न्यूज़ डेस्क : मध्यप्रदेश के 3000 से ज्यादा रेसीडेंट या जूनियर डॉक्टरों ने शुक्रवार को इस्तीफे दे दिए। ये डॉक्टर वेतन भत्तों में बढ़ोतरी की मांग को लेकर हड़ताल कर रहे थे। शुक्रवार से सीनियर डॉक्टरों ने भी काम करना बंद कर दिया।
भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज व हमीदिया अस्पताल के डॉ. सौरभ तिवारी ने बताया कि हम सरकार द्वारा किए गए वादे को पूरा करने की मांग कर रहे हैं। हम सरकार से लिखित आश्वासन चाहते हैं।
उधर प्रदेश के चिकित्सा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा है कि रेसीडेंट डॉक्टर हमसे बात नहीं करना चाहते हैं। मप्र हाईकोर्ट ने उनकी हड़ताल को असंवैधानिक करार दिया है। उन्हें कोर्ट के आर्डर का पालन करना चाहिए और तत्काल काम पर लौटना चाहिए। सारंग ने कहा कि मैं सोचता हूं कि ये डॉक्टर कोर्ट के आदेश का आदर करेंगे।
मध्यप्रदेश जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जूडा) के अध्यक्ष अरविंद मीणा के अनुसार प्रदेश के छह मेडिकल कॉलेजों से सम्बद्ध जूडा के सदस्य सोमवार से हड़ताल पर हैं। इसके तहत जूनियर डॉक्टर आउट पेशेंट डिपार्टमेंट (ओपीडी), इन-पेशेंट डिपार्टमेंट (आईपीडी) तथा स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के अन्य वार्डों में काम नहीं कर रहे हैं।
जूनियर डॉक्टरों की ये हैं मांगें
उन्होंने बताया कि उनकी छह मांगें हैं। इनमें मानदेय में बढ़ोतरी, कोविड में काम करने वाले डॉक्टरों व उनके परिजन के लिए अस्पताल में इलाज की अलग व्यवस्था, तथा कोविड ड्यूटी को एक साल की अनिवार्य ग्रामीण सेवा मानकर बांड से मुक्त करना आदि शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि जूडा में प्रदेश के छह मेडिकल कॉलेजों के लगभग तीन हजार सदस्य शामिल हैं। मीणा ने दावा किया कि प्रदेश सरकार ने 24 दिन पहले उनकी मांगों को पूरा करने का वादा किया था, लेकिन तब से इस मामले में कुछ नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार हमारी मांगों को पूरा करने के लिए लिखित आदेश जारी करे।
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