज “कुपोषण की रोकथाम और प्रबंधन और बचपन की शुरूआत में देखभाल व विकास के लिये पहले 1000 दिनों में पोषण का महत्त्व” विषयक वेबिनार में प्रमुख वक्तव्य दिया। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री श्रीमती भारती प्रवीण पवार ने भी वक्तव्य दिया। वेबिनार का आयोजन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने आजादी के अमृत महोत्सव के तहत पोषण माह समारोहों के सिलसिले में किया था।

वेबिनार में एक विशेषज्ञ पैनल ने भी हिस्सा लिया। इस दौरान विशेषज्ञ पैनल ने पीढ़ी-दर-पीढ़ी चले आने वाले कुपोषण के दुष्चक्र को तोड़ने के लिये विभिन्न उपायों और पद्धतियों पर चर्चा की। पैनल ने कहा कि पहले 1000 दिनों में लगातार प्रयास किये जायें तो इस उद्देश्य को प्राप्त किया जा सकता है। पैनल में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान जोधपुर के नवजात शिशु विभाग के डॉ. अरुण के. सिंह, सेंट जॉन मेडीकल कॉलेज, बेंगलुरू के शरीर विज्ञान विभाग की प्रो. अनुरा कुरपाड और सीताराम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड रिसर्च के प्रो. पीएस सचदेव सहित स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।

प्रमुख वक्तव्य देते हुये डॉ. मुंजपरा ने कहा कि पोषण माह, पोषण अभियान के केंद्र में है, जो 2018 से चला आ रहा है। इसका लक्ष्य सुपोषित भारत की रचना करना है। यह देशभर में बेहतर पोषण व्यवहारों तथा उसके नतीजों को प्रोत्साहन देने के लिये जश्न मनाने का महीना है। उन्होंने कहा कि पोषण माह के जरिये हम देशभर के समुदायों और सरकारी निकायों को साथ लाते हैं, ताकि मिलकर काम किया जा सके। उन्होंने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को धन्यवाद दिया कि उसने इस साझा लक्ष्य को प्राप्त करने में सहयोगी रवैया अपनाते हुये साथ काम किया है।

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डॉ. मुंजपरा ने कहा कि बच्चे के गर्भ में आने से लेकर उसके दो वर्ष हो जाने तक के दौरान पहले 1000 दिनों में अच्छे आहार और पोषण की बुनियाद पर ही आगे शरीर हृष्ट-पुष्ट होता है। इसे ध्यान में रखकर मंत्रालय गर्भवती महिलाओं, दुग्धपान कराने वाली माताओं, किशोरियों और खासतौर से छह वर्ष के कम आयु के बच्चों पर विशेष ध्यान दे रहा है। उन्होंने कहा कि सारा ध्यान इस बात पर है कि किशोर वय की लड़कियों को बेहतर पोषण मिले और उनमें खून की कमी न हो, ताकि आगे चलकर वे स्वस्थ मां बन सकें। इसके अलावा इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि गर्भ-काल के दौरान बच्चा स्वस्थ हो, उसे अच्छा पोषण मिले और उसका वजन उचित तरीके से बढ़े; बच्चे को दूध पिलाने के दौरान माता को अच्छा पोषण मिले, ताकि बच्चों का समुचित विकास हो सके तथा बच्चे के पोषण के लिये अन्य तरीकों का भी इस्तेमाल हो। इस तरह की रणनीति अपनाने से कुपोषण को रोका जा सकता है।

मंत्री महोदय ने कहा कि मंत्रालय लगभग 14 लाख आंगनवाड़ियों के जरिये यह काम अंजाम दे रहा है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्यकर आहार, गर्भावस्था के दिनों में स्वास्थ्य की अच्छी देखभाल और नवजात तथा शिशुओं को बेहतर पोषणयुक्त आहार देने के बारे में देशव्यापी जागरूकता अभियानों के माध्यम से पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलने वाला कुपोषण दुष्चक्र को तोड़ा जा सकता है। अच्छे पोषण के अलावा, आगनवाड़ी कार्यकर्ता तीन से छह वर्षों की आयु तक शुरूआती शिशु देखभाल और शिक्षा भी प्रदान कर रहे हैं, ताकि इन अभिनव गतिविधियों के जरिये बच्चों के बुद्धि विकास के साथ-साथ उनका सामाजिक-भावनात्मक और शारीरिक विकास हो सके।

डॉ. मुंजपरा ने कहा कि न सिर्फ स्वास्थ्यकर आहार के प्रति जागरूकता पैदा करने के प्रयास किये जा रहे हैं, बल्कि यह भी प्रयास किया जा रहा है कि पोषण वाटिकाओं की स्थापना के जरिये विविध, पोषणयुक्त, सस्ती, कृषि और जलवायु अनुकूल समुचित आहार भी उपलब्ध कराया जाये। उन्होंने कहा कि हर आयुवर्ग में बेहतर स्वास्थ्य, आरोग्य और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये आयुष प्रणालियों को केंद्र में रखा गया है। उन्होंने कहा कि देशभर में पूरक पोषण कार्यक्रम को भी बढ़ावा दिया जा रहा है और इसके जरिये आयरन, फॉलिक एसिड और विटामिन बी-12 युक्त चावल उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके अलावा पूरक पोषण कार्यक्रम में मोटे अनाज पर भी जोर दिया जा रहा है।

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अंत में डॉ. मुंजपरा ने कहा कि हमारा लक्ष्य कुपोषण मुक्त भारत की रचना है। यह एक महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य है और हम अकेले इसे हासिल नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि देशभर के समुदायों को इस अभियान में साथ आना होगा और इसे जनांदोलन बनाना होगा। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और अन्य मंत्रालयों के साथ काम करने के लिये महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अधिकृत है, ताकि भारत को कुपोषण मुक्त बनाया जा सके। डॉ. मुंजपरा ने कहा कि यह देखना बहुत ही उत्साहवर्धक है कि सभी मंत्रालयों और विभागों के कर्ता-धर्ता, चाहे वे राज्य के हों, जिलों के या गांवों के, वे सब मिल-जुलकर बेहतर पोषण तथा बच्चों की देखभाल के बारे में जागरूकता फैला रहे हैं।

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