न्यूज़ डेस्क : शिव और शक्ति के मिलन का महापर्व है महाशिवरात्रि। कुंभनगरी में गुरुवार को सातों संन्यासी अखाड़ों का शाही स्नान होगा। महाशिवरात्रि पर पहले शाही स्नान के दिन शिवयोग, सिद्धियोग और घनिष्ठा नक्षत्र का संयोग बनने से पर्व की महत्ता और अधिक बढ़ गई है।
ऐसे में महाशिवरात्रि पर्व विधिवत पूजा अर्चना और स्नान करने पर विशेष फलदायक माना जा रहा है। इस बार 101 साल बाद महाशिवरात्रि पर विशेष संयोग बन रहा है। पंडित विकास जोशी ने बताया कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को संसार के कल्याण के लिए शिवलिंग प्रकट हुआ था।
महाशिवरात्रि को व्रत और पूजन किया जाना सर्वोत्तम है। शिवलिंग का पूजन और रात्रि जागरण विशेष फलदायी होता है। इस दिन भगवान शिव की आराधना कई गुना अधिक फल देती है।
उन्होंने बताया कि शिवरात्रि के दिन पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराना चाहिए। इसके बाद ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। साथ ही शिव पूजा के बाद अग्नि जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहुति देनी चाहिए। होम के बाद किसी भी एक फल की आहुति दें। व्रत के पश्चात, ब्राह्मणों को खाना खिलाकर और दीपदान करके स्वर्ग को प्राप्त किया जा सकता है। शिवलिंग स्नान के लिए रात के प्रथम पहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे में घृत और चौथे पहर में शहद से स्नान कराना चाहिए।
पंडित जोशी ने अनुसार 11 मार्च सुबह 9 बजकर 24 मिनट तक शिव योग रहेगा। उसके बाद सिद्ध योग लग जाएगा, जो कि 12 मार्च सुबह 8 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। शिव योग में किए गए सभी मंत्र शुभ फल देते हैं। इसके साथ ही रात 9 बजकर 45 मिनट तक घनिष्ठा नक्षत्र रहेगा। इस दौरान भोलेनाथ का अभिषेक करना शुभ होगा। वहीं चार पहर की पूजा भी फलदायी होती है।
महानिशीथ काल – 11 मर्च रात 11 बजकर 44 मिनट से रात 12 बजकर 33 मिनट तक
निशीथ काल पूजा मुहूर्त – 11 मार्च देर रात 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक अवधि-48 मिनट
महाशिवरात्रि पारण मुहूर्त – 12 मार्च सुबह 6 बजकर 36 मिनट 6 सेकंड से दोपहर 3 बजकर 4 मिनट 32 सेकंड तक।
चतुर्दशी तिथि शुरू – 11 मार्च को दोपहर 2 बजकर 39 मिनट से
चतुर्दशी तिथि समाप्त – 12 मार्च दोपहर 3 बजकर 3 मिनट
ज्योतिषाचार्य आचार्य डॉ. सुशांत राज ने कहा कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ऐसे में राशि के अनुसार रुद्राभिषेक करने से विशेष लाभ मिलता है। बताया कि मेष राशि के जातकों को शहद और गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करना लाभकारी होगा। वृषभ राशि वालों के लिए दूध और दही और मिथुन राशि के लिए दूर्वा से अभिषेक करना शुभ होगा।
वहीं, कर्क राशि वालों के लिए दूध और शहद, सिंह राशि वालों के लिए शहद, गन्ने का रस, कन्या राशि वालों के लिए दूर्वा व दही, तुला राशि वालों के लिए दूध व दही, वृश्चिक राशि वालों के लिए गन्ने का रस, शहद व दूध, धनु राशि वालों के लिए दूध, शहद, नाग केसर, मकर राशि वालों के लिए गंगा जल में गुड़ डालकर मीठे रस, कुंभ राशि वालों के लिए दही और मीन राशि वालों के लिए दूध, शहद और गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करना विशेष लाभकारी होगा।
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